भुजंगप्रयात छन्द // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T17:03:03Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:572618?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A575048&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सौरभ पाण्डे जी , सादर।tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5751352014-09-14T17:40:10.464ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय सौरभ पाण्डे जी , सादर।
आदरणीय सौरभ पाण्डे जी , सादर। आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,
आपका…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5753072014-09-14T17:38:53.462ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,<br />
आपका सुझाव सराहनीय है , इच्छा मेरी भी यह है। सादर।
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,<br />
आपका सुझाव सराहनीय है , इच्छा मेरी भी यह है। सादर। आदरणीय ,
निवेदन है कि भूल सुध…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5751342014-09-14T16:51:51.071ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय ,<br />
निवेदन है कि भूल सुधार ली गयी है .खेद प्रकट करता हूँ .<br />
इस बार करीब करीब जब से मैं विदेश से लौटा हूँ , नेट आता जाता कम है, झलक अधिक दिखलाता है , पांच मिनट की बधाई लिखने में कभी कभी तो आधा घंटा भी लग जाता है , आयातित सुविधाएं ऐसी ही होती हैं , इसी पर मैंने कुछ दिन पूर्व कुछ पंक्तियाँ भी लिखी थी , आपने भी अवश्य पढ़ी होंगी .सरकारी दफ्तरों में ऐसी त्रुटियाँ होती ही हैं हमसे नहीं होनी चाहिए , मैं स्वीकार करता हूँ . आगे से और ध्यान रखूंगा .<br />
सादर .
आदरणीय ,<br />
निवेदन है कि भूल सुधार ली गयी है .खेद प्रकट करता हूँ .<br />
इस बार करीब करीब जब से मैं विदेश से लौटा हूँ , नेट आता जाता कम है, झलक अधिक दिखलाता है , पांच मिनट की बधाई लिखने में कभी कभी तो आधा घंटा भी लग जाता है , आयातित सुविधाएं ऐसी ही होती हैं , इसी पर मैंने कुछ दिन पूर्व कुछ पंक्तियाँ भी लिखी थी , आपने भी अवश्य पढ़ी होंगी .सरकारी दफ्तरों में ऐसी त्रुटियाँ होती ही हैं हमसे नहीं होनी चाहिए , मैं स्वीकार करता हूँ . आगे से और ध्यान रखूंगा .<br />
सादर . आदरणीय विजयशंकरजी, आप भुजंगप्…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5750532014-09-14T16:47:56.898ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय विजयशंकरजी, आप भुजंगप्रयात छन्द के आलेख को एकबारगी पढ़ जायँ. यदि संप्रेषणीयता में किंचित सुधार की आवश्यकता हो तो अवश्य साझा करें. <br/>आपसे भी छान्दसिक रचनाओं पर अभ्यास की अपेक्षा है. इसी छन्द से क्यों न आप प्रारम्भ करें.. !<br/>आपको इस छन्द पर मेरा प्रयास रुचिकर लगा यह मेरे लिए भी अतीव प्रसन्नता की बात है. <br/>सादर<br/><br/></p>
<p>आदरणीय विजयशंकरजी, आप भुजंगप्रयात छन्द के आलेख को एकबारगी पढ़ जायँ. यदि संप्रेषणीयता में किंचित सुधार की आवश्यकता हो तो अवश्य साझा करें. <br/>आपसे भी छान्दसिक रचनाओं पर अभ्यास की अपेक्षा है. इसी छन्द से क्यों न आप प्रारम्भ करें.. !<br/>आपको इस छन्द पर मेरा प्रयास रुचिकर लगा यह मेरे लिए भी अतीव प्रसन्नता की बात है. <br/>सादर<br/><br/></p> आपकी पारिस्थिक विवशता को मैं…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5752332014-09-14T16:44:31.070ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपकी पारिस्थिक विवशता को मैं समझ सकता हूँ आदरणीय विजयशंकरजी.</p>
<p></p>
<p>आपकी पारिस्थिक विवशता को मैं समझ सकता हूँ आदरणीय विजयशंकरजी.</p>
<p></p> हा हा हा हा.. . आदरणीय गोपाल…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5750522014-09-14T16:42:33.932ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>हा हा हा हा.. . आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपने तो मुझे भी चौंका दिया है.. :-))</p>
<p></p>
<p>हा हा हा हा.. . आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपने तो मुझे भी चौंका दिया है.. :-))</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , ( भू…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5750482014-09-14T16:18:34.416ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , ( भूल सुधार के साथ ) मुझे तो आपकी यह रचना बहुतकुछ बोलती लगी, पसंद आई .<br/> " मिला रक्त मिट्टी.. भिगोयी-सँवारी<br/> यही साधना, मैं इसी का पुजारी<br/> यही छाँव मेरी, यही धूप माना<br/> यही कर्म मेरे, यही धर्म जाना "<br/> सभी छंद बहुत अच्छे लगे , छंदों की विविधता तो मुझे अभी समझनी बाकी है , हाँ , यह जरूर है कि बात जो सही लगे , मन भाये , लुभाये वही अच्छी कहलाये।<br/> बहुत बहुत बधाई , सादर .<br/><br/></p>
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , ( भूल सुधार के साथ ) मुझे तो आपकी यह रचना बहुतकुछ बोलती लगी, पसंद आई .<br/> " मिला रक्त मिट्टी.. भिगोयी-सँवारी<br/> यही साधना, मैं इसी का पुजारी<br/> यही छाँव मेरी, यही धूप माना<br/> यही कर्म मेरे, यही धर्म जाना "<br/> सभी छंद बहुत अच्छे लगे , छंदों की विविधता तो मुझे अभी समझनी बाकी है , हाँ , यह जरूर है कि बात जो सही लगे , मन भाये , लुभाये वही अच्छी कहलाये।<br/> बहुत बहुत बधाई , सादर .<br/><br/></p> अरे आदरनीय
कहाँ गड़बड़ा गये i य…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5752202014-09-14T14:20:29.700Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>अरे आदरनीय</p>
<p>कहाँ गड़बड़ा गये i यह छंद आदरणीय सौरभ जी का है i मुझे काँटों में न घसीटे अग्रज i शान्तं पापं i सादर</p>
<p>अरे आदरनीय</p>
<p>कहाँ गड़बड़ा गये i यह छंद आदरणीय सौरभ जी का है i मुझे काँटों में न घसीटे अग्रज i शान्तं पापं i सादर</p> आदरणीय गोपाल नारायण जी , मुझे…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5750032014-09-14T06:52:59.928ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय गोपाल नारायण जी , मुझे तो आपकी यह रचना बहुतकुछ बोलती लगी, पसंद आई .<br />
" मिला रक्त मिट्टी.. भिगोयी-सँवारी<br />
यही साधना, मैं इसी का पुजारी<br />
यही छाँव मेरी, यही धूप माना<br />
यही कर्म मेरे, यही धर्म जाना "<br />
सभी छंद बहुत अच्छे लगे , छंदों की विविधता तो मुझे अभी समझनी बाकी है , हाँ , यह जरूर है कि बात जो सही लगे , मन भाये , लुभाये वही अच्छी कहलाये।<br />
बहुत बहुत बधाई , सादर .
आदरणीय गोपाल नारायण जी , मुझे तो आपकी यह रचना बहुतकुछ बोलती लगी, पसंद आई .<br />
" मिला रक्त मिट्टी.. भिगोयी-सँवारी<br />
यही साधना, मैं इसी का पुजारी<br />
यही छाँव मेरी, यही धूप माना<br />
यही कर्म मेरे, यही धर्म जाना "<br />
सभी छंद बहुत अच्छे लगे , छंदों की विविधता तो मुझे अभी समझनी बाकी है , हाँ , यह जरूर है कि बात जो सही लगे , मन भाये , लुभाये वही अच्छी कहलाये।<br />
बहुत बहुत बधाई , सादर . अनुमोदन हेतु सादर आभार. आदरणी…tag:openbooksonline.com,2014-09-14:5170231:Comment:5749992014-09-14T06:26:08.004ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>अनुमोदन हेतु सादर आभार. आदरणीय सत्यनारायणजी.. <br/><br/></p>
<p>अनुमोदन हेतु सादर आभार. आदरणीय सत्यनारायणजी.. <br/><br/></p>