मनहरण घनाक्षरी के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T22:14:47Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:579330?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A596419&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noहार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नवनीत…tag:openbooksonline.com,2016-02-21:5170231:Comment:7424312016-02-21T18:29:05.418ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नवनीत राय ’रुचिर’ जी</p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नवनीत राय ’रुचिर’ जी</p>
<p></p> पूज्यवर,
अतिमहत्त्वपूर्ण जान…tag:openbooksonline.com,2016-02-21:5170231:Comment:7421802016-02-21T17:41:25.579Zनवनीत राय "रुचिर"http://openbooksonline.com/profile/0ojzhl23bbf1x
<p>पूज्यवर, </p>
<p>अतिमहत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया । </p>
<p>विनम्र प्रणाम । </p>
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<p>पूज्यवर, </p>
<p>अतिमहत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया । </p>
<p>विनम्र प्रणाम । </p>
<p></p> जय-जय !!
tag:openbooksonline.com,2015-11-16:5170231:Comment:7155822015-11-16T08:32:01.738ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय-जय !!</p>
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<p>जय-जय !!</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ पाण्डे सर घनाक्षर…tag:openbooksonline.com,2014-12-20:5170231:Comment:5964192014-12-20T00:05:01.319Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डे सर घनाक्षरी छंद को सुन्दर तरीके से समझाया है <span>आपने इस छंद के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी देकर , विशेष रूप से लय तथा लय भंग समझाकर काफ़ी महत्वपूर्ण बात बताई है जो गेय/लयबद्ध सभी रचनाओं में ध्यान देने योग्य है. इस अमूल्य ज्ञानवर्धन के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद.. आभार </span></p>
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डे सर घनाक्षरी छंद को सुन्दर तरीके से समझाया है <span>आपने इस छंद के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी देकर , विशेष रूप से लय तथा लय भंग समझाकर काफ़ी महत्वपूर्ण बात बताई है जो गेय/लयबद्ध सभी रचनाओं में ध्यान देने योग्य है. इस अमूल्य ज्ञानवर्धन के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद.. आभार </span></p> आदरणीय गोपाल नारायनजी,
छन्द…tag:openbooksonline.com,2014-11-03:5170231:Comment:5852862014-11-03T07:20:27.851ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, <br></br><br></br></p>
<p><span style="color: #000080;">छन्द शास्त्र के नियमानुसार इस छन्द के कुल नौ भेद पाये जाते हैं. किन्तु, मुख्य घनाक्षरियाँ चार हैं.</span></p>
<p><span style="color: #000080;">यथा, मनहरण घनाक्षरी, जलहरण घनाक्षरी, रूप घनाक्षरी तथा देव घनाक्षरी.</span></p>
<p><br></br>वस्तुतः रूप घनाक्षरी, जलहरण घनाक्षरी (जनहरण घनाक्षरी नहीं), देवघनाक्षरी, विजया घनाक्षरी ऐसे ही भाग हैं जिनके कुल वर्ण ३२ होते हैं. <br></br><strong>हम यहाँ चर्चा मनहरण घनाक्षरी की कर रहे…</strong></p>
<p>आदरणीय गोपाल नारायनजी, <br/><br/></p>
<p><span style="color: #000080;">छन्द शास्त्र के नियमानुसार इस छन्द के कुल नौ भेद पाये जाते हैं. किन्तु, मुख्य घनाक्षरियाँ चार हैं.</span></p>
<p><span style="color: #000080;">यथा, मनहरण घनाक्षरी, जलहरण घनाक्षरी, रूप घनाक्षरी तथा देव घनाक्षरी.</span></p>
<p><br/>वस्तुतः रूप घनाक्षरी, जलहरण घनाक्षरी (जनहरण घनाक्षरी नहीं), देवघनाक्षरी, विजया घनाक्षरी ऐसे ही भाग हैं जिनके कुल वर्ण ३२ होते हैं. <br/><strong>हम यहाँ चर्चा मनहरण घनाक्षरी की कर रहे हैं.</strong> जो सभी घनाक्षरियों में सबसे अधिक प्रसिद्ध तथा अनुमन्य है.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ जी
आपने मनहरण घन…tag:openbooksonline.com,2014-11-03:5170231:Comment:5852562014-11-03T05:18:12.375Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय सौरभ जी</p>
<p> आपने मनहरण घनाक्षरी को बहत स्पष्ट रूप से और विस्तार से बताया I शत - शत आभार I मेरे संज्ञान में घनाक्षरी (8 8 ,8 8 )कुल बत्तीस वर्ण की होती है I क्या 32 वर्णों वाली घनाक्षरी भी घनाक्षरी के भेदों मे से एक है I या फिर वह पृथक छंद है i कृपया मार्ग दर्शंन करना चाहे I सादर i </p>
<p>आदरणीय सौरभ जी</p>
<p> आपने मनहरण घनाक्षरी को बहत स्पष्ट रूप से और विस्तार से बताया I शत - शत आभार I मेरे संज्ञान में घनाक्षरी (8 8 ,8 8 )कुल बत्तीस वर्ण की होती है I क्या 32 वर्णों वाली घनाक्षरी भी घनाक्षरी के भेदों मे से एक है I या फिर वह पृथक छंद है i कृपया मार्ग दर्शंन करना चाहे I सादर i </p> आपको प्रस्तुत आलेख सार्थक लगा…tag:openbooksonline.com,2014-10-04:5170231:Comment:5794542014-10-04T08:39:18.137ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपको प्रस्तुत आलेख सार्थक लगा इसके लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया छायाजी.</p>
<p>संप्रेषणीयता के हिसाब से कहीं कुछ गुंजाइश बन रही हो तो अवश्य साझा कीजियेगा.</p>
<p>सादर</p>
<p>आपको प्रस्तुत आलेख सार्थक लगा इसके लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया छायाजी.</p>
<p>संप्रेषणीयता के हिसाब से कहीं कुछ गुंजाइश बन रही हो तो अवश्य साझा कीजियेगा.</p>
<p>सादर</p> आ. भाई सौरभ जी ,अति सुंदर और…tag:openbooksonline.com,2014-10-04:5170231:Comment:5794402014-10-04T05:31:09.489ZChhaya Shuklahttp://openbooksonline.com/profile/ChhayaShukla
<p>आ. भाई सौरभ जी ,<br/>अति सुंदर और महत्त्वपूर्ण जाकारी पढ़कर खुश हूँ <br/>लय और लय भंग के लिए विस्तार देकर आलेख को विशिष्टता प्रदान किया है आपने <br/>सादर बधाई व धन्यवाद ! </p>
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<p>आ. भाई सौरभ जी ,<br/>अति सुंदर और महत्त्वपूर्ण जाकारी पढ़कर खुश हूँ <br/>लय और लय भंग के लिए विस्तार देकर आलेख को विशिष्टता प्रदान किया है आपने <br/>सादर बधाई व धन्यवाद ! </p>
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