"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-106 - Open Books Online2024-03-29T11:26:35Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/106?commentId=5170231%3AComment%3A982390&feed=yes&xn_auth=noराज़ साहब हौसला अफज़ाई का बहु…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9827112019-04-27T18:30:01.851ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>राज़ साहब हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया, </p>
<p>राज़ साहब हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया, </p> राणा जी आपने चर्चा पूरी नहीं…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9827102019-04-27T18:29:27.513ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>राणा जी आपने चर्चा पूरी नहीं की इसका अफ़सोस है</p>
<p>राणा जी आपने चर्चा पूरी नहीं की इसका अफ़सोस है</p> शेर सही है, हौसला अफज़ाई का ब…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9827092019-04-27T18:29:19.279ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>शेर सही है, हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p>
<p>शेर सही है, हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p> हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9826172019-04-27T18:28:40.697ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p>
<p>हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p> हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9823012019-04-27T18:28:04.465ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p>
<p>हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया मोहतरम </p> अब समय नहीं बचा,इस ग़ज़ल को बाद…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9825012019-04-27T18:27:22.098ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अब समय नहीं बचा,इस ग़ज़ल को बाद में दिखाना</p>
<p>अब समय नहीं बचा,इस ग़ज़ल को बाद में दिखाना</p> ग़ज़ल
पलट कर देखना तेरा और उसप…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9824982019-04-27T18:25:57.717Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>ग़ज़ल</p>
<p></p>
<p>पलट कर देखना तेरा और उसपे मुस्कुराना भी<br></br>क़यामत पर क़यामत है लटों को फिर झुलाना भी</p>
<p></p>
<p>तेरी ये हुस्न की दौलत, अदाओं की अमीरी है,<br></br>इज़ाफ़ा करता है उसमें लियाक़त का खज़ाना भी</p>
<p></p>
<p>कहाँ इक-दो झलक काफी, कहाँ पल भर में चैन आए<br></br>मेरा मक़सद नहीं सोहबत, है ख़्वाहिश घर बसाना भी</p>
<p></p>
<p>तुझे पाऊँ न पाऊँ वो अलग किस्सा है, लेकिन हाँ<br></br>**जहाँ में याद रह जाएगा कुछ अपना फ़साना भी</p>
<p></p>
<p>चलो माना कि आज अपनी कहीं गिनती नहीं होती<br></br>मगर कल सब कहेंगें था…</p>
<p>ग़ज़ल</p>
<p></p>
<p>पलट कर देखना तेरा और उसपे मुस्कुराना भी<br/>क़यामत पर क़यामत है लटों को फिर झुलाना भी</p>
<p></p>
<p>तेरी ये हुस्न की दौलत, अदाओं की अमीरी है,<br/>इज़ाफ़ा करता है उसमें लियाक़त का खज़ाना भी</p>
<p></p>
<p>कहाँ इक-दो झलक काफी, कहाँ पल भर में चैन आए<br/>मेरा मक़सद नहीं सोहबत, है ख़्वाहिश घर बसाना भी</p>
<p></p>
<p>तुझे पाऊँ न पाऊँ वो अलग किस्सा है, लेकिन हाँ<br/>**जहाँ में याद रह जाएगा कुछ अपना फ़साना भी</p>
<p></p>
<p>चलो माना कि आज अपनी कहीं गिनती नहीं होती<br/>मगर कल सब कहेंगें था कभी ऐसा दिवाना भी</p>
<p></p>
<p>#मौलिक व अप्रकाशित</p> जनाब दण्डपानी जी आदाब
प्रयास…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9827072019-04-27T18:21:24.105Zmirza javed baighttp://openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>जनाब दण्डपानी जी आदाब </p>
<p>प्रयासरत रहें असातज़ा के राब्ते में रहें </p>
<p>ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें</p>
<p>जनाब दण्डपानी जी आदाब </p>
<p>प्रयासरत रहें असातज़ा के राब्ते में रहें </p>
<p>ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें</p> हर चीज़ डिक्शनरी में नहीं होती…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9824972019-04-27T18:20:09.880ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>हर चीज़ डिक्शनरी में नहीं होती ।</p>
<p>हर चीज़ डिक्शनरी में नहीं होती ।</p> जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब
उम्…tag:openbooksonline.com,2019-04-27:5170231:Comment:9826162019-04-27T18:19:40.067Zmirza javed baighttp://openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब</p>
<p>उम्दा प्रयास के लिए बधाई मेरे ख़याल से</p>
<p>पोस्टकरने से पहले ही इस्लाह करा ली जाए तो मुशायरे की ख़ूबसूरती में और ज़्यादा इज़ाफ़ा हो जाए सादर</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब</p>
<p>उम्दा प्रयास के लिए बधाई मेरे ख़याल से</p>
<p>पोस्टकरने से पहले ही इस्लाह करा ली जाए तो मुशायरे की ख़ूबसूरती में और ज़्यादा इज़ाफ़ा हो जाए सादर</p>