ताटंक छन्द के मूलभूत सिद्धांत // - सौरभ - Open Books Online2024-03-28T15:32:41Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:624096?groupUrl=chhand&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सौरभ जी आपके छंद विषयक…tag:openbooksonline.com,2016-10-05:5170231:Comment:8057552016-10-05T04:44:52.407Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
आदरणीय सौरभ जी आपके छंद विषयक लेखों से ही मुझे नए नए छंदों की जानकारी मिली है और उन छंदों में कुछ लिखने की प्रेरणा मिली है। मेरी ताटन्क छंद में लिखी 4 पंक्तियाँ।<br />
<br />
बुन्देलखण्ड की ज्वाला थी तु<br />
झांसी की तुम रानी थी।<br />
खूब लड़ी अंग्रेजों से तुम<br />
ना तेरी ही सानी थी।<br />
भारतवाशी के हृदयों में<br />
स्थान अमर रानी तेरा।<br />
है वन्दन तेरे चरणों को<br />
स्वीकार 'नमन' हो मेरा।।<br />
<br />
बासुदेव अग्रवाल नमन<br />
तिनसुकिया<br />
18-06-2016
आदरणीय सौरभ जी आपके छंद विषयक लेखों से ही मुझे नए नए छंदों की जानकारी मिली है और उन छंदों में कुछ लिखने की प्रेरणा मिली है। मेरी ताटन्क छंद में लिखी 4 पंक्तियाँ।<br />
<br />
बुन्देलखण्ड की ज्वाला थी तु<br />
झांसी की तुम रानी थी।<br />
खूब लड़ी अंग्रेजों से तुम<br />
ना तेरी ही सानी थी।<br />
भारतवाशी के हृदयों में<br />
स्थान अमर रानी तेरा।<br />
है वन्दन तेरे चरणों को<br />
स्वीकार 'नमन' हो मेरा।।<br />
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बासुदेव अग्रवाल नमन<br />
तिनसुकिया<br />
18-06-2016 आदरणीय सतविन्दरजी, कॉमाका प्र…tag:openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7481302016-03-09T08:26:57.996ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सतविन्दरजी, कॉमाका प्रयोग हमेशा केवल यति के लिए नहीं होता बल्कि कई बार पंक्ति में अर्थ को स्पष्ट करने केलिए भी होता है. आप द्वारा सुझायी गयी पंक्ति में लगा कॉमा का प्रयोग यति के लिए नहीं बल्कि अर्थ स्पष्टता के लिए है. यति वाचन प्रवाह के क्रम में स्वयं स्थान ले लेती है. क्योंकि हर छन्द को पढ़ने का विशेष स्वर होता है. </p>
<p>आप आगे जैसे-जैसे पढ़ते जायेंगे और रचनाकर्म करते जायेंगे, तथ्य आपको और स्पष्ट होते जायेंगे. </p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय सतविन्दरजी, कॉमाका प्रयोग हमेशा केवल यति के लिए नहीं होता बल्कि कई बार पंक्ति में अर्थ को स्पष्ट करने केलिए भी होता है. आप द्वारा सुझायी गयी पंक्ति में लगा कॉमा का प्रयोग यति के लिए नहीं बल्कि अर्थ स्पष्टता के लिए है. यति वाचन प्रवाह के क्रम में स्वयं स्थान ले लेती है. क्योंकि हर छन्द को पढ़ने का विशेष स्वर होता है. </p>
<p>आप आगे जैसे-जैसे पढ़ते जायेंगे और रचनाकर्म करते जायेंगे, तथ्य आपको और स्पष्ट होते जायेंगे. </p>
<p>सादर</p> ताटंक छंद को बहुत अच्छे से सम…tag:openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7479882016-03-09T01:05:01.821Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
ताटंक छंद को बहुत अच्छे से समझाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ सर।<br />
आपने जो आदरणीय आचार्य संजीव जी दवारा रचित उदाहरण पेश किया है क्या उसमें कोमा को ही यति माना गयागया है?यदि ऐसा है तो अंतिम पंक्ति में उल्टा हुआ लगता है।सादर
ताटंक छंद को बहुत अच्छे से समझाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ सर।<br />
आपने जो आदरणीय आचार्य संजीव जी दवारा रचित उदाहरण पेश किया है क्या उसमें कोमा को ही यति माना गयागया है?यदि ऐसा है तो अंतिम पंक्ति में उल्टा हुआ लगता है।सादर आदरणीया नीरज शर्मा जी,
छन्द-र…tag:openbooksonline.com,2015-11-16:5170231:Comment:7157242015-11-16T08:37:07.704ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया नीरज शर्मा जी,</p>
<p>छन्द-रचना और छन्द आधारित रचनाओं में अंतर होता है. छन्द रचनाएँ छन्दों के नियमों का अक्षरशः पालन करती हैं. जबकि छन्द आधारित रचनाएँ छन्दों के मूलभूत नियमों को आत्मसात कर रचनाकार के अनुसार परिपालित होती हैं. </p>
<p>आपके प्रस्तुत उदाहरण या बच्चन की मधुशाला वस्तुतः ताटंक छन्द या कुकुभ छन्द या लावणी की शुद्ध रचनाएँ न हो कर इन छन्दों पर आधारित रचनाएँ हैं. यदि ये इन छन्दों की शुद्ध रचनाएँ होतीं तो इनका तीसरा पद (पंक्ति) स्वतंत्र न होता. बल्कि छन्दों की तुकान्तता के…</p>
<p>आदरणीया नीरज शर्मा जी,</p>
<p>छन्द-रचना और छन्द आधारित रचनाओं में अंतर होता है. छन्द रचनाएँ छन्दों के नियमों का अक्षरशः पालन करती हैं. जबकि छन्द आधारित रचनाएँ छन्दों के मूलभूत नियमों को आत्मसात कर रचनाकार के अनुसार परिपालित होती हैं. </p>
<p>आपके प्रस्तुत उदाहरण या बच्चन की मधुशाला वस्तुतः ताटंक छन्द या कुकुभ छन्द या लावणी की शुद्ध रचनाएँ न हो कर इन छन्दों पर आधारित रचनाएँ हैं. यदि ये इन छन्दों की शुद्ध रचनाएँ होतीं तो इनका तीसरा पद (पंक्ति) स्वतंत्र न होता. बल्कि छन्दों की तुकान्तता के नियनों का पालन करता होता.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> मेरी पुस्तक "आंसू लावनी " ता…tag:openbooksonline.com,2015-06-24:5170231:Comment:6677472015-06-24T16:15:02.430ZDr. (Mrs) Niraj Sharmahttp://openbooksonline.com/profile/DrMrsNirajSharma
<p>मेरी पुस्तक "आंसू लावनी " ताटंक छंद में ही लिखी हुई है।</p>
<p>इसमें आंसू को काफिया बनाकर १११ छंद है।</p>
<p>उदा....(१)</p>
<p>हो आघात अगर तो छलनी</p>
<p> मन करते हरदम आंसू।</p>
<p>इनसे बात छिपे ना कोई</p>
<p> दर्पन से ना कम आंसू।</p>
<p>शुष्क मनस का तर्पण करते</p>
<p> भावशून्य जब वह होता</p>
<p>मन की पीड़ा हरते मन के</p>
<p> घावों पर मरहम आंसू।</p>
<p></p>
<p>(२)</p>
<p>चारों ओर घिरे रहते हैं,</p>
<p> नयनन अलियों में आंसू।</p>
<p>केवल आ सकते हैं होकर</p>
<p> मन की…</p>
<p>मेरी पुस्तक "आंसू लावनी " ताटंक छंद में ही लिखी हुई है।</p>
<p>इसमें आंसू को काफिया बनाकर १११ छंद है।</p>
<p>उदा....(१)</p>
<p>हो आघात अगर तो छलनी</p>
<p> मन करते हरदम आंसू।</p>
<p>इनसे बात छिपे ना कोई</p>
<p> दर्पन से ना कम आंसू।</p>
<p>शुष्क मनस का तर्पण करते</p>
<p> भावशून्य जब वह होता</p>
<p>मन की पीड़ा हरते मन के</p>
<p> घावों पर मरहम आंसू।</p>
<p></p>
<p>(२)</p>
<p>चारों ओर घिरे रहते हैं,</p>
<p> नयनन अलियों में आंसू।</p>
<p>केवल आ सकते हैं होकर</p>
<p> मन की गलियों में आंसू</p>
<p>इनके मिस मन ही ईश्वर है</p>
<p> मन से बड़ा नहीं कोई</p>
<p>लीन सदा रहते हैं, मन की,</p>
<p> विरुदावलियों में आंसू।</p>
<p>ताटंक छंद का पर्यायवाची लावनी भी है।</p>
<p>डॉ हरिवंश राय बच्चन जी की मधुशाला भी इसी छंद में लिखी हुई है।</p>
<p>मनीषी कहते हैं कि यह छंद लुप्त होने के कगार पर है।</p>
<p>इस पर अधिक से अधिक काम करने की आवश्यक्ता है।</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ भाई , एक और नये छ…tag:openbooksonline.com,2015-03-08:5170231:Comment:6279482015-03-08T09:34:33.522Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सौरभ भाई , एक और नये छंद की जानकारी देने के लिये , बहुत बहुत आभार आपका ॥ अगर संभावना रहे तो उदाहरण स्वरूप एक से अधिक रचना कार की रचना या एक ही रचना कार की कई रचनायें दे दिया करें कृपा कर , ताकि किसी एक का भी फ्लो दिमाग में बैठ जाये तो नये रचना कार को कुछ आसानियाँ हो जायें । सादर निवेदन । </p>
<p>आदरणीय सौरभ भाई , एक और नये छंद की जानकारी देने के लिये , बहुत बहुत आभार आपका ॥ अगर संभावना रहे तो उदाहरण स्वरूप एक से अधिक रचना कार की रचना या एक ही रचना कार की कई रचनायें दे दिया करें कृपा कर , ताकि किसी एक का भी फ्लो दिमाग में बैठ जाये तो नये रचना कार को कुछ आसानियाँ हो जायें । सादर निवेदन । </p>