Sort by:
Discussions | Replies | Latest Activity |
---|---|---|
सीता-चरित्र के नए प्रतिमान गढ़ता हुआ उपन्यास ‘सीता सोंचती थीं’- डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तवराम भगवान थे या सामान्य मानव, अवतार थे या इतिहासपुरुष, काल्पनिक चरित्र थे या सचमुच कोई विश्रुत लोकनायक. इन सब बातों पर मतभेद हो सकता… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Feb 19, 2018 |
सदस्य टीम प्रबंधन कविता की विकास यात्रा : नयी कविता, गीत और नवगीत (भाग -१) // --सौरभमानवीय विकासगाथा में काव्य का प्रादुर्भाव मानव के लगातार सांस्कारिक होते जाने और संप्रेषणीयता के क्रम में गहन से गहनतर तथा लगातार सुगठित हो… Started by Saurabh Pandey |
8 |
Sep 26, 2016 Reply by Kalipad Prasad Mandal |
सदस्य टीम प्रबंधन दिल्ली के गुलाबी मौसम में सम्मिलन सह काव्य-गोष्ठीओपेन बुक्स ऑनलाइन (ओबीओ) के प्रबन्धन द्वारा इसके प्रादुर्भाव काल से ही इसके उद्येश्यों के मुख्य विन्दुओं को सदा से मुखर रखा गया है. साहित्य… Started by Saurabh Pandey |
27 |
Sep 26, 2016 Reply by योगराज प्रभाकर |
प्रधान संपादक जनाब दीपक "जैतोई" साहिब की पंजाबी ग़ज़ल का हिंदी अनुवादसुनके मज़ा न आए, उसको ग़ज़ल न बोलें ! दिल में उतर न जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें ! खूबी ग़ज़ल की है ये, दिल को चढ़ाये मस्ती, और जो दिमाग खाए, उ… Started by योगराज प्रभाकर |
29 |
Sep 22, 2016 Reply by Samar kabeer |
सदस्य टीम प्रबंधन कविता की विकास यात्रा : नयी कविता, गीत और नवगीत (भाग -२) // --सौरभभाग - २ ===== ’दूसरा सप्तक’ की भूमिका लिखते समय अज्ञेय ने कहा है, कि, ’प्रयोग का कोई वाद नहीं है । हम वादी नहीं रहे, न ही हैं, न प्रयोग अपन… Started by Saurabh Pandey |
7 |
Sep 6, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
बीहनि कथा का विश्व परिदृष्यअभी दो-चार दिन से फेसबुक हिंदी में Six Word Stories बहुत लोकप्रिय है। मगर मैथिली भाषा मे इसका सुचिंतित विमर्श "विदेह" पत्रिका के संपादकीय म… Started by ASHISH ANCHINHAR |
2 |
Jun 13, 2016 Reply by ASHISH ANCHINHAR |
लोकार्पण कार्यक्रम समाचार पत्रों के आधार पर एक प्रतिवेदनकवि केवल प्रसाद ‘सत्यम’ का प्रथम काव्य-संग्रह...’छंद माला के काव्य-सौष्ठ्व’ का दिनांक ०७.०२.२०१६ को यू० पी० प्रेस क्लब, लखनऊ में लोकार्पण क… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
17 |
Mar 25, 2016 Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
सदस्य टीम प्रबंधन मुकरियाँ या कह-मुकरियाँ : इतिहास और विधानकथ्य व जानकारी ओपन बुक्स ऑनलाइन (ओबीओ) पर प्रधान-संपादक आदरणीय योगराज प्रभाकरजी ने लुप्त-प्राय रचना विधा मुकरी या कह-मुकरी में रचनाएँ प… Started by Saurabh Pandey |
95 |
Nov 1, 2015 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
साकेत महाकाव्य का उद्घोष – “सन्देश नहीं मैं यहाँ स्वर्ग का लाया” =डा० गोपाल नारायन श्रीवास्तवतुलसी की भांति राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के इष्टदेव भी राम थे I वे राम को ईश्वर मानते है और साकेत के राम से पूंछते भी हैं – राम त… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Sep 5, 2015 |
हिन्दी और अंग्रेजी साहित्य में नायिका-भेद का स्तर :: एक मूल्यांकनहिंदी साहित्य मे नायिका उसे कहते है जो रस शृंगार से युक्त हो और किसी आश्रय का आलंबन हो I शृंगार में प्रकृति के अनुसार नायिकाओं के ती… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
2 |
Apr 27, 2015 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |