"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-130 - Open Books Online2024-03-29T05:22:55Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/130-1?commentId=5170231%3AComment%3A1066471&x=1&feed=yes&xn_auth=noजी बहुत खूब लिखा आदरणीय लक्ष्…tag:openbooksonline.com,2021-08-15:5170231:Comment:10664712021-08-15T17:18:09.291ZKamal purohithttp://openbooksonline.com/profile/Kamalpurohit
<p>जी बहुत खूब लिखा आदरणीय लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>जी बहुत खूब लिखा आदरणीय लक्ष्मण धामी जी</p> रचना-प्रयास पर अपनी बात करते…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10663972021-08-14T18:27:24.758ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>रचना-प्रयास पर अपनी बात करते हुए हम तनिक संयत रहा करें आदरणीय. </p>
<p>आपका मंतव्य, या आपका कोई निजी आग्रह रचनात्मकता की सार्थक छोर पकड़ पाने को लेकर अभी आपके अभ्यास में सातत्य जोह रहा है, आदरणीय. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p>रचना-प्रयास पर अपनी बात करते हुए हम तनिक संयत रहा करें आदरणीय. </p>
<p>आपका मंतव्य, या आपका कोई निजी आग्रह रचनात्मकता की सार्थक छोर पकड़ पाने को लेकर अभी आपके अभ्यास में सातत्य जोह रहा है, आदरणीय. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> गेयता को साधती हुई यह रचना प्…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10663002021-08-14T18:21:49.667ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>गेयता को साधती हुई यह रचना प्रासंगिक बन पड़ी है, आदरणीय चेतन प्रकाश जी.. </p>
<p>शिल्प के प्रति सचेत रहा करें. अन्यथा, प्रयास नेष्ट होगा. </p>
<p></p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>गेयता को साधती हुई यह रचना प्रासंगिक बन पड़ी है, आदरणीय चेतन प्रकाश जी.. </p>
<p>शिल्प के प्रति सचेत रहा करें. अन्यथा, प्रयास नेष्ट होगा. </p>
<p></p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> अद्भुत रचना-प्रयास है, आदरणीय…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10663952021-08-14T18:17:34.562ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p style="text-align: left;">अद्भुत रचना-प्रयास है, आदरणीय लक्ष्मण धामीजी.. </p>
<p style="text-align: left;"></p>
<p style="text-align: left;"><span>आजाद आज हम हैं तो किस बात का है डर।</span><br></br><span>कर के विकास चाँद का करने लगे सफर।।</span><br></br><span>वो ही शहीद लाये थे लेकिन हमें इधर।</span><br></br><span>है आज करना उन का ही आभार याद कर।।</span><br></br><span>*</span><br></br><span>स्वाधीन करने देश को इतिहास कह रहा।</span><br></br><span>जितने भी कालापानी में गुमनाम मर गये।।... ... अनिर्वचनीय…</span></p>
<p style="text-align: left;">अद्भुत रचना-प्रयास है, आदरणीय लक्ष्मण धामीजी.. </p>
<p style="text-align: left;"></p>
<p style="text-align: left;"><span>आजाद आज हम हैं तो किस बात का है डर।</span><br/><span>कर के विकास चाँद का करने लगे सफर।।</span><br/><span>वो ही शहीद लाये थे लेकिन हमें इधर।</span><br/><span>है आज करना उन का ही आभार याद कर।।</span><br/><span>*</span><br/><span>स्वाधीन करने देश को इतिहास कह रहा।</span><br/><span>जितने भी कालापानी में गुमनाम मर गये।।... ... अनिर्वचनीय ! </span></p>
<p style="text-align: left;"></p>
<p style="text-align: left;">शुभ-शुभ</p>
<p style="text-align: left;"></p> आदरणीय भाई, मुसाफिर साहब, क्ष…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10664692021-08-14T18:12:47.025ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
आदरणीय भाई, मुसाफिर साहब, क्षमा दान करें परन्तु ग़ज़ल और गीत में कई मौलिक असमानताएं होती है ं, आप की प्रस्तुत रचना निसंदेह 221 2121 1221 212 के अवजान लेकर सुन्दर ग़ज़ल तो है, परन्तु अफसोस है, 'गीत' नही लगी! सादर !
आदरणीय भाई, मुसाफिर साहब, क्षमा दान करें परन्तु ग़ज़ल और गीत में कई मौलिक असमानताएं होती है ं, आप की प्रस्तुत रचना निसंदेह 221 2121 1221 212 के अवजान लेकर सुन्दर ग़ज़ल तो है, परन्तु अफसोस है, 'गीत' नही लगी! सादर ! गीत.....माँ का दामन खुशियों स…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10662972021-08-14T16:56:26.238ZChetan Prakashhttp://openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>गीत.....माँ का दामन खुशियों से भर दें !</p>
<p></p>
<p>पुनि पुनि नत मस्तक हों साथी</p>
<p>कुछ याद उन्हें भी कर लें !</p>
<p></p>
<p>भगत सिंह बिस्मिल हुए शहीद </p>
<p>आजादी की खातिर सुन लें</p>
<p>सुभाष वीर मौत चुन ली,</p>
<p>अब याद सभी को कर लें !</p>
<p></p>
<p>बलिदान खुदी को कर लें !!</p>
<p></p>
<p>कि अलख जगायी देश-विदेश </p>
<p>बन जापानी सुभाष ने </p>
<p>ऊधम ने ही डायर मारा,</p>
<p>कि लंदन जकड़ा मौत ने !</p>
<p></p>
<p>गाँधी हो प्रसाद मुखर्जी </p>
<p>कुछ याद उन्हें भी कर…</p>
<p>गीत.....माँ का दामन खुशियों से भर दें !</p>
<p></p>
<p>पुनि पुनि नत मस्तक हों साथी</p>
<p>कुछ याद उन्हें भी कर लें !</p>
<p></p>
<p>भगत सिंह बिस्मिल हुए शहीद </p>
<p>आजादी की खातिर सुन लें</p>
<p>सुभाष वीर मौत चुन ली,</p>
<p>अब याद सभी को कर लें !</p>
<p></p>
<p>बलिदान खुदी को कर लें !!</p>
<p></p>
<p>कि अलख जगायी देश-विदेश </p>
<p>बन जापानी सुभाष ने </p>
<p>ऊधम ने ही डायर मारा,</p>
<p>कि लंदन जकड़ा मौत ने !</p>
<p></p>
<p>गाँधी हो प्रसाद मुखर्जी </p>
<p>कुछ याद उन्हें भी कर लें</p>
<p></p>
<p>राजगुरु सुखदेव दीवाने</p>
<p>आजादी वो परवाने,</p>
<p>फाँसी की परवाह नहीं की</p>
<p>ऐसे थे वो मस्ताने !</p>
<p></p>
<p>सुनो सखा अलसाये हो क्या </p>
<p>अभी नव उत्साह भर लें !</p>
<p></p>
<p>स्वेद - बिन्दु माथे अब माँ के</p>
<p>हृदय रोष अन्तस कर लें !</p>
<p></p>
<p>काश्मीर अब फिर खतरे में</p>
<p>वीरों जोश जवानी भर लें !</p>
<p></p>
<p>माँ का दामन खुशियों भर दें !</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित </p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति स…tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10664652021-08-14T16:23:53.919ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। आपकी लेखनी को नमन।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। आपकी लेखनी को नमन।</p> गीत
देकर स्वयं के प्राण जो …tag:openbooksonline.com,2021-08-14:5170231:Comment:10665572021-08-14T14:23:33.431Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p dir="ltr">गीत</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">देकर स्वयं के प्राण जो स्वाधीन कर गये।<br></br> वो ही हमारी झोलियाँ खुशियों से भर गये।।<br></br> *<br></br> कितने दिलों में जुल्म से लड़ने की थी अगन।<br></br> कितने जवान मौत से करते गये लगन।।<br></br> जिन की बनायी नींव पे रचता गया वतन।<br></br> अवसर है आज साथियों उनको करें नमन।।<br></br> *<br></br> मरना भी उनका जीने से सच है कि श्रेष्ठ था।<br></br> मर कर शहीद देश पे जो हो अमर गये।।<br></br> *<br></br> झाँसी में रानी लक्ष्मी संथाल विरसा का।<br></br> तात्या थे साथ नाना …</p>
<p dir="ltr">गीत</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">देकर स्वयं के प्राण जो स्वाधीन कर गये।<br/> वो ही हमारी झोलियाँ खुशियों से भर गये।।<br/> *<br/> कितने दिलों में जुल्म से लड़ने की थी अगन।<br/> कितने जवान मौत से करते गये लगन।।<br/> जिन की बनायी नींव पे रचता गया वतन।<br/> अवसर है आज साथियों उनको करें नमन।।<br/> *<br/> मरना भी उनका जीने से सच है कि श्रेष्ठ था।<br/> मर कर शहीद देश पे जो हो अमर गये।।<br/> *<br/> झाँसी में रानी लक्ष्मी संथाल विरसा का।<br/> तात्या थे साथ नाना के लड़ने डटे सदा।।<br/> मंगल ने शंख फूँका था मेरठ में क्राति का।<br/> फूटा था उस से मुक्ति का नूतन जो रास्ता।।<br/> *<br/> था देश प्रेम सब के ही दिल में उमड़ पड़ा।<br/> लाखों युवा जो उस पे ही बढ़ते निडर गये।।<br/> *<br/> आजाद देश मुक्ति को आजाद ही लड़े।<br/> बिस्मिल भगत के साथ में सुखदेव जो खड़े।।<br/> गुरु थे वो राज देश के कमसिन बहुत बड़े।<br/> बटुकेश दत्त साथ खुदीराम चल पड़े।।<br/> *<br/> कैसे अजब थे लोग वो इस देश के लिए।<br/> चढ़कर जो सूली लोक के दिल में उतर गये।।<br/> *<br/> अशफाक उल्ला खान हो रोशन या लाहिड़ी।<br/> उट्ठे तिलक के साथ ही लड़ने को केसरी।।<br/> अनगिन अनाम लटके जो इमली पे बावनी।<br/> उन की लिखेगा खोज के कोई तो जीवनी।।<br/> *<br/> बलिदान उन का सीख है देता हमें सनम।<br/> देने को खाद पेड़ को पत्ते जो झर गये।।<br/> *<br/> हसरत महल हों कामा हों अरविन्द, गोखले।<br/> मातंगिनी, कनकलता, सहगल के हौसले।।<br/> गाँधी, विपिन<u>,</u> सुनीति, उधम राह जिस चले।<br/> खुद ही सिमट के घट गये मंजिल के फासले।।<br/> *<br/> बल्लभ हों सूर्यसेन या फिर शान्तिघोष हों।<br/> चहुँ ओर सब के नाम के झण्डे फहर गये।।<br/> *<br/> नेता सुभाष, भगवती जुल्मों से लड़ने को।<br/> ललकारते सुभाष थे दिल्ली यूँ चलने को।।<br/> सूरज था जिनका बोलते आये न ढलने को।<br/> मजबूर कर दिया था उन्हें यूँ विचलने को।।<br/> *<br/> जलियाँ का बाग आज भी इसका गवाह है।<br/> करते फिरंगी जुल्म थे चाहे जिधर गये।।<br/> *<br/> आजाद आज हम हैं तो किस बात का है डर।<br/> कर के विकास चाँद का करने लगे सफर।।<br/> वो ही शहीद लाये थे लेकिन हमें इधर।<br/> है आज करना उन का ही आभार याद कर।।<br/> *<br/> स्वाधीन करने देश को इतिहास कह रहा।<br/> जितने भी कालापानी में गुमनाम मर गये।।<br/> *<br/> मौलिक/अप्रकाशित</p> स्वागत है..
tag:openbooksonline.com,2021-08-13:5170231:Comment:10664572021-08-13T18:36:19.863ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>स्वागत है.. </p>
<p></p>
<p>स्वागत है.. </p>
<p></p>