"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-37 (विषय: भारत) - Open Books Online2024-03-28T16:48:24Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/37-3?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noभारत एक खोज
क्लास में सोनू अप…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9277482018-04-30T18:21:17.827ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>भारत एक खोज</p>
<p>क्लास में सोनू अपनी किताब में बहुत देर से कुछ ढूँढ रहा था, और मन ही मन कुछ बड़बड़ा रहा था| उसके साथ बैठा उसका सहपाठी का ध्यान उसपर पड़ा, सोनू का ध्यान क्लास में पढ़ाये जा रहे विषय से अलग इतिहास की किताब में था, उसके सामने भारत का नक्शा था, उसको बड़बड़ाता देख उसके सहपाठी ने जिज्ञासावश पूछा," सोनू! ये तुम क्या कर रहे हो? मैडम की नज़र भी तुमपर है पर एक तुम हो की.." उसकी बात ख़तम भी न हुई थी कि उन्होंने अपनी टीचर को अपने समीप पाया, जो गुस्से से लाल पीली हो रही थीं, उन्होंने कहा,"…</p>
<p>भारत एक खोज</p>
<p>क्लास में सोनू अपनी किताब में बहुत देर से कुछ ढूँढ रहा था, और मन ही मन कुछ बड़बड़ा रहा था| उसके साथ बैठा उसका सहपाठी का ध्यान उसपर पड़ा, सोनू का ध्यान क्लास में पढ़ाये जा रहे विषय से अलग इतिहास की किताब में था, उसके सामने भारत का नक्शा था, उसको बड़बड़ाता देख उसके सहपाठी ने जिज्ञासावश पूछा," सोनू! ये तुम क्या कर रहे हो? मैडम की नज़र भी तुमपर है पर एक तुम हो की.." उसकी बात ख़तम भी न हुई थी कि उन्होंने अपनी टीचर को अपने समीप पाया, जो गुस्से से लाल पीली हो रही थीं, उन्होंने कहा," सोनू! व्हाट आर यू अपटू एंड व्हाट इस थिस? आई ऍम टीचिंग यू इंग्लिश एंड लुक एट योरसेल्फ यू हैव ओपेन्ड योर हिस्ट्री बुक| हाउ डेर यू ...|" <br/>"ओह! सॉरी मैडम| मैडम! क्या सच में अपना देश भारत ही है?"<br/>"यह कैसा प्रश्न है सोनू? हाँ! भारत ही अपना देश है| पर यह सवाल तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? और मैं तो तुमको हिस्ट्री पढ़ाती भी नहीं|" <br/>"वो .. मैडम मेरे दादाजी ने मुझसे कहा कि आज तुम लोग आज़ाद हो,हमारे ज़माने में स्कूल जाना मुश्किल होता था| आज़ादी की लड़ाई के लिए हर बच्चा अपने वतन पर मर मिटने को तैयार रहता था, अंग्रेजो के जुल्म बढ़ते जा रहे थे पर भारत के लोगों में क्रांति का बीज अब अपनी ज़मीन चाहता था, और उसके लिए हर आयु के लोग तैयार थे|"<br/>"तुम्हारे दादाजी ठीक कहते हैं सोनू| पर इस इंडिया में मैप में तुम क्या तलाश रहे हो?"<br/>"मैं उस भारत और भारत के लोगों को इस मैप में तलाश रहा हूँ, मुझे मिल जायेंगे न आज भी ऐसे भारत वासी|"<br/>मैडम निरुत्तर ....</p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p> बहुत बेहतरीन सृजन के लिए तहे…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9278212018-04-30T18:13:26.897ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया। अधिक जानकारी न होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं, लेकिन बिम्ब लेते हुए अनूठी रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह जी। भाषा परिवर्तन से भावाव्यक्ति और उस भाषा के संस्कारों में गहरा संबंध कहा जाता है, जिसका ज्ञान व सम्मान किया जाना चाहिए। सादर।</p>
<p>बहुत बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया। अधिक जानकारी न होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं, लेकिन बिम्ब लेते हुए अनूठी रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह जी। भाषा परिवर्तन से भावाव्यक्ति और उस भाषा के संस्कारों में गहरा संबंध कहा जाता है, जिसका ज्ञान व सम्मान किया जाना चाहिए। सादर।</p> बहुत बढ़िया पेशकश। उम्दा प्रस…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9275592018-04-30T18:08:01.015ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी।</p>
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी।</p> बहुत ही भिन्न, बहुत बढ़िया उम…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9275582018-04-30T18:06:52.726ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत ही भिन्न, बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नीलेश शेव्गांवकर 'नूर' साहिब।</p>
<p>बहुत ही भिन्न, बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नीलेश शेव्गांवकर 'नूर' साहिब।</p> आपको लघुकथा लिखते देख और पढ़कर…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9277472018-04-30T17:50:31.826ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आपको लघुकथा लिखते देख और पढ़कर बहुत ख़ुशी हो रही है आदरणीय निलेश जी| हार्दिक बधाई इस प्रयास के लिए| और आपके मकसद के लिए भी :)</p>
<p>आपको लघुकथा लिखते देख और पढ़कर बहुत ख़ुशी हो रही है आदरणीय निलेश जी| हार्दिक बधाई इस प्रयास के लिए| और आपके मकसद के लिए भी :)</p> बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक ब…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9276582018-04-30T17:48:46.223ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी |</p>
<p>बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी |</p> बहुत सुंदर और सही बात कही है…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9276572018-04-30T17:46:50.851ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>बहुत सुंदर और सही बात कही है आपने आदरणीय मनन कुमार जी | हार्दिक बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए|</p>
<p>बहुत सुंदर और सही बात कही है आपने आदरणीय मनन कुमार जी | हार्दिक बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए|</p> यथार्थ! ऐसा ही होता है| आखरी…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9278192018-04-30T17:44:27.331ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>यथार्थ! ऐसा ही होता है| आखरी पंक्ति कथा की जान है| हार्दिक हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील भैया| </p>
<p>यथार्थ! ऐसा ही होता है| आखरी पंक्ति कथा की जान है| हार्दिक हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील भैया| </p> हार्दिक आभार आदरणीय विजय शंकर…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9277462018-04-30T17:39:19.289ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>हार्दिक आभार आदरणीय विजय शंकर जी ।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय विजय शंकर जी ।</p> बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहन बे…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9278162018-04-30T17:38:30.127ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ।</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ।</p>