"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-112 - Open Books Online2024-03-28T17:49:08Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/112-2?commentId=5170231%3AComment%3A1000682&feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ लाइव महा उत्सव"अंक-112…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10008402020-02-09T17:59:11.285ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव महा उत्सव"अंक-112 में शिर्कत के लिए सभी रचनाकारों का आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओबीओ लाइव महा उत्सव"अंक-112 में शिर्कत के लिए सभी रचनाकारों का आभार व धन्यवाद ।</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी उम…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10006822020-02-09T17:33:40.089Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>आदरणीया <span>प्रतिभा पाण्डेय जी उम्दा पेश कश .....</span></p>
<p>आदरणीया <span>प्रतिभा पाण्डेय जी उम्दा पेश कश .....</span></p> आदरणीया प्रतिभा दीदी सादर नमन…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10008352020-02-09T17:31:23.402Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीया प्रतिभा दीदी सादर नमन, उताहवर्धन के लिए सादर आभार</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा दीदी सादर नमन, उताहवर्धन के लिए सादर आभार</p> आदरणीय कनक हरलालका जी उम्दा प…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10006812020-02-09T17:30:27.807Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p><span>आदरणीय कनक हरलालका जी उम्दा पेशकश के लिए बधाई स्वीकारें । </span></p>
<p><span>आदरणीय कनक हरलालका जी उम्दा पेशकश के लिए बधाई स्वीकारें । </span></p> हौसला अफजाई का शुक्रिया tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10007552020-02-09T17:26:13.527Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>हौसला अफजाई का शुक्रिया </p>
<p>हौसला अफजाई का शुक्रिया </p> सतविन्दर जी उम्दा प्रयास हेतु…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10009152020-02-09T17:25:24.652Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>सतविन्दर जी उम्दा प्रयास हेतु बधाई </p>
<p>सतविन्दर जी उम्दा प्रयास हेतु बधाई </p> आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10009132020-02-09T14:24:34.869Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । साथ ही आ. समर जी की बातों का संज्ञान लें..सादर</p>
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । साथ ही आ. समर जी की बातों का संज्ञान लें..सादर</p> जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10007532020-02-09T13:41:00.569ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'चश्म तो हैं खुले पर दिखे कुछ नहीं,<br/>रास्ते धुंध से तर-ब-तर हो गए'</p>
<p>इस शैर के ऊला में 'चश्म' एक वचन है,और सानी में धुंध से तरबतर की तरकीब उचित नहीं,ग़ौर करें ।</p>
<p></p>
<p>आख़री शैर में आप शायद 'नज़्र' (भेंट) लेना चाहते हैं,अगर ये सहीह है तो आपका क़ाफ़िया ग़लत है,देखियेगा ।</p>
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'चश्म तो हैं खुले पर दिखे कुछ नहीं,<br/>रास्ते धुंध से तर-ब-तर हो गए'</p>
<p>इस शैर के ऊला में 'चश्म' एक वचन है,और सानी में धुंध से तरबतर की तरकीब उचित नहीं,ग़ौर करें ।</p>
<p></p>
<p>आख़री शैर में आप शायद 'नज़्र' (भेंट) लेना चाहते हैं,अगर ये सहीह है तो आपका क़ाफ़िया ग़लत है,देखियेगा ।</p> बाग अब लग रहा घोर जंगल कोई,लो…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10008332020-02-09T12:54:05.798Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>बाग अब लग रहा घोर जंगल कोई,<br/>लोभ से फूल सब जानवर हो गए।// वाह</p>
<p></p>
<p>तोड़ने के सबक सीखते हैं जहाँ<br/>वो मकातिब सभी को नज़र हो गए।// बहुत खूब</p>
<p>सामयिक माहौल पर सटीक तंज करती रचना। बहुत बधाई आदरणीय भाई सतविन्दर जी</p>
<p>बाग अब लग रहा घोर जंगल कोई,<br/>लोभ से फूल सब जानवर हो गए।// वाह</p>
<p></p>
<p>तोड़ने के सबक सीखते हैं जहाँ<br/>वो मकातिब सभी को नज़र हो गए।// बहुत खूब</p>
<p>सामयिक माहौल पर सटीक तंज करती रचना। बहुत बधाई आदरणीय भाई सतविन्दर जी</p> ग़ज़ल
212 212 212 212
फ़ायदा खुद…tag:openbooksonline.com,2020-02-09:5170231:Comment:10009102020-02-09T11:46:00.527Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>ग़ज़ल</p>
<p>212 212 212 212</p>
<p>फ़ायदा खुद का भी देख कर हो गए,<br/> कुछ इधर हो गए, कुछ उधर हो गए।</p>
<p></p>
<p>चश्म तो हैं खुले पर दिखे कुछ नहीं,<br/> रास्ते धुंध से तर-ब-तर हो गए।</p>
<p></p>
<p>आग से बुझ रही, आग जब पेट की,<br/> घी को ले कर खड़े आग पर हो गए।</p>
<p></p>
<p>बाग अब लग रहा घोर जंगल कोई,<br/> लोभ से फूल सब जानवर हो गए।</p>
<p></p>
<p>तोड़ने के सबक सीखते हैं जहाँ<br/> वो मकातिब सभी को नज़र हो गए।</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p>
<p>ग़ज़ल</p>
<p>212 212 212 212</p>
<p>फ़ायदा खुद का भी देख कर हो गए,<br/> कुछ इधर हो गए, कुछ उधर हो गए।</p>
<p></p>
<p>चश्म तो हैं खुले पर दिखे कुछ नहीं,<br/> रास्ते धुंध से तर-ब-तर हो गए।</p>
<p></p>
<p>आग से बुझ रही, आग जब पेट की,<br/> घी को ले कर खड़े आग पर हो गए।</p>
<p></p>
<p>बाग अब लग रहा घोर जंगल कोई,<br/> लोभ से फूल सब जानवर हो गए।</p>
<p></p>
<p>तोड़ने के सबक सीखते हैं जहाँ<br/> वो मकातिब सभी को नज़र हो गए।</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p>