मासिक काव्य गोष्ठी दिनांक २१.११.२०१३ - Open Books Online2024-03-28T18:47:34Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:508218?feed=yes&xn_auth=noआदरणीय बृजेश जी, मैं जानता हू…tag:openbooksonline.com,2014-02-06:5170231:Comment:5085992014-02-06T19:42:34.849Zsharadindu mukerjihttp://openbooksonline.com/profile/sharadindumukerji
आदरणीय बृजेश जी, मैं जानता हूँ कि आप जब यह रिपोर्ट भेज रहे थे उस समय भी आप स्वयं शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं थे. फिर भी आपने अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा किया. आपका हार्दिक आभार. हर आयोजन के बाद उसका रिपोर्ट जब लिखा जाता है तो किसी न किसी का उल्लेख होना छूट जाता है अनवधानतावश. किसी को भी इसका अन्यथा नहीं लेना चाहिए. सभी रचनाकार प्राज्ञ हैं...उनसे इतनी आशा तो की जा सकती है..
आदरणीय बृजेश जी, मैं जानता हूँ कि आप जब यह रिपोर्ट भेज रहे थे उस समय भी आप स्वयं शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं थे. फिर भी आपने अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा किया. आपका हार्दिक आभार. हर आयोजन के बाद उसका रिपोर्ट जब लिखा जाता है तो किसी न किसी का उल्लेख होना छूट जाता है अनवधानतावश. किसी को भी इसका अन्यथा नहीं लेना चाहिए. सभी रचनाकार प्राज्ञ हैं...उनसे इतनी आशा तो की जा सकती है.. आपका आभार आदरणीय! हाथ नहीं छू…tag:openbooksonline.com,2014-02-06:5170231:Comment:5085932014-02-06T18:27:07.591Zबृजेश नीरजhttp://openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आपका आभार आदरणीय! हाथ नहीं छूटा है, कागज़ छूट गया!</p>
<p>आपका आभार आदरणीय! हाथ नहीं छूटा है, कागज़ छूट गया!</p> जी! आदरणीया, आप पंक्तियाँ मु…tag:openbooksonline.com,2014-02-06:5170231:Comment:5085922014-02-06T18:26:18.446Zबृजेश नीरजhttp://openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p> जी! आदरणीया, आप पंक्तियाँ मुझे भेज दें, जिससे इस रिपोर्ट में सम्मिलित कर सकूँ!</p>
<p> जी! आदरणीया, आप पंक्तियाँ मुझे भेज दें, जिससे इस रिपोर्ट में सम्मिलित कर सकूँ!</p> आदरणीय ब्रजेश जी
सादर
सुन्द…tag:openbooksonline.com,2014-02-06:5170231:Comment:5085532014-02-06T09:12:31.113ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय ब्रजेश जी </p>
<p>सादर </p>
<p>सुन्दर आयोजन व् इस प्रस्तुतीकरण हेतु आभार </p>
<p>अन्नपूर्णा जी कभी कभी ऐसा भी हो जाता खूब रहो साथ हाथ छूट जाता है </p>
<p>आपका भी आभार . सारा जग जानता है की इस आयोजन में आप दूसरे शहर से पधारकर शोभा बढ़ाती हैं. </p>
<p>आदरणीय ब्रजेश जी </p>
<p>सादर </p>
<p>सुन्दर आयोजन व् इस प्रस्तुतीकरण हेतु आभार </p>
<p>अन्नपूर्णा जी कभी कभी ऐसा भी हो जाता खूब रहो साथ हाथ छूट जाता है </p>
<p>आपका भी आभार . सारा जग जानता है की इस आयोजन में आप दूसरे शहर से पधारकर शोभा बढ़ाती हैं. </p> आदरणीय सौरभ सर जी
विलम्ब हेत…tag:openbooksonline.com,2014-02-06:5170231:Comment:5085492014-02-06T09:08:26.029ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय सौरभ सर जी </p>
<p>विलम्ब हेतु खेद है </p>
<p>स्नेह देते रहिये सादर </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर जी </p>
<p>विलम्ब हेतु खेद है </p>
<p>स्नेह देते रहिये सादर </p> जी मै आई थी और कल्पना दी का स…tag:openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:Comment:5082502014-02-05T19:21:24.595Zannapurna bajpaihttp://openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>जी मै आई थी और कल्पना दी का सम्मान भी मैंने ही किया था । मेरी कविता थी नव युवा हे चिर युवा !! </p>
<p>जी मै आई थी और कल्पना दी का सम्मान भी मैंने ही किया था । मेरी कविता थी नव युवा हे चिर युवा !! </p> आदरणीया प्राची जी आपका हार्दि…tag:openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:Comment:5082442014-02-05T19:01:45.770Zबृजेश नीरजhttp://openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! यह सुखद संयोग ही है और साथियों के सतत प्रयास का परिणाम है कि इस दौरान कई वरिष्ठों का सानिध्य प्राप्त होने का सुअवसर मिल सका. काश! ऐसा होता कि आप सब यहीं लखनऊ में रह रहे होते! :)))))))</p>
<p>आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! यह सुखद संयोग ही है और साथियों के सतत प्रयास का परिणाम है कि इस दौरान कई वरिष्ठों का सानिध्य प्राप्त होने का सुअवसर मिल सका. काश! ऐसा होता कि आप सब यहीं लखनऊ में रह रहे होते! :)))))))</p> :)tag:openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:Comment:5082422014-02-05T18:54:57.583Zबृजेश नीरजhttp://openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>:)</p>
<p>:)</p> आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपसे न…tag:openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:Comment:5084462014-02-05T18:54:24.200Zबृजेश नीरजhttp://openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपसे नाराजगी का तो प्रश्न ही नहीं उठता. दरअसल मेरे पास जो पेज थे काव्यांशों के उनमें वह पेज नहीं था जिसमें आपने पंक्तियाँ लिखी थीं. संभवतः कुछ और साथी भी इस रिपोर्ट में सम्मिलित होने से रह गए होंगे. मैं सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ!</p>
<p>आप आई थीं उस आयोजन में?</p>
<p>आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपसे नाराजगी का तो प्रश्न ही नहीं उठता. दरअसल मेरे पास जो पेज थे काव्यांशों के उनमें वह पेज नहीं था जिसमें आपने पंक्तियाँ लिखी थीं. संभवतः कुछ और साथी भी इस रिपोर्ट में सम्मिलित होने से रह गए होंगे. मैं सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ!</p>
<p>आप आई थीं उस आयोजन में?</p> आदरणीय बृजेश जी मुझसे कैसी ना…tag:openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:Comment:5082012014-02-05T17:33:15.689Zannapurna bajpaihttp://openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीय बृजेश जी मुझसे कैसी नाराजगी है भाई !! मेरा नाम और रचना की पंक्तियाँ कहाँ है ? </p>
<p>आदरणीय बृजेश जी मुझसे कैसी नाराजगी है भाई !! मेरा नाम और रचना की पंक्तियाँ कहाँ है ? </p>