सीतापुर में आयोजित ओ बी ओ काव्य समारोह में जनकवि आलोक सीतापुरी पुनः सम्मानित ! - Open Books Online2024-03-29T12:04:35Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:222654?commentId=5170231%3AComment%3A222960&x=1&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अम्बरीष सर साहित्य के…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2229602012-05-07T18:05:08.951ZCA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU'http://openbooksonline.com/profile/SHAILENDRAKUMARSINGHMRIDU
<p>आदरणीय अम्बरीष सर साहित्य के प्रति आपकी चेतना तो प्रणम्य है,एक अनूठी पहल और बड़े ही भव्य कार्यक्रम पर शत-शत नमन आपको,</p>
<p>आदरणीय अम्बरीष सर साहित्य के प्रति आपकी चेतना तो प्रणम्य है,एक अनूठी पहल और बड़े ही भव्य कार्यक्रम पर शत-शत नमन आपको,</p> स्वागतम भाई अरुण जी ! इन बेशक…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2230262012-05-07T17:54:32.206ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागतम भाई अरुण जी ! इन बेशकीमती वचनों के लिए आपका हार्दिक आभार मित्रवर ! जय ओ बी ओ !</p>
<p>स्वागतम भाई अरुण जी ! इन बेशकीमती वचनों के लिए आपका हार्दिक आभार मित्रवर ! जय ओ बी ओ !</p> क्या कह रहे हैं आदरणीय ......…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2230232012-05-07T17:53:22.261ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>क्या कह रहे हैं आदरणीय ......आप ऋणी क्यों होते हैं ? भाई जी जब आप सम्मान के योग्य हैं तो सम्मान मिलना तय ही है |</p>
<p>क्या कह रहे हैं आदरणीय ......आप ऋणी क्यों होते हैं ? भाई जी जब आप सम्मान के योग्य हैं तो सम्मान मिलना तय ही है |</p> आदरणीय प्रदीप साहब ! ऋणी क्यो…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2229552012-05-07T17:52:28.720ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय प्रदीप साहब ! ऋणी क्यों होते हैं आदरणीय? भाई जी जब आप सम्मान के योग्य हैं तो सम्मान मिलना तय ही है | शेष तो हमने अपना दायित्व ही निभाया है ! जय ओ बी ओ !</p>
<p>आदरणीय प्रदीप साहब ! ऋणी क्यों होते हैं आदरणीय? भाई जी जब आप सम्मान के योग्य हैं तो सम्मान मिलना तय ही है | शेष तो हमने अपना दायित्व ही निभाया है ! जय ओ बी ओ !</p> नमस्कार आदरणीय सौरभ भाई जी !…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2227872012-05-07T17:46:04.076ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>नमस्कार आदरणीय सौरभ भाई जी ! कार्यक्रम की सराहना के लिए हार्दिक आभार मित्रवर ! आप कार्यक्रम स्थल से भले ही दूर थे पर आपसे हुए संवाद के मध्य आपकी दूरभाषिक उपस्थिति मुझे भी अभिभूत कर रही थी ! वास्तव में इस कार्यक्रम की सफलता के पार्श्व में ओ बी ओ मित्रों का सहयोग व आप सभी की हार्दिक शुभकामनाएं ही हैं !` जय ओ बी ओ | </p>
<p>नमस्कार आदरणीय सौरभ भाई जी ! कार्यक्रम की सराहना के लिए हार्दिक आभार मित्रवर ! आप कार्यक्रम स्थल से भले ही दूर थे पर आपसे हुए संवाद के मध्य आपकी दूरभाषिक उपस्थिति मुझे भी अभिभूत कर रही थी ! वास्तव में इस कार्यक्रम की सफलता के पार्श्व में ओ बी ओ मित्रों का सहयोग व आप सभी की हार्दिक शुभकामनाएं ही हैं !` जय ओ बी ओ | </p> स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आप…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2227862012-05-07T17:45:55.010ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आप से मैं भी सहमत हूँ !</p>
<p>स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आप से मैं भी सहमत हूँ !</p> आदरणीय अम्बरीश जी आपके प्रयास…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2229422012-05-07T13:10:50.254ZAbhinav Arunhttp://openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय अम्बरीश जी आपके प्रयास सार्थक और सशक्त रंग बिखेर रहे हैं बहुत बहुत बधाई आपको और आदरणीय आलोक जी को भी ओ बी ओ यूँ ही दिन दुनी तरक्की करे और इसके रचनाकार भी .</p>
<p>आदरणीय अम्बरीश जी आपके प्रयास सार्थक और सशक्त रंग बिखेर रहे हैं बहुत बहुत बधाई आपको और आदरणीय आलोक जी को भी ओ बी ओ यूँ ही दिन दुनी तरक्की करे और इसके रचनाकार भी .</p> आदरणीय अम्बरीश जी , सादर. …tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2226732012-05-07T07:04:49.017ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी , सादर. </span></p>
<div>बहुत अल्प काल में तैयार हुई रचना पर आपने मेरी भावनाओं का बहुत सम्मान किया, श्रम किया आपका ऋणी हूँ. अपनी माला की लड़ी में पिरोया, मेरा उत्साह बढा. और सीखूंगा आप के सानिध्य में. स्नेह दिए रहिये. अमरेन्द्र जी ने अपना स्वर दिया उनका भी आभारी हूँ. </div>
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी , सादर. </span></p>
<div>बहुत अल्प काल में तैयार हुई रचना पर आपने मेरी भावनाओं का बहुत सम्मान किया, श्रम किया आपका ऋणी हूँ. अपनी माला की लड़ी में पिरोया, मेरा उत्साह बढा. और सीखूंगा आप के सानिध्य में. स्नेह दिए रहिये. अमरेन्द्र जी ने अपना स्वर दिया उनका भी आभारी हूँ. </div> आदरणीय (गुरुदेव ) सौरभ जी ,…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2227382012-05-07T06:59:18.626ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p><span>आदरणीय (गुरुदेव ) सौरभ जी , सादर. </span></p>
<div>बहुत अल्प काल में रचना तैयार हुई. भाई अम्बरीश जी ने मेरी भावनाओं का बहुत सम्मान किया, श्रम किया. उनका ऋणी हूँ. अमरेन्द्र जी ने अपना स्वर दिया उनका भी आभारी हूँ. आपकी सराहना से मेरा मनोबल बढा. ऐसा ही स्नेह बनाये रहिये .</div>
<p><span>आदरणीय (गुरुदेव ) सौरभ जी , सादर. </span></p>
<div>बहुत अल्प काल में रचना तैयार हुई. भाई अम्बरीश जी ने मेरी भावनाओं का बहुत सम्मान किया, श्रम किया. उनका ऋणी हूँ. अमरेन्द्र जी ने अपना स्वर दिया उनका भी आभारी हूँ. आपकी सराहना से मेरा मनोबल बढा. ऐसा ही स्नेह बनाये रहिये .</div> पशु पक्षी सब प्यास के मारे, ह…tag:openbooksonline.com,2012-05-07:5170231:Comment:2227352012-05-07T06:27:08.220ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>पशु पक्षी सब प्यास के मारे, हुए हाल बेहाल</em> <br/> <em>जल संसाधन मंत्री ए.सी., बैठे फेंके जाल</em></p>
<p style="text-align: left;" align="center">वाह वाह ... अच्छी कविता से मुग्ध किया आपने आदरणीय प्रदीपजी. लोगों की दुख-दशा पर आपकी झुंझलाहट अच्छी लगी.</p>
<p style="text-align: left;" align="center">सीतापुर के सद्यः समाप्त हुए काव्य-समारोह में आपकी परोक्ष-उपस्थिति के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ.</p>
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<p><em>पशु पक्षी सब प्यास के मारे, हुए हाल बेहाल</em> <br/> <em>जल संसाधन मंत्री ए.सी., बैठे फेंके जाल</em></p>
<p style="text-align: left;" align="center">वाह वाह ... अच्छी कविता से मुग्ध किया आपने आदरणीय प्रदीपजी. लोगों की दुख-दशा पर आपकी झुंझलाहट अच्छी लगी.</p>
<p style="text-align: left;" align="center">सीतापुर के सद्यः समाप्त हुए काव्य-समारोह में आपकी परोक्ष-उपस्थिति के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ.</p>
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