"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-49 (विषय प्रेरणा) - Open Books Online2024-03-28T10:10:16Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/49-5?id=5170231%3ATopic%3A980920&feed=yes&xn_auth=noरचना पर प्रोत्साहन के लिये शु…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9833202019-04-30T17:11:58.704ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>रचना पर प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया भाई तेजवीर सिंह जी। सादर। </p>
<p>रचना पर प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया भाई तेजवीर सिंह जी। सादर। </p> रचना पर आपकी सुंदर टिप्पणी के…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9833192019-04-30T17:10:52.880ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>रचना पर आपकी सुंदर टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार शहजाद उस्मानी भाई। आप का प्रश्न ग़ौरतलब है। लघुकथा में संवाद के दौरान शब्दों का बहुत अधिक महत्व होता हैं। प्रस्तुत रचना में दोनों पात्रों के परिवेश और उनके पेशे के मद्देनजर मैंने वही बोलचाल के शब्द प्रयोग करने का प्रयास किया है जो उचित लग रहे हों। अब मैं कितना सफल हुआ, कह नहीं सकता। रचना पर आगमन के लिये फिर से आभार। </p>
<p>रचना पर आपकी सुंदर टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार शहजाद उस्मानी भाई। आप का प्रश्न ग़ौरतलब है। लघुकथा में संवाद के दौरान शब्दों का बहुत अधिक महत्व होता हैं। प्रस्तुत रचना में दोनों पात्रों के परिवेश और उनके पेशे के मद्देनजर मैंने वही बोलचाल के शब्द प्रयोग करने का प्रयास किया है जो उचित लग रहे हों। अब मैं कितना सफल हुआ, कह नहीं सकता। रचना पर आगमन के लिये फिर से आभार। </p> इस लेखकीय शैली के बारे में इत…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9831262019-04-30T17:06:08.629ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>इस लेखकीय शैली के बारे में इतनी अच्छी तरह मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी।</p>
<p>इस लेखकीय शैली के बारे में इतनी अच्छी तरह मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी।</p> रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9830552019-04-30T17:02:59.235ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिये दिल से शुक्रिया आदरणीय सलीम रजा भाई जी। सादर
रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिये दिल से शुक्रिया आदरणीय सलीम रजा भाई जी। सादर आदाब। रचना का अवलोकन कर व इसे…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9832272019-04-30T17:02:42.134ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना का अवलोकन कर व इसे पसंद कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।</p>
<p>आदाब। रचना का अवलोकन कर व इसे पसंद कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।</p> भाई शेख शहजाद उस्मानी जी, हाल…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9833182019-04-30T17:01:40.326ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
भाई शेख शहजाद उस्मानी जी, हालांकि किसी रचना में जब संवाद दो पात्रों के बीच में होते हैं, तो पाठक के लिये उन्हें समझना सहज ही आसान होता है। लेकिन यहां दोनों पात्रों में से एक यानी खान साहब के नजरिये से रचना को प्रस्तुत करने का (या कहें उन्ही के शब्दों में कहने का ) प्रयास हुआ है। इसे आप एक लेखकीय शैली कह सकते है जिसमे रचनाकार (अर्थार्त मैं) पाठक को कहानी से जोड़ना चाहता है, जो कि मात्र संवाद शैली में बहुत अधिक संभव नहीं होता। ( यह मेरी निजि सोच के अनुसार आपको उत्तर दिया गया है। वरिष्ठ गुणीजन…
भाई शेख शहजाद उस्मानी जी, हालांकि किसी रचना में जब संवाद दो पात्रों के बीच में होते हैं, तो पाठक के लिये उन्हें समझना सहज ही आसान होता है। लेकिन यहां दोनों पात्रों में से एक यानी खान साहब के नजरिये से रचना को प्रस्तुत करने का (या कहें उन्ही के शब्दों में कहने का ) प्रयास हुआ है। इसे आप एक लेखकीय शैली कह सकते है जिसमे रचनाकार (अर्थार्त मैं) पाठक को कहानी से जोड़ना चाहता है, जो कि मात्र संवाद शैली में बहुत अधिक संभव नहीं होता। ( यह मेरी निजि सोच के अनुसार आपको उत्तर दिया गया है। वरिष्ठ गुणीजन मित्र इस की व्याख्या कैसे करते हैं , कह नहीं सकता। ) सादर। प्रोत्साहन के लिये आभार बबिता…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9832262019-04-30T16:52:24.903ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
प्रोत्साहन के लिये आभार बबिता जी। सादर।
प्रोत्साहन के लिये आभार बबिता जी। सादर। आभार आदरणीया।tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9830542019-04-30T16:41:33.501ZManan Kumar singhhttp://openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आभार आदरणीया।</p>
<p>आभार आदरणीया।</p> आदरणीय बबिता जी आप का हार्दिक…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9832232019-04-30T15:36:26.466ZOmprakash Kshatriyahttp://openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>आदरणीय बबिता जी आप का हार्दिक आभार . आप ने लघुकथा पर अमूल्य मत प्रदान कर मेरी हौसला अफजाई की हैं. </p>
<p>आदरणीय बबिता जी आप का हार्दिक आभार . आप ने लघुकथा पर अमूल्य मत प्रदान कर मेरी हौसला अफजाई की हैं. </p> बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वी…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9833142019-04-30T15:02:34.384Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय वीरेंद्र सरजी।</p>
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<p>बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय वीरेंद्र सरजी।</p>
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