ग़ज़ल-संक्षिप्त आधार जानकारी-5 - Open Books Online2024-03-29T12:18:15Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:69121?groupUrl=kaksha&groupId=5170231%3AGroup%3A55965&id=5170231%3ATopic%3A69121&feed=yes&xn_auth=noआ. राणा भाई....अचानक ये मिल ग…tag:openbooksonline.com,2017-04-22:5170231:Comment:8505442017-04-22T01:45:16.912ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. राणा भाई....<br/>अचानक ये मिल गया ...<br/>सफ़र कहाँ से शुरू हुआ था हम सब का और अब कहाँ हैं <br/>नए लोगों के लिये ये एक नज़ीर है कि शुरुआत की जानी बहुत ज़रूरी है.<br/>सादर </p>
<p>आ. राणा भाई....<br/>अचानक ये मिल गया ...<br/>सफ़र कहाँ से शुरू हुआ था हम सब का और अब कहाँ हैं <br/>नए लोगों के लिये ये एक नज़ीर है कि शुरुआत की जानी बहुत ज़रूरी है.<br/>सादर </p> गजल की कक्षा के गुरूजी एवं सभ…tag:openbooksonline.com,2013-08-24:5170231:Comment:4201802013-08-24T11:28:18.221Zरमेश कुमार चौहानhttp://openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>गजल की कक्षा के गुरूजी एवं सभी सदस्यों को इस अनाड़ी सदस्य का सादर नमस्कार</p>
<p>गजल की कक्षा के गुरूजी एवं सभी सदस्यों को इस अनाड़ी सदस्य का सादर नमस्कार</p> जी हाँ, इनमें दोष नहीं हैtag:openbooksonline.com,2012-02-20:5170231:Comment:1908852012-02-20T07:29:28.164Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>जी हाँ, इनमें दोष नहीं है</p>
<p>जी हाँ, इनमें दोष नहीं है</p> इसमें तो कोई दोष नहीं दिख रहा।tag:openbooksonline.com,2012-02-20:5170231:Comment:1908522012-02-20T04:23:38.095ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>इसमें तो कोई दोष नहीं दिख रहा।</p>
<p>इसमें तो कोई दोष नहीं दिख रहा।</p> राणा भाई ये मतले डिफेक्टिव कै…tag:openbooksonline.com,2012-02-19:5170231:Comment:1910162012-02-19T19:56:38.778Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<div><span>राणा भाई ये मतले डिफेक्टिव कैसे हैं ?<br/>समझ नहीं सका ...<br/><br/>२. </span><span>लफ़्ज़ एहसास—से छाने लगे, ये तो हद है</span></div>
<p><span>लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है</span></p>
<p><span> </span></p>
<div>९. चाँद उस देस में निकला कि नहीं</div>
<p>जाने वो आज भी सोया कि नहीं<br/><br/><br/></p>
<div><span>राणा भाई ये मतले डिफेक्टिव कैसे हैं ?<br/>समझ नहीं सका ...<br/><br/>२. </span><span>लफ़्ज़ एहसास—से छाने लगे, ये तो हद है</span></div>
<p><span>लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है</span></p>
<p><span> </span></p>
<div>९. चाँद उस देस में निकला कि नहीं</div>
<p>जाने वो आज भी सोया कि नहीं<br/><br/><br/></p> वो तो ये बात है, मैंने पूरा र…tag:openbooksonline.com,2011-04-26:5170231:Comment:734872011-04-26T04:44:35.491ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
वो तो ये बात है, मैंने पूरा रविवार बिता दिया इन्तजार में
वो तो ये बात है, मैंने पूरा रविवार बिता दिया इन्तजार में इस पोस्ट में, चल रही तरही को…tag:openbooksonline.com,2011-04-25:5170231:Comment:730742011-04-25T05:06:21.638ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>इस पोस्ट में, चल रही तरही को लेकर कुछ कहना है। इसलिये रोक रखी है जिससे तरही प्रभावित न हो।</p>
<p>इस पोस्ट में, चल रही तरही को लेकर कुछ कहना है। इसलिये रोक रखी है जिससे तरही प्रभावित न हो।</p> nai post ?
tag:openbooksonline.com,2011-04-24:5170231:Comment:728842011-04-24T18:46:44.190Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>nai post ?</p>
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<p>nai post ?</p>
<p> </p> हम हिन्दी वालों से ऐसी ग़ल्…tag:openbooksonline.com,2011-04-15:5170231:Comment:700422011-04-15T19:00:49.060ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>हम हिन्दी वालों से ऐसी ग़ल्ती हो ही जाती है।</p>
इंग्लिश में भी इन्हें Musafir और Phir लिखा जाता है।
<p>हम हिन्दी वालों से ऐसी ग़ल्ती हो ही जाती है।</p>
इंग्लिश में भी इन्हें Musafir और Phir लिखा जाता है। तिलक जी, धन्यवाद.
मैंने ध्यान…tag:openbooksonline.com,2011-04-15:5170231:Comment:701532011-04-15T15:57:04.069ZRajeev Bharolhttp://openbooksonline.com/profile/RajeevBharol
<p>तिलक जी, धन्यवाद.</p>
<p>मैंने ध्यान ही नहीं दिया की 'फिर' और 'मुसाफिर' उर्दू में अगर लिखें तो मुसाफिर के अंत में 'फे', और 'रे' आएगा(مسافر) और फिर में 'पे', 'हे', और 'रे' (پھر).... अतः दोष नहीं हुआ और काफिया 'इर' पर निर्धारित हुआ.</p>
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<p>तिलक जी, धन्यवाद.</p>
<p>मैंने ध्यान ही नहीं दिया की 'फिर' और 'मुसाफिर' उर्दू में अगर लिखें तो मुसाफिर के अंत में 'फे', और 'रे' आएगा(مسافر) और फिर में 'पे', 'हे', और 'रे' (پھر).... अतः दोष नहीं हुआ और काफिया 'इर' पर निर्धारित हुआ.</p>
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