'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक परिचय - Open Books Online2024-03-29T09:34:50Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:273442?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A273344&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noबहुत लाभदायक जानकारी अम्बरीश…tag:openbooksonline.com,2012-09-24:5170231:Comment:2747982012-09-24T07:06:16.163ZBrajesh Kant Azadhttp://openbooksonline.com/profile/BrajeshKantAzad
<p>बहुत लाभदायक जानकारी अम्बरीश जी, धन्यवाद !</p>
<p>बहुत लाभदायक जानकारी अम्बरीश जी, धन्यवाद !</p> वाह अम्बरीश भाई जी........बहु…tag:openbooksonline.com,2012-09-23:5170231:Comment:2748232012-09-23T07:38:14.234ZVISHAAL CHARCHCHIThttp://openbooksonline.com/profile/VISHAALCHARCHCHIT
<p><span>वाह अम्बरीश भाई जी........बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने 'मत्त सवैया' यानी 'राधेश्यामी छंद' के बारे में.........</span><br/><span>बचपन से रामलीलाओं में सूना करता था ये छंद आज यहाँ वो यादें ताज़ा हो गयी...........</span></p>
<p><span>वाह अम्बरीश भाई जी........बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने 'मत्त सवैया' यानी 'राधेश्यामी छंद' के बारे में.........</span><br/><span>बचपन से रामलीलाओं में सूना करता था ये छंद आज यहाँ वो यादें ताज़ा हो गयी...........</span></p> स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण जी !…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2735502012-09-19T13:55:50.168ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण जी ! हार्दिक आभार आदरणीय !</p>
<p>स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण जी ! हार्दिक आभार आदरणीय !</p> गुरुवर श्री अम्बरीश श्रीवास्त…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2734572012-09-19T13:09:07.486Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><span>गुरुवर श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, इस प्रकार की जानकारी आप </span> इस मंच के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं इसके लिए तहे दिल से हार्दिक आभार |</p>
<div>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी की बात भी अनुकरणीय है | उन्हें हार्दिक धन्यवाद </div>
<p><span>गुरुवर श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, इस प्रकार की जानकारी आप </span> इस मंच के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं इसके लिए तहे दिल से हार्दिक आभार |</p>
<div>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी की बात भी अनुकरणीय है | उन्हें हार्दिक धन्यवाद </div> हार्दिक धन्यवाद आदरेया डॉ० प्…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2733502012-09-19T12:54:01.234ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरेया डॉ० प्राची जी! सत्य कहा आपने ! यह वाकई में अत्यंत सरल है ! सादर</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरेया डॉ० प्राची जी! सत्य कहा आपने ! यह वाकई में अत्यंत सरल है ! सादर</p> आदरणीय अम्बरीश जी,
यह छंद मत्…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2734542012-09-19T12:10:24.148ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी,</span></p>
<div>यह छंद मत्त सवैया बहुत सहज सरल लग रहा है, १६-१६ के चार चरण , अंत गुरु, समतुकांत. इस छंद की जानकारी हेतु हार्दिक आभार. </div>
<p><span>आदरणीय अम्बरीश जी,</span></p>
<div>यह छंद मत्त सवैया बहुत सहज सरल लग रहा है, १६-१६ के चार चरण , अंत गुरु, समतुकांत. इस छंद की जानकारी हेतु हार्दिक आभार. </div> धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ! मेरे…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2733482012-09-19T10:37:20.500ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ! मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार मत्त सवैया उत्तर भारत में एक बहु प्रचलित व अति सरल छंद है जिस पर नाटक खेलने से लेकर महाकाव्य तक रच दिए गए हैं | खासतौर पर ग्रामीण अंचल में तो राघेश्यामी छंद के रूप में तो यह बच्चे-बच्चे की जिह्वा पर है ! अतः मेरे विचार में अन्य स्थापित छंदों के साथ-साथ इस पर भी काम करने में कोई खास हर्ज तो नहीं होना चाहिए क्योंकि अपनी सरलता के कारण यह छंद सार छंद या ललित छंद (छन्न पकैया) की तरह नवोदितों को आकर्षित करेगा | इस छंद से सम्बंधित अन्य तथ्यों के…</p>
<p>धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ! मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार मत्त सवैया उत्तर भारत में एक बहु प्रचलित व अति सरल छंद है जिस पर नाटक खेलने से लेकर महाकाव्य तक रच दिए गए हैं | खासतौर पर ग्रामीण अंचल में तो राघेश्यामी छंद के रूप में तो यह बच्चे-बच्चे की जिह्वा पर है ! अतः मेरे विचार में अन्य स्थापित छंदों के साथ-साथ इस पर भी काम करने में कोई खास हर्ज तो नहीं होना चाहिए क्योंकि अपनी सरलता के कारण यह छंद सार छंद या ललित छंद (छन्न पकैया) की तरह नवोदितों को आकर्षित करेगा | इस छंद से सम्बंधित अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होते ही उसे अविलम्ब प्रस्तुत किया जायेगा | सादर</p> धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी ज…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2734532012-09-19T10:14:12.047ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी |</p>
<p>धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी |</p> आदरेया सीमाजी के प्रति हार्दि…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2733442012-09-19T10:13:15.086ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरेया सीमाजी के प्रति हार्दिक आभार,</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरेया सीमाजी के प्रति हार्दिक आभार,</p>
<p>सादर</p> जी सौरभ जी आपने सही कहा आभार…tag:openbooksonline.com,2012-09-19:5170231:Comment:2733372012-09-19T09:18:27.714Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>जी सौरभ जी आपने सही कहा </span><span> आभार |</span></p>
<p><span>जी सौरभ जी आपने सही कहा </span><span> आभार |</span></p>