पद्य-रचनाओं में पंक्चुएशन के चिह्न // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T23:18:03Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:551827?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A962045&x=1&feed=yes&xn_auth=noबहुत आवश्यक जानकारी देता विस्…tag:openbooksonline.com,2019-12-06:5170231:Comment:9973692019-12-06T12:23:51.248ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>बहुत आवश्यक जानकारी देता विस्तृत आलेख <br/>साधुवाद आदरणीय </p>
<p>बहुत आवश्यक जानकारी देता विस्तृत आलेख <br/>साधुवाद आदरणीय </p> आदरणीय सौरभ जी।
ग़ज़ल में विराम…tag:openbooksonline.com,2018-11-21:5170231:Comment:9620452018-11-21T02:44:42.079Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
<p>आदरणीय सौरभ जी।</p>
<p>ग़ज़ल में विराम चिह्नों के प्रयोग में अभी भी भ्रम में हूँ। यदि इस विषय पर थोड़ा विस्तार से प्रकाश पड़ जाए तो मेहरबानी होगी।</p>
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<p>आदरणीय सौरभ जी।</p>
<p>ग़ज़ल में विराम चिह्नों के प्रयोग में अभी भी भ्रम में हूँ। यदि इस विषय पर थोड़ा विस्तार से प्रकाश पड़ जाए तो मेहरबानी होगी।</p>
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<p></p> जय-जय !!
tag:openbooksonline.com,2015-11-16:5170231:Comment:7156462015-11-16T08:29:28.137ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय-जय !!</p>
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<p>जय-जय !!</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ पाण्डे सर आपके इस…tag:openbooksonline.com,2014-12-20:5170231:Comment:5963352014-12-20T00:16:58.999Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डे सर आपके इस विशिष्ट आलेख से काफी नई जानकारियाँ मिली और जो थी वो स्पष्ट हुई आपका बहुत बहुत धन्यवाद आभार </p>
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डे सर आपके इस विशिष्ट आलेख से काफी नई जानकारियाँ मिली और जो थी वो स्पष्ट हुई आपका बहुत बहुत धन्यवाद आभार </p> आदरणीय सौरभ सर जी,
आपके आले…tag:openbooksonline.com,2014-06-27:5170231:Comment:5533112014-06-27T18:23:48.246ZVindu Babuhttp://openbooksonline.com/profile/vandanatiwari
<p> आदरणीय सौरभ सर जी, </p>
<p>आपके आलेख ने विषय पर वृहत ज्ञान दिया है, और मैंने भी सच्चाई से उसे सराहा है। यह भी सच्चाई है कि पढ़ने पर तनिक संशय हुआ ... वह इसलिए कि आप आलेख में punctuation के मूलभूत तत्व की बात कर रहे हैं, और सही कह रहे हैं,और मैं हिन्दी साहित्य में उसके प्रायोगिक कोण को देख रही थी।</p>
<p>इस प्रायोगिक कोण के कारण ही मूलत: मेरा प्रश्न उठा था, अत: स्वाभाविक है कि यह अभी भी मेरी तहों में तैर रहा था।</p>
<p>आशा है आप मेरी सच्चाई को देख सकते हैं।</p>
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<p>सादर</p>
<p> आदरणीय सौरभ सर जी, </p>
<p>आपके आलेख ने विषय पर वृहत ज्ञान दिया है, और मैंने भी सच्चाई से उसे सराहा है। यह भी सच्चाई है कि पढ़ने पर तनिक संशय हुआ ... वह इसलिए कि आप आलेख में punctuation के मूलभूत तत्व की बात कर रहे हैं, और सही कह रहे हैं,और मैं हिन्दी साहित्य में उसके प्रायोगिक कोण को देख रही थी।</p>
<p>इस प्रायोगिक कोण के कारण ही मूलत: मेरा प्रश्न उठा था, अत: स्वाभाविक है कि यह अभी भी मेरी तहों में तैर रहा था।</p>
<p>आशा है आप मेरी सच्चाई को देख सकते हैं।</p>
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<p>सादर</p> किसी पाठक की जिज्ञासा कई आलेख…tag:openbooksonline.com,2014-06-23:5170231:Comment:5519382014-06-23T18:06:29.706ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>किसी पाठक की जिज्ञासा कई आलेखों का कारण बन सकता है, आदरणीय गोपालनारायनजी. अलबत्ता, किसी को अपने लेख या प्रस्तुति से सम्मानित करना मेरे आलेख या मेरे रचनाकर्म का उद्येश्य न आजतक रहा है न आगे होगा.</p>
<p>परस्पर जानकारियों को साझा करना अवश्य किसी रचनाकर्म का उद्येश्य होना चाहिये.</p>
<p>सादर</p>
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<p>किसी पाठक की जिज्ञासा कई आलेखों का कारण बन सकता है, आदरणीय गोपालनारायनजी. अलबत्ता, किसी को अपने लेख या प्रस्तुति से सम्मानित करना मेरे आलेख या मेरे रचनाकर्म का उद्येश्य न आजतक रहा है न आगे होगा.</p>
<p>परस्पर जानकारियों को साझा करना अवश्य किसी रचनाकर्म का उद्येश्य होना चाहिये.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> //मेरा अध्ययन व्यापक तो नहीं…tag:openbooksonline.com,2014-06-23:5170231:Comment:5519342014-06-23T18:01:17.065ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>//मेरा अध्ययन व्यापक तो नहीं लेकिन साधारणतः यह चिह्न हिंदी भाषा के अंग के रूप में ही बताये जाते हैं.. इसलिए आपका यह कथ्यमन में कुछ संशय उत्पन्न कर रहा है,//</p>
<p></p>
<p>ऐसी कण्ट्रोवर्सियल बातें आपको उचित लगती हैं क्या ?</p>
<p>या तो आप उद्धरण सहित तथ्यात्क बातें करें या फिर वह सुनें-समझें जो कहा गया है. मैं काव्यशास्त्र में चिह्नों को लेकर और उनके प्रयोग की बातें कर रहा हूँ. हिन्दी भाषा के पहले क्या काव्यशास्त्र नहीं था ? </p>
<p>पूरे लेख को एक बार फिर से पढ़ जाइये. </p>
<p></p>
<p>//मेरा अध्ययन व्यापक तो नहीं लेकिन साधारणतः यह चिह्न हिंदी भाषा के अंग के रूप में ही बताये जाते हैं.. इसलिए आपका यह कथ्यमन में कुछ संशय उत्पन्न कर रहा है,//</p>
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<p>ऐसी कण्ट्रोवर्सियल बातें आपको उचित लगती हैं क्या ?</p>
<p>या तो आप उद्धरण सहित तथ्यात्क बातें करें या फिर वह सुनें-समझें जो कहा गया है. मैं काव्यशास्त्र में चिह्नों को लेकर और उनके प्रयोग की बातें कर रहा हूँ. हिन्दी भाषा के पहले क्या काव्यशास्त्र नहीं था ? </p>
<p>पूरे लेख को एक बार फिर से पढ़ जाइये. </p>
<p></p> वाह आदरणीय !
आपने यह त्वरित प…tag:openbooksonline.com,2014-06-23:5170231:Comment:5519252014-06-23T16:09:12.718ZVindu Babuhttp://openbooksonline.com/profile/vandanatiwari
वाह आदरणीय !<br />
आपने यह त्वरित पर गहन और बोधगम्य आलेख प्रस्तुत कर मेरा बहुत मान बढ़ाया है।<br />
काफी कुछ नया जानने को मिला।<br />
<br />
//कोई चिह्न भारतीयय काव्य-शास्त्र ही नहीं भाषा-व्याकरण का भी सनातनी अंग नहीं है. इनको या तो गणितशास्त्र से उधार लिया गया है, या इनका विदेशी भाषाओं से आयात हुआ है. जैसे, अल्पविराम, कोलन, सेमी कोलन, डैश, विस्मयादिबोधक या प्रश्नवाचक चिह्न, इन्वर्टेड कॉमा आदि-आदि..//<br />
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सर,मेरा अध्ययन व्यापक तो नहीं लेकिन साधारणतः यह चिह्न हिंदी भाषा के अंग के रूप में ही बताये जाते हैं...इसलिए आपका यह…
वाह आदरणीय !<br />
आपने यह त्वरित पर गहन और बोधगम्य आलेख प्रस्तुत कर मेरा बहुत मान बढ़ाया है।<br />
काफी कुछ नया जानने को मिला।<br />
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//कोई चिह्न भारतीयय काव्य-शास्त्र ही नहीं भाषा-व्याकरण का भी सनातनी अंग नहीं है. इनको या तो गणितशास्त्र से उधार लिया गया है, या इनका विदेशी भाषाओं से आयात हुआ है. जैसे, अल्पविराम, कोलन, सेमी कोलन, डैश, विस्मयादिबोधक या प्रश्नवाचक चिह्न, इन्वर्टेड कॉमा आदि-आदि..//<br />
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सर,मेरा अध्ययन व्यापक तो नहीं लेकिन साधारणतः यह चिह्न हिंदी भाषा के अंग के रूप में ही बताये जाते हैं...इसलिए आपका यह कथ्यमन में कुछ संशय उत्पन्न कर रहा है,बाकी मेरी सभी जिज्ञासाओं को सहला रहा है आपका यह लेख।<br />
आपको बहुत धन्यवाद आदरणीय इस महत्वपूर्ण लेख के लिए।<br />
सादर<br />
सादर आदरनीय सौरभ जी
सुश्री विद्या…tag:openbooksonline.com,2014-06-23:5170231:Comment:5516782014-06-23T13:28:42.419Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरनीय सौरभ जी</p>
<p>सुश्री विद्या बिंदु जी ने आप द्वारा गजल के मतले में एक साथ विस्मयबोधक ओ प्रश्नचिन्ह लगाये जाने पर जो जिज्ञासा व्यक्त की तदनुक्रम में उक्त आलेख से रूबरू हुआ i बहुत सी नयी जानकारियाँ मिली i इस विद्वतापूर्ण आलेख के लिए आपको शत -शत बधाई i </p>
<p>आदरनीय सौरभ जी</p>
<p>सुश्री विद्या बिंदु जी ने आप द्वारा गजल के मतले में एक साथ विस्मयबोधक ओ प्रश्नचिन्ह लगाये जाने पर जो जिज्ञासा व्यक्त की तदनुक्रम में उक्त आलेख से रूबरू हुआ i बहुत सी नयी जानकारियाँ मिली i इस विद्वतापूर्ण आलेख के लिए आपको शत -शत बधाई i </p>