भोजपुरी लघुकथा : लछुमन रेखा (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-28T10:56:03Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:575520?groupUrl=bhojpuri_sahitya&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सौरभ भईया, लोग दुगो रो…tag:openbooksonline.com,2014-11-09:5170231:Comment:5865332014-11-09T06:04:41.834ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय सौरभ भईया, लोग दुगो रोटी भले ना दे बाकिर दू गो बात बनावे में कवनो जोड़ नईखे, आपन फटलका भले ना लउके बाकिर दोसर के टाटी में जरूर झाकी, राउर आशीर्वाद एह लघुकथा के एगो नया विस्तार दे दिहलस, बहुत बहुत आभार।</p>
<p>आदरणीय सौरभ भईया, लोग दुगो रोटी भले ना दे बाकिर दू गो बात बनावे में कवनो जोड़ नईखे, आपन फटलका भले ना लउके बाकिर दोसर के टाटी में जरूर झाकी, राउर आशीर्वाद एह लघुकथा के एगो नया विस्तार दे दिहलस, बहुत बहुत आभार।</p> आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, राउर…tag:openbooksonline.com,2014-11-09:5170231:Comment:5865312014-11-09T06:00:29.209ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, राउर कहनाम बिल्कुले सही बा, नामकरण त जईसे जनम सिद्ध अधिकार होखेला, लघुकथा पसन् करे बदे राउर बहुते आभार।</p>
<p>आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, राउर कहनाम बिल्कुले सही बा, नामकरण त जईसे जनम सिद्ध अधिकार होखेला, लघुकथा पसन् करे बदे राउर बहुते आभार।</p> आदरणीया सन्नो बहिन, एह भोजपुर…tag:openbooksonline.com,2014-11-09:5170231:Comment:5865292014-11-09T05:58:21.789ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीया सन्नो बहिन, एह भोजपुरी लघुकथा प राउर आशीर्वाद अनमोल बा, बहुते आभार।</p>
<p>आदरणीया सन्नो बहिन, एह भोजपुरी लघुकथा प राउर आशीर्वाद अनमोल बा, बहुते आभार।</p> आदरणीय अखिलेश भाई साहब, एह भो…tag:openbooksonline.com,2014-11-09:5170231:Comment:5864492014-11-09T05:57:09.598ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब, एह भोजपुरी लघुकथा प राउर कविता रूपी टिप्पणी उत्साहवर्धन क गईल, बहुते आभार।</p>
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब, एह भोजपुरी लघुकथा प राउर कविता रूपी टिप्पणी उत्साहवर्धन क गईल, बहुते आभार।</p> भोजपुरिहा गाँव-जवार के लोगन क…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5760292014-09-18T18:26:48.257ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भोजपुरिहा गाँव-जवार के लोगन के जवन हाल-दासा बा, ऊ इनारा के बेंग से ढेर अधिका नइखे, गनेस भाई. एकर दुख त हरमेसा से रहल बा. ऊहो तब जब अपना देस-जवार के लोगन के बहिरी के देस-दुनिया में जाये में कवनो अहस ना बरल कबो. पढ़ल ले बेसी कढ़ल लोगन के ई देस-जवार इज्जत करत रहल बा. बाकिर हाल का बा सोच के ? निकहा मन घिना जाओ. अब ई दुख तनिका बेसी एहू से ढेर बुझाता, काहें जे, अपना भारत देस के लगभग कूल्हि राज्यन में लोगन के मानसिक अस्तर में निकहा विकास भइल बा. बाकिर, भोजपुरिहा इलाका आजुओ सामंती सोच ले आगा नइखे बढ़ल.…</p>
<p>भोजपुरिहा गाँव-जवार के लोगन के जवन हाल-दासा बा, ऊ इनारा के बेंग से ढेर अधिका नइखे, गनेस भाई. एकर दुख त हरमेसा से रहल बा. ऊहो तब जब अपना देस-जवार के लोगन के बहिरी के देस-दुनिया में जाये में कवनो अहस ना बरल कबो. पढ़ल ले बेसी कढ़ल लोगन के ई देस-जवार इज्जत करत रहल बा. बाकिर हाल का बा सोच के ? निकहा मन घिना जाओ. अब ई दुख तनिका बेसी एहू से ढेर बुझाता, काहें जे, अपना भारत देस के लगभग कूल्हि राज्यन में लोगन के मानसिक अस्तर में निकहा विकास भइल बा. बाकिर, भोजपुरिहा इलाका आजुओ सामंती सोच ले आगा नइखे बढ़ल. आजुओ.. ! <br/>एही बिन्दु के तहार काथा निकहा सुघर भाव से कहि रहल बा. <br/><br/>एह लघुकाथा के प्रस्तुति खातिर दिल से बधाई.. <br/><br/></p> " एगो नया नाम धरा गइल " नाम ध…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5759632014-09-18T17:24:04.757ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
" एगो नया नाम धरा गइल " नाम धरने और अपनी परिभाषाएँ गढ़नें में तो हम दुनिया में सबसे आगे हैं। कोई अपने पैरों पर खड़ा हो यह भी हम देख नहीं पाते हैं। इस प्रभावी भोजपुरी लघु कथा हेतु बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी .
" एगो नया नाम धरा गइल " नाम धरने और अपनी परिभाषाएँ गढ़नें में तो हम दुनिया में सबसे आगे हैं। कोई अपने पैरों पर खड़ा हो यह भी हम देख नहीं पाते हैं। इस प्रभावी भोजपुरी लघु कथा हेतु बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी . लघु कथा पर बहुत बधाई, गणेश l…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5758002014-09-18T14:12:10.846ZShanno Aggarwalhttp://openbooksonline.com/profile/ShannoAggarwal
<p><span>लघु कथा पर बहुत बधाई, गणेश l <br/>औरत की जिंदगी कितनी बेबस है l वो चाहें कुछ भी करे पर लोग उसमे खामियां निकाल लेते हैं l शादी होने पर बड़े-बूढ़े बिना सोचे समझे उपदेश देते रहते हैं l पर परिस्थितियाँ लक्षमण रेखा लांघने को मजबूर कर देती हैं l परिवार का पेट भरने के लिये मेहनत मजदूरी करने वाली औरत भी 'छिनार' हो गई...ये लोगों की अज्ञानता नहीं तो क्या है? </span></p>
<p><span>लघु कथा पर बहुत बधाई, गणेश l <br/>औरत की जिंदगी कितनी बेबस है l वो चाहें कुछ भी करे पर लोग उसमे खामियां निकाल लेते हैं l शादी होने पर बड़े-बूढ़े बिना सोचे समझे उपदेश देते रहते हैं l पर परिस्थितियाँ लक्षमण रेखा लांघने को मजबूर कर देती हैं l परिवार का पेट भरने के लिये मेहनत मजदूरी करने वाली औरत भी 'छिनार' हो गई...ये लोगों की अज्ञानता नहीं तो क्या है? </span></p> आदरणीय गणेश भाईजी
भ्रष्ट व्य…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5756992014-09-18T08:22:23.566Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय गणेश भाईजी </p>
<p>भ्रष्ट व्यवस्था, उस पर दारू, क्या करे गरीब लुगाई। </p>
<p>परिवार पालना ज़रूरी है, चाहे जग में होत हँसाई।</p>
<p>इसलिए गरीब औरत बनी, शहर में सब की भौजई। </p>
<p>पर गाँव वाले चाहे जो कहें, वो है दरुवा की लुगाई।</p>
<p></p>
<p>गणेश भाई इस कथा के लिए, हार्दिक मेरी बधाई। </p>
<p>आदरणीय गणेश भाईजी </p>
<p>भ्रष्ट व्यवस्था, उस पर दारू, क्या करे गरीब लुगाई। </p>
<p>परिवार पालना ज़रूरी है, चाहे जग में होत हँसाई।</p>
<p>इसलिए गरीब औरत बनी, शहर में सब की भौजई। </p>
<p>पर गाँव वाले चाहे जो कहें, वो है दरुवा की लुगाई।</p>
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<p>गणेश भाई इस कथा के लिए, हार्दिक मेरी बधाई। </p> बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम न…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5758582014-09-18T06:27:52.397ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।</p> आदरणीया वेदिका जी, आप गैर भोज…tag:openbooksonline.com,2014-09-18:5170231:Comment:5759402014-09-18T06:27:11.320ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीया वेदिका जी, आप गैर भोजपुरी भाषी होते हुए भी जिस तरह से कथा के मर्म को समझी है वह तारीफ़ के योग्य है, मैं हृदय से आभारी हूँ।</p>
<p>आदरणीया वेदिका जी, आप गैर भोजपुरी भाषी होते हुए भी जिस तरह से कथा के मर्म को समझी है वह तारीफ़ के योग्य है, मैं हृदय से आभारी हूँ।</p>