'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -२० - Open Books Online2024-03-28T14:49:10Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:287007?groupUrl=pop&commentId=5170231%3AComment%3A291209&groupId=5170231%3AGroup%3A68907&feed=yes&xn_auth=noइस प्रतियोगिता में प्रतिभाग/प…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2915902012-11-20T18:30:53.005ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग/प्रोत्साहन करने के लिए आप सभी के प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद|</p>
<p>इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग/प्रोत्साहन करने के लिए आप सभी के प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद|</p> स्वागत है अब्दुल लतीफ़ खान जी,…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2917762012-11-20T18:29:43.362ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है अब्दुल लतीफ़ खान जी,</p>
<p>दोहों पर अच्छा प्रयास किया है आपने ! परन्तु शिल्प बहुत कमजोर है फिर भी बहुत बहुत बधाई मित्र !</p>
<p>स्वागत है अब्दुल लतीफ़ खान जी,</p>
<p>दोहों पर अच्छा प्रयास किया है आपने ! परन्तु शिल्प बहुत कमजोर है फिर भी बहुत बहुत बधाई मित्र !</p> प्रिय कुमार गौरव जी, कुंडलिया…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2918432012-11-20T18:26:01.679ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>प्रिय कुमार गौरव जी, कुंडलिया व घनाक्षरी दोनों ही बहुत शानदार बन पड़े हैं, जिनके लिए आपको बहुत बहुत बधाई मित्र ! सस्नेह</p>
<p>प्रिय कुमार गौरव जी, कुंडलिया व घनाक्षरी दोनों ही बहुत शानदार बन पड़े हैं, जिनके लिए आपको बहुत बहुत बधाई मित्र ! सस्नेह</p> आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2917752012-11-20T18:23:39.300ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय <b>लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला</b> जी,</p>
<p>सुंदर संवेदनात्मक दोहों के प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक बधाई मित्रवर ! काश आप शिल्प का सटीक निर्वहन भी कर पाते !</p>
<p>आदरणीय <b>लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला</b> जी,</p>
<p>सुंदर संवेदनात्मक दोहों के प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक बधाई मित्रवर ! काश आप शिल्प का सटीक निर्वहन भी कर पाते !</p> आदरणीय रविकर जी, यह सवैया भी…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2917742012-11-20T18:20:12.091ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय रविकर जी, यह सवैया भी मदिरा सवैया नहीं है ......यह भी दुर्मिल सवैया ही है !</p>
<p>सुंदर दुर्मिल के प्रस्तुतीकरण हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय !</p>
<p>आदरणीय रविकर जी, यह सवैया भी मदिरा सवैया नहीं है ......यह भी दुर्मिल सवैया ही है !</p>
<p>सुंदर दुर्मिल के प्रस्तुतीकरण हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय !</p> स्वागत है आदरणीय प्रदीप जी, ब…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2916802012-11-20T18:14:47.008ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है आदरणीय प्रदीप जी, बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये हैं आपने ! परन्तु शिल्प के स्तर पर इस छंद को बहुत कसे जाने की आवश्यकता है| फिलहाल यह कुंडलिया नहीं है | हाँ इसमें यथोचित सुधार करके इसे कुंडलिया बनाया अवश्य जा सकता है ! सादर</p>
<p>स्वागत है आदरणीय प्रदीप जी, बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये हैं आपने ! परन्तु शिल्प के स्तर पर इस छंद को बहुत कसे जाने की आवश्यकता है| फिलहाल यह कुंडलिया नहीं है | हाँ इसमें यथोचित सुधार करके इसे कुंडलिया बनाया अवश्य जा सकता है ! सादर</p> बहुत सुंदर आदरेया शन्नोजी,
शा…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2916792012-11-20T18:11:48.588ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>बहुत सुंदर आदरेया शन्नोजी,</p>
<p>शानदार छंद के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें ! कुंडलिया जिस शब्द से आरम्भ होती है उसी से समाप्त भी होती है !</p>
<p>बहुत सुंदर आदरेया शन्नोजी,</p>
<p>शानदार छंद के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें ! कुंडलिया जिस शब्द से आरम्भ होती है उसी से समाप्त भी होती है !</p> क्षमा करें आदरणीय अरुण निगम ज…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2916782012-11-20T18:07:04.882ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>क्षमा करें आदरणीय अरुण निगम जी व भाई रविकर जी ! यह भी दुर्मिल सवैया है !</p>
<p>क्षमा करें आदरणीय अरुण निगम जी व भाई रविकर जी ! यह भी दुर्मिल सवैया है !</p> क्षमा करें आदरणीय रविकर जी, य…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2917732012-11-20T18:03:48.971ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>क्षमा करें आदरणीय रविकर जी, यह दुर्मिल ही है ......क्योंकि दुर्मिल सवैया के प्रत्येक चरण में आठ सगण होते हैं जबकि मदिरा की प्रत्येक पंक्ति में सात भगण व एक गुरु होता है</p>
<p>क्षमा करें आदरणीय रविकर जी, यह दुर्मिल ही है ......क्योंकि दुर्मिल सवैया के प्रत्येक चरण में आठ सगण होते हैं जबकि मदिरा की प्रत्येक पंक्ति में सात भगण व एक गुरु होता है</p> आदरणीय भाई रविकर जी, मदिरा स…tag:openbooksonline.com,2012-11-20:5170231:Comment:2917702012-11-20T18:02:25.816ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय भाई रविकर जी, मदिरा सवैया (७ भगण +गुरु )</p>
<p>आदरणीय भाई रविकर जी, मदिरा सवैया (७ भगण +गुरु )</p>