ग़ज़ल-संक्षिप्त आधार जानकारी-6 - Open Books Online2024-03-29T13:27:03Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:73897?groupUrl=kaksha&commentId=5170231%3AComment%3A74118&groupId=5170231%3AGroup%3A55965&feed=yes&xn_auth=noबिलकुल सही कह रहे है आप कि यह…tag:openbooksonline.com,2016-01-27:5170231:Comment:7347862016-01-27T09:38:43.728Zkanta royhttp://openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p>बिलकुल सही कह रहे है आप कि यहां इतनी जानकारी है कि की किसी नयी विधा के नव उत्साही की <span>क्षुधा</span> शांत कर दे। सादर। </p>
<p>बिलकुल सही कह रहे है आप कि यहां इतनी जानकारी है कि की किसी नयी विधा के नव उत्साही की <span>क्षुधा</span> शांत कर दे। सादर। </p> इसी मंच के होम पेज पर देखें द…tag:openbooksonline.com,2014-10-05:5170231:Comment:5793952014-10-05T03:40:38.417ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>इसी मंच के होम पेज पर देखें दो लिंक दिये हुए हैं जिन पर इतनी जानकारी तो है ही कि आपकी क्षुधा शांत हो सके। </p>
<p>इसी मंच के होम पेज पर देखें दो लिंक दिये हुए हैं जिन पर इतनी जानकारी तो है ही कि आपकी क्षुधा शांत हो सके। </p> कविताएं तो लिखता रहा हूँ, पर…tag:openbooksonline.com,2014-10-04:5170231:Comment:5794762014-10-04T15:18:41.466ZManan Kumar singhhttp://openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>कविताएं तो लिखता रहा हूँ, पर गजल की जानकारी चाहता हूँ। आभार होगा यदि रदीफ़, काफिया, मिसरा, मतला इत्यादि पर एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत हो। </p>
<p>कविताएं तो लिखता रहा हूँ, पर गजल की जानकारी चाहता हूँ। आभार होगा यदि रदीफ़, काफिया, मिसरा, मतला इत्यादि पर एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत हो। </p> तिलक जी,
कल संडे है :)tag:openbooksonline.com,2011-04-30:5170231:Comment:755122011-04-30T09:10:38.226Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>तिलक जी,</p>
<p> कल संडे है :)</p>
<p>तिलक जी,</p>
<p> कल संडे है :)</p> बह्र के बारे में पहली बात जो…tag:openbooksonline.com,2011-04-29:5170231:Comment:751182011-04-29T05:15:09.865ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>बह्र के बारे में पहली बात जो समझना जरूरी है वह यह है कि बह्र में कुल मात्रायें नहीं मात्रिक क्रम का पालन करना होता है। दूसरी बात यह है कि प्रत्यक्ष रूप में कभी कभी मात्रिक असमानता दिख सकती है लेकिन ऐसा तभी होता है जब शायर से बह्र के पालन में चूक हुई हो या बह्र के प्रति सावधान रहते हुए भी उसे मात्रा-संतुलन का ज्ञान हो यानि कहॉं मात्रा गिराकर पढ़ना है और कहॉं उठा कर। ग़ज़ल में यह अंश सबसे बाद में सीखने का होता है। आरंभ में ही इसकी आदत पड़ गयी तो शायर में शेर पर मेहनत की आदत का विकास नहीं हो…</p>
<p>बह्र के बारे में पहली बात जो समझना जरूरी है वह यह है कि बह्र में कुल मात्रायें नहीं मात्रिक क्रम का पालन करना होता है। दूसरी बात यह है कि प्रत्यक्ष रूप में कभी कभी मात्रिक असमानता दिख सकती है लेकिन ऐसा तभी होता है जब शायर से बह्र के पालन में चूक हुई हो या बह्र के प्रति सावधान रहते हुए भी उसे मात्रा-संतुलन का ज्ञान हो यानि कहॉं मात्रा गिराकर पढ़ना है और कहॉं उठा कर। ग़ज़ल में यह अंश सबसे बाद में सीखने का होता है। आरंभ में ही इसकी आदत पड़ गयी तो शायर में शेर पर मेहनत की आदत का विकास नहीं हो पाता है।</p>
<p>अब आपकी ग़ज़ल पर लौटें तो स्पष्ट दिख रहा है कि मात्रिक क्रम का इसमें अभाव है। आप अगर नये हैं तो कोशिश करें कि किसी अच्छे शायर की ग़ज़ल को आधार बनाकर ग़ज़ल कहें।</p>
<p> </p> आदरनीय तिलक जी ग़ज़ल के बारे…tag:openbooksonline.com,2011-04-29:5170231:Comment:749492011-04-29T00:36:11.320ZRajhttp://openbooksonline.com/profile/Raj
<p>आदरनीय तिलक जी ग़ज़ल के बारे में महत्वपूरण जानकारी देने के लिए धन्यवाद. मेरी एक समस्या है की मैं रदीफ़ काफिये का ध्यान रख लेता हूँ और मात्राएँ भी हर एक शेर में बराबर रख लेता हूँ , लेकिन बहर कैसे निर्धारित होती यह मेरी समझ से बाहर है, कृपा करके बताएँगे की मेरी इस ग़ज़ल की कौनसी बहर है और क्यों?</p>
<p>उसको भी कुछ शिकवा गिला होगा<br></br> मेरे संग कुछ और भी जला होगा<br></br> <br></br> राख उडी तो होगी हवा के साथ<br></br> इक ज़र्रा उस दामन पे गिरा होगा<br></br> <br></br> सामान तो सब बचा लिया गया होगा<br></br> नहीं वो, जो…</p>
<p>आदरनीय तिलक जी ग़ज़ल के बारे में महत्वपूरण जानकारी देने के लिए धन्यवाद. मेरी एक समस्या है की मैं रदीफ़ काफिये का ध्यान रख लेता हूँ और मात्राएँ भी हर एक शेर में बराबर रख लेता हूँ , लेकिन बहर कैसे निर्धारित होती यह मेरी समझ से बाहर है, कृपा करके बताएँगे की मेरी इस ग़ज़ल की कौनसी बहर है और क्यों?</p>
<p>उसको भी कुछ शिकवा गिला होगा<br/> मेरे संग कुछ और भी जला होगा<br/> <br/> राख उडी तो होगी हवा के साथ<br/> इक ज़र्रा उस दामन पे गिरा होगा<br/> <br/> सामान तो सब बचा लिया गया होगा<br/> नहीं वो, जो बदन से सिला होगा<br/> <br/> मैनें घर जलाया रोशनी के लिए<br/> कौन मुझ जैसा यहाँ दिलजला होगा<br/> <br/> आज भी शाम ढल गयी होगी तन्हां<br/> सूरज भी लाली से सना होगा<br/> <br/> रुका होगा कुछ सोचकर मेरा यार<br/> दो क़दम घर से ज़रूर चला होगा<br/> <br/> रोजी पे गया सो बेखबर होगा<br/> मस्त है जो मखमल पे पला होगा</p> यह तो सही है कि तरही की पंक्त…tag:openbooksonline.com,2011-04-27:5170231:Comment:742152011-04-27T04:21:45.864ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
यह तो सही है कि तरही की पंक्ति वही रहेगी जो शायर की मूल पंक्ति होगी, ध्यान तो हमें रखना है जब हम अपनी ग़ज़ल का मत्ला निर्धारित कर रहे हों।
यह तो सही है कि तरही की पंक्ति वही रहेगी जो शायर की मूल पंक्ति होगी, ध्यान तो हमें रखना है जब हम अपनी ग़ज़ल का मत्ला निर्धारित कर रहे हों। आप सही हैं।
'सभ्य सुशिक्षित क…tag:openbooksonline.com,2011-04-27:5170231:Comment:743132011-04-27T04:19:45.903ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>आप सही हैं।</p>
<p>'सभ्य सुशिक्षित को बहका दो कागज़ पर' को लेकर किसी को भ्रम हो तो क्ष की प्रकृति पर ध्यान दें यह वज़्न की दृष्टि से वस्तुत: क्श है इस प्रकार यह पंक्ति भी सही है।<br/><br/></p>
<p>आप सही हैं।</p>
<p>'सभ्य सुशिक्षित को बहका दो कागज़ पर' को लेकर किसी को भ्रम हो तो क्ष की प्रकृति पर ध्यान दें यह वज़्न की दृष्टि से वस्तुत: क्श है इस प्रकार यह पंक्ति भी सही है।<br/><br/></p> यह भी गौरतलब है की एहतराम साह…tag:openbooksonline.com,2011-04-27:5170231:Comment:739862011-04-27T00:48:58.599ZRana Pratap Singhhttp://openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
यह भी गौरतलब है की एहतराम साहब की इस गज़ल में एक भी मात्रा गिराई नहीं गई है|
यह भी गौरतलब है की एहतराम साहब की इस गज़ल में एक भी मात्रा गिराई नहीं गई है| पोस्ट से पूरी तरह से सहमत हू…tag:openbooksonline.com,2011-04-26:5170231:Comment:739822011-04-26T20:52:48.115Zवीनस केसरीhttp://openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>पोस्ट से पूरी तरह से सहमत हू</p>
<p>परन्तु जब हम किसी शायर का मिसरा 'तरही' मुशायरे के लिए चुनते हैं तो रदीफ़ काफिया और बहर भी वही रखते हैं जो शायर ने अपनी ग़ज़ल में रखी है <br clear="all"/>यह बात ध्यान देने योग्य है की तरही मिसरा का चुनाव करते समय अतिरिक्त सावधानी बरती जाए</p>
<p> </p>
<p><br/>@ राणा भाई - रदीफ़ काफिया भी सरल दिया करिए, हम जैसों का भला होगा</p>
<p> </p>
<p>@ O.B.O - पिछले दिनों व्यस्तता के कारण प्रतियोगिता और मुशायरे में हिस्सा न ले सका , क्षमा प्रार्थी हूँ</p>
<p>पोस्ट से पूरी तरह से सहमत हू</p>
<p>परन्तु जब हम किसी शायर का मिसरा 'तरही' मुशायरे के लिए चुनते हैं तो रदीफ़ काफिया और बहर भी वही रखते हैं जो शायर ने अपनी ग़ज़ल में रखी है <br clear="all"/>यह बात ध्यान देने योग्य है की तरही मिसरा का चुनाव करते समय अतिरिक्त सावधानी बरती जाए</p>
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<p><br/>@ राणा भाई - रदीफ़ काफिया भी सरल दिया करिए, हम जैसों का भला होगा</p>
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<p>@ O.B.O - पिछले दिनों व्यस्तता के कारण प्रतियोगिता और मुशायरे में हिस्सा न ले सका , क्षमा प्रार्थी हूँ</p>