सर्वोपरि दोहा लगे, अनुपम रूप-स्वरुप..(तेईस प्रकार के दोहे) - Open Books Online2024-03-29T11:11:50Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:252911?groupUrl=chhand&xg_source=msg_mes_network&feed=yes&xn_auth=noदोहों का इससे सुन्दर वर्णन मै…tag:openbooksonline.com,2012-09-24:5170231:Comment:2748992012-09-24T06:59:06.190ZBrajesh Kant Azadhttp://openbooksonline.com/profile/BrajeshKantAzad
<p>दोहों का इससे सुन्दर वर्णन मैंने कभी नहीं पढ़ा.</p>
<p>दोहों का इससे सुन्दर वर्णन मैंने कभी नहीं पढ़ा.</p> जहां तक मेरी जानकारी में है .…tag:openbooksonline.com,2012-08-29:5170231:Comment:2662652012-08-29T05:48:05.583ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>जहां तक मेरी जानकारी में है ....ऐसा आवश्यक नहीं है !</p>
<p>जहां तक मेरी जानकारी में है ....ऐसा आवश्यक नहीं है !</p> आदरणीय अम्बरीश जी, दोहे के जि…tag:openbooksonline.com,2012-08-03:5170231:Comment:2561552012-08-03T12:02:18.630Zकुमार गौरव अजीतेन्दुhttp://openbooksonline.com/profile/KumarGauravAjeetendu
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी, दोहे के जिन तेईस प्रकारों की आपने चर्चा की क्या दोहे लिखते समय ये आवश्यक है की दोहे इन्हीं तेईस प्रकारों में से एक हों? इस बारे में थोड़ी जानकारी चाहिए थी.</span></p>
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी, दोहे के जिन तेईस प्रकारों की आपने चर्चा की क्या दोहे लिखते समय ये आवश्यक है की दोहे इन्हीं तेईस प्रकारों में से एक हों? इस बारे में थोड़ी जानकारी चाहिए थी.</span></p> जय हो जय हो ....स्वागत है आदर…tag:openbooksonline.com,2012-07-31:5170231:Comment:2554332012-07-31T05:19:48.723ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>जय हो जय हो ....स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! हार्दिक आभार मित्रवर ....इन दोहों में यदि कोई शास्त्र सम्मत त्रुटि या शब्द क्रम में व्याघात परिलक्षित हो रहा है तो कृपया निःसंकोच उसे स्पष्ट रूप से इंगित करें ताकि तत्काल ही उसका सुधार किया जा सके ......सादर </p>
<p>जय हो जय हो ....स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! हार्दिक आभार मित्रवर ....इन दोहों में यदि कोई शास्त्र सम्मत त्रुटि या शब्द क्रम में व्याघात परिलक्षित हो रहा है तो कृपया निःसंकोच उसे स्पष्ट रूप से इंगित करें ताकि तत्काल ही उसका सुधार किया जा सके ......सादर </p> जय हो ! इन सबका जानना रोचक है…tag:openbooksonline.com,2012-07-31:5170231:Comment:2554282012-07-31T02:37:27.335ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय हो ! इन सबका जानना रोचक है. आपका सादर आभार आदरणीय अम्बरीषजी. सर्वोपरि, तो दोहे शास्त्र-सम्मत हों. शब्द क्रम में व्याघात न हो.</p>
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<p>जय हो ! इन सबका जानना रोचक है. आपका सादर आभार आदरणीय अम्बरीषजी. सर्वोपरि, तो दोहे शास्त्र-सम्मत हों. शब्द क्रम में व्याघात न हो.</p>
<p></p> धन्यवाद हर्ष साहब ......tag:openbooksonline.com,2012-07-30:5170231:Comment:2552932012-07-30T19:08:40.281ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>धन्यवाद हर्ष साहब ......</p>
<p>धन्यवाद हर्ष साहब ......</p> स्वागत भ्राता लक्ष्मण, दोहे म…tag:openbooksonline.com,2012-07-29:5170231:Comment:2545222012-07-29T11:32:27.066ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत भ्राता लक्ष्मण, दोहे में की बात.</p>
<p>मैं हूँ छोटा ही अनुज, आभारी मैं तात..</p>
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<p>स्वागत भ्राता लक्ष्मण, दोहे में की बात.</p>
<p>मैं हूँ छोटा ही अनुज, आभारी मैं तात..</p>
<p></p> बहुत ही लाभकारी प्रस्तुति अम्…tag:openbooksonline.com,2012-07-28:5170231:Comment:2538412012-07-28T11:15:48.947ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>बहुत ही लाभकारी प्रस्तुति अम्बरीष जी ।</p>
<p>बहुत ही लाभकारी प्रस्तुति अम्बरीष जी ।</p> सर्वोपरि दोहा लगे, अनुपम रूप-…tag:openbooksonline.com,2012-07-27:5170231:Comment:2532642012-07-27T13:15:11.184Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<div><h1><font color="#0000FF" size="3">सर्वोपरि दोहा लगे, अनुपम रूप-स्वरुप.</font></h1>
</div>
<div><p><font color="#0000FF">दोहा रचना है सुगम, नहीं कठिन कुछ खास.</font></p>
<p><font color="#0000FF">प्रभुवर की होगी कृपा, मिलकर करें प्रयास..</font></p>
<p><font color="#0000FF">बहुत बहुत आभार है , भाई श्री अम्बरीश, </font></p>
<p><font color="#0000FF">गुरुवर तुम्हे प्रणाम है, दो हमको आशीष //</font></p>
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<div><h1><font color="#0000FF" size="3">सर्वोपरि दोहा लगे, अनुपम रूप-स्वरुप.</font></h1>
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<div><p><font color="#0000FF">दोहा रचना है सुगम, नहीं कठिन कुछ खास.</font></p>
<p><font color="#0000FF">प्रभुवर की होगी कृपा, मिलकर करें प्रयास..</font></p>
<p><font color="#0000FF">बहुत बहुत आभार है , भाई श्री अम्बरीश, </font></p>
<p><font color="#0000FF">गुरुवर तुम्हे प्रणाम है, दो हमको आशीष //</font></p>
</div> ठीक है भाई जी ! खेद की क्या ब…tag:openbooksonline.com,2012-07-27:5170231:Comment:2529002012-07-27T06:43:17.895ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>ठीक है भाई जी ! खेद की क्या बात है मित्रवर ....वह कार्य तो प्राथमिकता पर होना ही चाहिए .....:-)</p>
<p>ठीक है भाई जी ! खेद की क्या बात है मित्रवर ....वह कार्य तो प्राथमिकता पर होना ही चाहिए .....:-)</p>