"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-132 - Open Books Online2024-03-29T15:53:59Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/132?commentId=5170231%3AComment%3A1062614&feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10625432021-06-26T18:29:21.366ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-132 को सफल बनाने के लिये सभी ग़ज़लकारों का आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-132 को सफल बनाने के लिये सभी ग़ज़लकारों का आभार व धन्यवाद ।</p> 'वज्ह भी तो हो कोई हद से गुजर…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10627102021-06-26T18:27:38.598ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>'वज्ह भी तो हो कोई हद से गुजरने के लिए'</span></p>
<p><span>ये मिसरा अब ठीक है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>//जो अंत में एक मात्रा अधिक लेने की छूट है क्या वो अलग से अक्षर नहीं हो सकता समर साहब//</span></p>
<p>अलग से कोई शब्द उस छूट में कैसे शामिल होगा,जबकि बह्र पूरी हो चुकी हो,ऐसा करना आपके मिसरे की सुंदरता ख़त्म कर रहा है,ग़ौर करें ।</p>
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<p><span>'वज्ह भी तो हो कोई हद से गुजरने के लिए'</span></p>
<p><span>ये मिसरा अब ठीक है ।</span></p>
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<p><span>//जो अंत में एक मात्रा अधिक लेने की छूट है क्या वो अलग से अक्षर नहीं हो सकता समर साहब//</span></p>
<p>अलग से कोई शब्द उस छूट में कैसे शामिल होगा,जबकि बह्र पूरी हो चुकी हो,ऐसा करना आपके मिसरे की सुंदरता ख़त्म कर रहा है,ग़ौर करें ।</p>
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<p></p> आपकी जानकारी के लिये बता दूँ…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10627092021-06-26T18:20:49.434Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p><span>आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि इस मिसरे में सहीह लफ़्ज़ "वज्ह" 21 है //</span></p>
<p></p>
<p>तो ऐसे कर दें कि :</p>
<p></p>
<p>वज्ह भी तो हो कोई हद से गुजरने के लिए .</p>
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<p>जो अंत में एक मात्रा अधिक लेने की छूट है क्या वो अलग से अक्षर नहीं हो सकता समर साहब. कृपया बताएं </p>
<p><span>आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि इस मिसरे में सहीह लफ़्ज़ "वज्ह" 21 है //</span></p>
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<p>तो ऐसे कर दें कि :</p>
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<p>वज्ह भी तो हो कोई हद से गुजरने के लिए .</p>
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<p>जो अंत में एक मात्रा अधिक लेने की छूट है क्या वो अलग से अक्षर नहीं हो सकता समर साहब. कृपया बताएं </p> धन्यवाद लक्ष्मण जी tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10623902021-06-26T18:18:23.340Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>धन्यवाद लक्ष्मण जी </p>
<p>धन्यवाद लक्ष्मण जी </p> इन उत्साहवर्धक शब्दों के लिए…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10627082021-06-26T18:17:57.451Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>इन उत्साहवर्धक शब्दों के लिए धन्यवाद मुनीश जी </p>
<p>इन उत्साहवर्धक शब्दों के लिए धन्यवाद मुनीश जी </p> आपका अत्यंत आभार ऋचा जी tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10625422021-06-26T18:17:27.384Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>आपका अत्यंत आभार ऋचा जी </p>
<p>आपका अत्यंत आभार ऋचा जी </p> जी बहुत शुक्रिया अनीस जी tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10627072021-06-26T18:17:05.663Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>जी बहुत शुक्रिया अनीस जी </p>
<p>जी बहुत शुक्रिया अनीस जी </p> बहुत बहुत आभार समर साहब. आप क…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10625062021-06-26T18:16:47.132Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>बहुत बहुत आभार समर साहब. आप का एक एक शब्द हमें और बेहतरी की और ले जाता है.</p>
<p>कौशिश रहती हैं निरंतर सक्रीय रहने की पर कभी कभी मसरुफ़ियत ऐसी हो जाती है कि चाह कर भी हो नहीं पाता. और जिसे हम खुद ही हल्का महसूस करें उसे अब यहाँ लाने का हौसला भी नहीं होता.</p>
<p>प्रयास रहेगा और निरंतरता आये</p>
<p>पुनः आभार आपका </p>
<p>बहुत बहुत आभार समर साहब. आप का एक एक शब्द हमें और बेहतरी की और ले जाता है.</p>
<p>कौशिश रहती हैं निरंतर सक्रीय रहने की पर कभी कभी मसरुफ़ियत ऐसी हो जाती है कि चाह कर भी हो नहीं पाता. और जिसे हम खुद ही हल्का महसूस करें उसे अब यहाँ लाने का हौसला भी नहीं होता.</p>
<p>प्रयास रहेगा और निरंतरता आये</p>
<p>पुनः आभार आपका </p> बेहद आभार राजेश जी. आपने बहुत…tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10625052021-06-26T18:14:24.517Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>बेहद आभार राजेश जी. आपने बहुत हौसला दिया </p>
<p>बेहद आभार राजेश जी. आपने बहुत हौसला दिया </p> शुक्रिया दण्डपाणी जी tag:openbooksonline.com,2021-06-26:5170231:Comment:10623892021-06-26T18:13:57.862Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>शुक्रिया दण्डपाणी जी </p>
<p>शुक्रिया दण्डपाणी जी </p>