"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-60 - Open Books Online2024-03-28T17:00:53Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:661682?commentId=5170231%3AComment%3A668767&feed=yes&xn_auth=noवाह तरही मुशायरा बहुत शानदार…tag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6692172015-06-27T18:29:07.173Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह तरही मुशायरा बहुत शानदार ग़ज़ल से अंजाम पर पहुँच रहा है <br/><br/>ढेरो दाद</p>
<p>वाह तरही मुशायरा बहुत शानदार ग़ज़ल से अंजाम पर पहुँच रहा है <br/><br/>ढेरो दाद</p> स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6691322015-06-27T18:27:05.368Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p> मुशायरा में आपकी उपस्थिति छपत…tag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6689852015-06-27T18:26:34.599ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>मुशायरा में आपकी उपस्थिति छपते-छपते हुई है आदरणीय चरनजीत चन्दवाल चन्दनजी.<br/><br/>जाने क्यों लोग मुहब्बत से जला करते हैं<br/>इनसे जुड़ते हुए दो सर नहीं देखे जाते.. .. दाद कुबूल करें <br/><br/></p>
<p>मुशायरा में आपकी उपस्थिति छपते-छपते हुई है आदरणीय चरनजीत चन्दवाल चन्दनजी.<br/><br/>जाने क्यों लोग मुहब्बत से जला करते हैं<br/>इनसे जुड़ते हुए दो सर नहीं देखे जाते.. .. दाद कुबूल करें <br/><br/></p> स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6690732015-06-27T18:25:33.734Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p> तिलमिलाते सभी नश्वर नहीं देखे…tag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6691292015-06-27T18:25:27.554ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
तिलमिलाते सभी नश्वर नहीं देखे जाते<br />
अब तबाही तेरे मंजर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- ऊला मिसरे में 'नश्वर' शब्द किस भाषा का है,मैं नहीं समझ सका,उर्दू में 'नुशूर' होता है ,अगर ये शब्द हिन्दी का है तो मिसरा सही है,सानी मिसरा इस तरह कर लें तो बहतर होगा :-<br />
<br />
'अब तबाही के ये मंज़र नहीं देखे जाते'<br />
<br />
हैं निभाईं किसी ने प्यार की रस्में सारी<br />
उसके बदरंग हुए चादर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- इस शैर में क़ाफ़िया ग़लत है, 'चादर' स्त्रीलिंग है ।<br />
<br />
प्यार भी यार तो उसने है बनाया ऐसा<br />
इसमें मालिक या कि नौकर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- अच्छा…
तिलमिलाते सभी नश्वर नहीं देखे जाते<br />
अब तबाही तेरे मंजर नहीं देखे जाते II<br />
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:- ऊला मिसरे में 'नश्वर' शब्द किस भाषा का है,मैं नहीं समझ सका,उर्दू में 'नुशूर' होता है ,अगर ये शब्द हिन्दी का है तो मिसरा सही है,सानी मिसरा इस तरह कर लें तो बहतर होगा :-<br />
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'अब तबाही के ये मंज़र नहीं देखे जाते'<br />
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हैं निभाईं किसी ने प्यार की रस्में सारी<br />
उसके बदरंग हुए चादर नहीं देखे जाते II<br />
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:- इस शैर में क़ाफ़िया ग़लत है, 'चादर' स्त्रीलिंग है ।<br />
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प्यार भी यार तो उसने है बनाया ऐसा<br />
इसमें मालिक या कि नौकर नहीं देखे जाते II<br />
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:- अच्छा शैर है ।<br />
<br />
है मुहब्बत मेरी पूजा मेरा दीवाना पन<br />
खेल तो है कभी माहिर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- इस शैर में क़ाफ़िया ग़लत है ।<br />
<br />
लिख चुकी लेख सभी का कोई स्याही काली<br />
ऐ विधाता ! तेरे आखर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- बहुत अच्छा शैर है,बधाई हो ।<br />
<br />
क्या पता कौन किसे लगने लगे कब अच्छा<br />
इश्क़ में रहज़न-ओ-रहबर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- गिरह भी ख़ूब लगी है ।<br />
<br />
गोमती आज नहीं है मेरी पहले जैसी<br />
लखनऊ दिन तेरे बदतर नहीं देखे जाते II<br />
<br />
:- ये शैर आपके दर्द की तफ़सीर है,बहुत ख़ूब,वाह,बधाई हो ।<br />
<br />
मेरी पेशीन गोई है कि आप बहुत जल्द धूम मचाने वाले हैं ।<br />
<br />
"अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़्यादा" स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6689842015-06-27T18:25:17.238Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p> स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6690722015-06-27T18:25:09.434Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p> जी बात बन गयीtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6691282015-06-27T18:24:59.505Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>जी बात बन गयी</p>
<p>जी बात बन गयी</p> स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6692162015-06-27T18:24:50.805Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p> स्वागत हैtag:openbooksonline.com,2015-06-27:5170231:Comment:6692152015-06-27T18:23:33.942Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>स्वागत है</p>
<p>स्वागत है</p>