"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-133 - Open Books Online2024-03-29T11:48:56Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/133-1?commentId=5170231%3AComment%3A1073343&x=1&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी जी, मैं प…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10733432021-11-14T17:46:57.311ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, मैं पिछले चार पांच कार्यक्रमो से देख रहा हूं कि कभी दो, कभी तीन या चार पोस्ट होती है जिन पर टिप्पणी करने वालों का भी अभाव होता है। इसीलिए मुझे आज कहना पड़ा कि या तो इसे बंद कर दिया जाये या इसे लोकप्रिय बनाने का कार्यक्रम बनाया जाये। सीखने सिखाने का प्रयास तो तब होगा जब पोस्ट भी हो और टिप्पणी करने वाले भी। जैसे तरही ग़ज़ल कार्यक्रम में लोग भाग लेते है और भाग लेने वालों से अधिक टिप्पणी करने वाले होते है। कुछ उस प्रकार इसमें भी हो तो अच्छा है। टिप्पणी करने वाले और सुझाव…</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, मैं पिछले चार पांच कार्यक्रमो से देख रहा हूं कि कभी दो, कभी तीन या चार पोस्ट होती है जिन पर टिप्पणी करने वालों का भी अभाव होता है। इसीलिए मुझे आज कहना पड़ा कि या तो इसे बंद कर दिया जाये या इसे लोकप्रिय बनाने का कार्यक्रम बनाया जाये। सीखने सिखाने का प्रयास तो तब होगा जब पोस्ट भी हो और टिप्पणी करने वाले भी। जैसे तरही ग़ज़ल कार्यक्रम में लोग भाग लेते है और भाग लेने वालों से अधिक टिप्पणी करने वाले होते है। कुछ उस प्रकार इसमें भी हो तो अच्छा है। टिप्पणी करने वाले और सुझाव देने वाले होंगे तो पोस्ट करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। सादर।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी,…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10732002021-11-14T17:45:46.975ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p> आदरणीय चौथमल जैन जी, दोहा छंद…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10732442021-11-14T17:44:39.940ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय चौथमल जैन जी, दोहा छंद आधारित सुंदर रचना के लिए धन्यवाद। रचना पोस्ट करने के लिए भी धन्यवाद। लेकिन सोंच शब्द सही नहीं। आपने चोंच से तुकांत मिलाने के लिए ऐसा किया है पर ये ठीक नहीं है। सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय चौथमल जैन जी, दोहा छंद आधारित सुंदर रचना के लिए धन्यवाद। रचना पोस्ट करने के लिए भी धन्यवाद। लेकिन सोंच शब्द सही नहीं। आपने चोंच से तुकांत मिलाने के लिए ऐसा किया है पर ये ठीक नहीं है। सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।</p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सावधा…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10731992021-11-14T17:33:01.577ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सावधानी दुर्घटना से बचाती है। इसी तरह आपकी रचना अति सुंदर सीख भरी है। आज जब लोग कोरोना के प्रति लापरवाह हो गये है और मास्क लगाने वाले भी कम हो रहे है तो ऐसे समय में आपकी रचना महत्वपूर्ण् एवं सामयिक रचना है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सावधानी दुर्घटना से बचाती है। इसी तरह आपकी रचना अति सुंदर सीख भरी है। आज जब लोग कोरोना के प्रति लापरवाह हो गये है और मास्क लगाने वाले भी कम हो रहे है तो ऐसे समय में आपकी रचना महत्वपूर्ण् एवं सामयिक रचना है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी,…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10731982021-11-14T17:23:21.050ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट नहीं हो रही है और ना ही टिप्पणी करने वाले आते है तो फिर रूचि कम होना या खतम होना ही कहा जायेगा। आपनी टिप्पणी कर अपने विचार रखे और सुझाव दिये उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट नहीं हो रही है और ना ही टिप्पणी करने वाले आते है तो फिर रूचि कम होना या खतम होना ही कहा जायेगा। आपनी टिप्पणी कर अपने विचार रखे और सुझाव दिये उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10731962021-11-14T17:05:13.795ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।</p> दोहा छंद
चिड़ियाँ गड़ती नीड़ है…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10732392021-11-14T16:53:59.314Zchouthmal jainhttp://openbooksonline.com/profile/chouthmaljain
<p>दोहा छंद </p>
<p>चिड़ियाँ गड़ती नीड़ है , तिनके -तिनके जोड़ | </p>
<p>अण्डे देती नीड़ में , सेत रेन से भोर || </p>
<p>दाने लाती दूर से , पुत्र प्रेम की सोंच | </p>
<p>देती दाने चोंच में ,डाल चोंच में चोंच || </p>
<p>उड़ना सिखलाती उसे ,ले अम्बर में साथ | </p>
<p>जाता उड़कर छोड़ तब , आता है ना हाथ ||</p>
<p>सूना -सूना नीड़ है ,अंखियाँ अंश्रु धार | </p>
<p>बैठी वो गमगीन है ,अपने मन को मार ||</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित </p>
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<p>दोहा छंद </p>
<p>चिड़ियाँ गड़ती नीड़ है , तिनके -तिनके जोड़ | </p>
<p>अण्डे देती नीड़ में , सेत रेन से भोर || </p>
<p>दाने लाती दूर से , पुत्र प्रेम की सोंच | </p>
<p>देती दाने चोंच में ,डाल चोंच में चोंच || </p>
<p>उड़ना सिखलाती उसे ,ले अम्बर में साथ | </p>
<p>जाता उड़कर छोड़ तब , आता है ना हाथ ||</p>
<p>सूना -सूना नीड़ है ,अंखियाँ अंश्रु धार | </p>
<p>बैठी वो गमगीन है ,अपने मन को मार ||</p>
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<p>मौलिक व अप्रकाशित </p>
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<p></p> संयम नियम सावधानी और मास्क जर…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10731892021-11-14T14:14:39.909Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span style="font-size: 10pt;"><strong>संयम नियम सावधानी और मास्क जरूरी है</strong></span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">जब शत्रु हमें दिखाई न दे, हर पल डरना जरूरी है।</span><br></br> <span style="font-size: 10pt;">आस पास ही घूम रहा है, घर में रहना जरूरी है॥</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">नित्य घरेलू उपायों से, वायरस से लड़ना जरूरी है।</span> <br></br> <span style="font-size: 10pt;">शाम सबेरे राधेकृष्ण को, हर दिन जपना जरूरी है॥…</span></p>
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<p><span style="font-size: 10pt;"><strong>संयम नियम सावधानी और मास्क जरूरी है</strong></span></p>
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<p><span style="font-size: 10pt;">जब शत्रु हमें दिखाई न दे, हर पल डरना जरूरी है।</span><br/> <span style="font-size: 10pt;">आस पास ही घूम रहा है, घर में रहना जरूरी है॥</span></p>
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<p><span style="font-size: 10pt;">नित्य घरेलू उपायों से, वायरस से लड़ना जरूरी है।</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">शाम सबेरे राधेकृष्ण को, हर दिन जपना जरूरी है॥</span></p>
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<p><span style="font-size: 10pt;">मास्क लगाएँ गले ना मिलें, दूरी रखना जरूरी है।</span><br/> <span style="font-size: 10pt;">सेनेटाइजर से बार बार, हाथों को मलना जरूरी है।।</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">जो संयम और नियम बताएँ, पालन करना जरूरी है।</span><br/> <span style="font-size: 10pt;">परेशान हैं गाँव शहर पर, कुछ दिन सहना जरूरी है॥</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">भजन आरती साथ शंख का, हर दिन बजना जरूरी है।</span><br/> <span style="font-size: 10pt;">एक साथ हनुमान चालीसा, हर दिन कहना जरूरी है।।</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">मौलिक अप्रकाशित</span></p> आदाब दयाराम जी। बहुत बढ़िया रच…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10730932021-11-14T13:47:07.567ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदाब दयाराम जी। बहुत बढ़िया रचना। लेकिन कुर्सी अब बैंच बन गई है। एक.व्यक्ति बैठा दिखाई देता है, लेकिन उस पर दो-चार और.बैठे होते हैं, जो दिखाई दे रहे को कठपुतली नृत्य कराते रहते हैं। जनता हतप्रभ रह बैंच को पूजती रह जाती है।
आदाब दयाराम जी। बहुत बढ़िया रचना। लेकिन कुर्सी अब बैंच बन गई है। एक.व्यक्ति बैठा दिखाई देता है, लेकिन उस पर दो-चार और.बैठे होते हैं, जो दिखाई दे रहे को कठपुतली नृत्य कराते रहते हैं। जनता हतप्रभ रह बैंच को पूजती रह जाती है। आदाब। रुचि ख़त्म नहीं हुई है।…tag:openbooksonline.com,2021-11-14:5170231:Comment:10732272021-11-14T13:43:03.255ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदाब। रुचि ख़त्म नहीं हुई है। ओबीओ के मासिक आयोजनों कोअपडेटेड कर नया स्वरूप देने की ज़रूरत महसूस हो रही है। मसलन वीडियो आयोजन या फेसबुक पर समानान्तर आयोजन या रचनाओं पर आधारित विशेषज्ञों का विवेचनात्मक आयोजन भी हो व उन पर आधारित संकलन पुस्तक का वार्षिक प्रकाशन भी हो आदि।
आदाब। रुचि ख़त्म नहीं हुई है। ओबीओ के मासिक आयोजनों कोअपडेटेड कर नया स्वरूप देने की ज़रूरत महसूस हो रही है। मसलन वीडियो आयोजन या फेसबुक पर समानान्तर आयोजन या रचनाओं पर आधारित विशेषज्ञों का विवेचनात्मक आयोजन भी हो व उन पर आधारित संकलन पुस्तक का वार्षिक प्रकाशन भी हो आदि।