"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-39 (विषय: समीकरण") - Open Books Online2024-03-28T08:13:26Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/39-3?commentId=5170231%3AComment%3A937585&feed=yes&xn_auth=noक्योंकि मैंने गोट ही ऐसी बिछा…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9380392018-06-30T18:43:58.005ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p><span>क्योंकि मैंने गोट ही ऐसी बिछायी है।” थानेदार ने तफ़्सील से अपनी योजना बतानी शुरू की कि वह कैसे उन दोनों के पास अलग-अलग गया और कैसे दोनों के पास चारों विकल्प रखे, “देखो, तुम्हारे पास केवल चार विकल्प हैं। पहला, अगर तुमने यह मान लिया कि तुम दोनों ने मिलकर उस आदमी का ख़ून किया है और अगर तुम्हारे साथी ने नहीं माना तो तुम्हें फ़ौरन छोड़ देंगे लेकिन तुम्हारे साथी को दस साल की जेल होगी। दूसरा, अगर तुमने नहीं माना कि तुम दोनों ने मिलकर उस आदमी का ख़ून किया है और अगर तुम्हारे साथी ने यह मान लिया…</span></p>
<p><span>क्योंकि मैंने गोट ही ऐसी बिछायी है।” थानेदार ने तफ़्सील से अपनी योजना बतानी शुरू की कि वह कैसे उन दोनों के पास अलग-अलग गया और कैसे दोनों के पास चारों विकल्प रखे, “देखो, तुम्हारे पास केवल चार विकल्प हैं। पहला, अगर तुमने यह मान लिया कि तुम दोनों ने मिलकर उस आदमी का ख़ून किया है और अगर तुम्हारे साथी ने नहीं माना तो तुम्हें फ़ौरन छोड़ देंगे लेकिन तुम्हारे साथी को दस साल की जेल होगी। दूसरा, अगर तुमने नहीं माना कि तुम दोनों ने मिलकर उस आदमी का ख़ून किया है और अगर तुम्हारे साथी ने यह मान लिया तो तुम्हें दस साल की जेल होगी और तुम्हारे साथी को फ़ौरन छोड़ दिया जाएगा। तीसरा, अगर तुम दोनों ने ही मान लिया कि तुम दोनों ने मिलकर उसका ख़ून किया है तो मैं ऐसा केस बनाऊँगा कि तुम दोनों को केवल तीन साल की जेल होगी या यह भी हो सकता है कि कोई मुफ़ीद जज मिल जाए तो हम तुम दोनों की सज़ा ही माफ़ करवा दें। और चौथा, अगर तुम दोनों में से किसी ने नहीं माना कि तुम दोनों ने उसका ख़ून किया है तो तुम दोनों को मैं ख़ुद कम से कम सात साल की जेल करवाऊँगा। बाकी तुम ख़ुद समझदार हो। तुम्हारे पास सिर्फ़ सुबह तक का समय है।” </span></p>
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<p>क्या इतना बड़ी स्टेटमेंट ठीक होगी लघुकथा में? सादर </p> बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधा…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9377812018-06-30T18:40:42.363ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीया <strong>अपर्णा गुप्ता</strong> जी।</p>
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीया <strong>अपर्णा गुप्ता</strong> जी।</p> उलझी हुई सी लगी यह लघुकथा आदर…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9379702018-06-30T18:39:45.169ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>उलझी हुई सी लगी यह लघुकथा आदरणीय शशि बंसल जी| सादर|</p>
<p>उलझी हुई सी लगी यह लघुकथा आदरणीय शशि बंसल जी| सादर|</p> बेहतरीन संकेतात्मक संदेश वाहक…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9378752018-06-30T18:38:41.347ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बेहतरीन संकेतात्मक संदेश वाहक सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीया <em><strong>प्रतिभा पाण्डेय</strong></em> जी।</p>
<p>बेहतरीन संकेतात्मक संदेश वाहक सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीया <em><strong>प्रतिभा पाण्डेय</strong></em> जी।</p> वाह| सुंदर लघुकथा हुई है आदरण…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9377802018-06-30T18:36:29.348ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>वाह| सुंदर लघुकथा हुई है आदरणीय मोहन बेगोवाल जी \ बधाई स्वीकारें|</p>
<p>वाह| सुंदर लघुकथा हुई है आदरणीय मोहन बेगोवाल जी \ बधाई स्वीकारें|</p> हार्दिक आभार आदरणीया कनक हरलल…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9379692018-06-30T18:36:27.814ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हार्दिक आभार आदरणीया <strong>कनक हरलल्का</strong> जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीया <strong>कनक हरलल्का</strong> जी।</p> हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9377792018-06-30T18:35:36.590ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय <strong>तेजवीर सिंह</strong> जी।</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय <strong>तेजवीर सिंह</strong> जी।</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नी…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9377782018-06-30T18:34:46.532ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नीलम उपाध्याय जी।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नीलम उपाध्याय जी।</p> पात्रों की अधिकता से बोजिल हो…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9379682018-06-30T18:33:52.496ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>पात्रों की अधिकता से बोजिल हो रही है लघुकथा कुछ उलझी हुई सी प्रतीत हुई है| सादर </p>
<p>पात्रों की अधिकता से बोजिल हो रही है लघुकथा कुछ उलझी हुई सी प्रतीत हुई है| सादर </p> हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बरखा…tag:openbooksonline.com,2018-06-30:5170231:Comment:9378742018-06-30T18:33:52.284ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बरखा शुक्ल जी।</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बरखा शुक्ल जी।</p>