प्रदत्त विषय पर लघुकथा रचते समय ध्यान रखने योग्य बातें - Open Books Online2024-03-28T18:13:32Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:798329?commentId=5170231%3AComment%3A801784&x=1&feed=yes&xn_auth=noजी | बिलकुलtag:openbooksonline.com,2016-09-21:5170231:Comment:8017842016-09-21T05:58:33.943Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>जी | बिलकुल</p>
<p>जी | बिलकुल</p> आशा करता हूँ कि मेरे इस उत्तर…tag:openbooksonline.com,2016-09-21:5170231:Comment:8017762016-09-21T03:44:03.532Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आशा करता हूँ कि मेरे इस उत्तर से आपकी आशंकायों का निवारण अवश्य हुआ होगा आ० रश्मि जी.</p>
<p>आशा करता हूँ कि मेरे इस उत्तर से आपकी आशंकायों का निवारण अवश्य हुआ होगा आ० रश्मि जी.</p> जी सर ,आपके आलेख का 4 न पढ़ा थ…tag:openbooksonline.com,2016-09-20:5170231:Comment:8018422016-09-20T11:33:03.912Zrashmi tarikahttp://openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
जी सर ,आपके आलेख का 4 न पढ़ा था फिर भी पूछा क्योंकि जब भी विषय आधारित कथा लिखते हैं तो सवाल उठाया ही जाता है कि हमने कथा का शीर्षक क्यों नहीं दिया।इसलिए एक बार अपने शब्दों में पूछा वीरजी।
जी सर ,आपके आलेख का 4 न पढ़ा था फिर भी पूछा क्योंकि जब भी विषय आधारित कथा लिखते हैं तो सवाल उठाया ही जाता है कि हमने कथा का शीर्षक क्यों नहीं दिया।इसलिए एक बार अपने शब्दों में पूछा वीरजी। लगता है कि आपने यह आलेख ध्यान…tag:openbooksonline.com,2016-09-20:5170231:Comment:8017562016-09-20T10:50:21.643Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>लगता है कि आपने यह आलेख ध्यान से नहीं पढ़ा आ० रश्मि जीI प्रदत्त विषय को शीर्षक बनाया जा सकता है, और हम लोग बनाते भी हैंI लेकिन जैसा कि मैंने आलेख के बिंदु कर्म-संख्या 4 में निवेदन किया है कि यह ज़रूरी नहीं कि प्रदत्त विषय को ही रचना का शीर्षक बनाया जाएI अर्थात यदि कोई रचनाकार विषयाधारित कथा को कोई और शीर्षक देने चाहें तो दे सकते हैंI उद्देश्य केवल इतना है कि रचना से प्रदत्त विषय उभर कर सामने आएI</p>
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<p>लगता है कि आपने यह आलेख ध्यान से नहीं पढ़ा आ० रश्मि जीI प्रदत्त विषय को शीर्षक बनाया जा सकता है, और हम लोग बनाते भी हैंI लेकिन जैसा कि मैंने आलेख के बिंदु कर्म-संख्या 4 में निवेदन किया है कि यह ज़रूरी नहीं कि प्रदत्त विषय को ही रचना का शीर्षक बनाया जाएI अर्थात यदि कोई रचनाकार विषयाधारित कथा को कोई और शीर्षक देने चाहें तो दे सकते हैंI उद्देश्य केवल इतना है कि रचना से प्रदत्त विषय उभर कर सामने आएI</p>
<p></p> आद सर ,विषय आधारित लघुकथा के…tag:openbooksonline.com,2016-09-20:5170231:Comment:8016502016-09-20T09:47:33.535Zrashmi tarikahttp://openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
आद सर ,विषय आधारित लघुकथा के लिए आपने जो जानकारी दी है ,वह महत्वपूर्ण है।कई बार लघुकथा लिखते वक़्त हम लोग विषय से हट जाते हैं।लेकिन एक बात शीर्षक को लेकर पूछनी है कि क्या ये आवश्यक है कि अगर कोई विषय दिया गया है तो उसके आगे भी हम कोई शीर्षक दें।मसलन विषय अगर शतरंज है तो शीर्षक क्या अलग से "चाल" जैसा दिया जाए जो विषय की सार्थकता को दर्शाये ? क्या हम शतंरज विषय को ही अपना शीर्षक मान कर उस पर लघुकथा नहीं लिख सकते ? भाव तो एक ही है न!
आद सर ,विषय आधारित लघुकथा के लिए आपने जो जानकारी दी है ,वह महत्वपूर्ण है।कई बार लघुकथा लिखते वक़्त हम लोग विषय से हट जाते हैं।लेकिन एक बात शीर्षक को लेकर पूछनी है कि क्या ये आवश्यक है कि अगर कोई विषय दिया गया है तो उसके आगे भी हम कोई शीर्षक दें।मसलन विषय अगर शतरंज है तो शीर्षक क्या अलग से "चाल" जैसा दिया जाए जो विषय की सार्थकता को दर्शाये ? क्या हम शतंरज विषय को ही अपना शीर्षक मान कर उस पर लघुकथा नहीं लिख सकते ? भाव तो एक ही है न! आप बिल्कुल दुरुस्त फरमा रहे ह…tag:openbooksonline.com,2016-09-19:5170231:Comment:8015332016-09-19T10:33:05.164Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आप बिल्कुल दुरुस्त फरमा रहे हैं आ० लडीवाला जी, लघुकथा रचना वाक़ई एक श्रमसाध्य कार्य हैI एक सिरा पकड़ो तो दूसरा ढीला हो जाता हैI विद्वानों के मतानुसार लघुकथा किसी गरीब आदमी के बजट की तरह होती है, इसमें न तो "ज़रूरी" को छोड़ा जा सकता है और न ही ज़रूरत के "इलावा" किसी अन्य चीज़ की गुंजाइश ही होती हैI </p>
<p>आप बिल्कुल दुरुस्त फरमा रहे हैं आ० लडीवाला जी, लघुकथा रचना वाक़ई एक श्रमसाध्य कार्य हैI एक सिरा पकड़ो तो दूसरा ढीला हो जाता हैI विद्वानों के मतानुसार लघुकथा किसी गरीब आदमी के बजट की तरह होती है, इसमें न तो "ज़रूरी" को छोड़ा जा सकता है और न ही ज़रूरत के "इलावा" किसी अन्य चीज़ की गुंजाइश ही होती हैI </p> हार्दिक आभार आ० समर कबीर जीItag:openbooksonline.com,2016-09-19:5170231:Comment:8014992016-09-19T10:28:25.358Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० समर कबीर जीI</p>
<p>हार्दिक आभार आ० समर कबीर जीI</p> जी,बहुत आभारी हूँ,आपने इतने व…tag:openbooksonline.com,2016-09-15:5170231:Comment:8003072016-09-15T09:50:40.760ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जी,बहुत आभारी हूँ,आपने इतने विस्तार से समझाया और बहुत ही क़ीमती जानकारी साझा की,इसके लिये कोटि कोटि धन्यवाद ।
जी,बहुत आभारी हूँ,आपने इतने विस्तार से समझाया और बहुत ही क़ीमती जानकारी साझा की,इसके लिये कोटि कोटि धन्यवाद । जी सर धन्यवाद ।tag:openbooksonline.com,2016-09-15:5170231:Comment:8002502016-09-15T09:14:05.906ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
जी सर धन्यवाद ।
जी सर धन्यवाद । लघु कथा विषय पर महत्वपूर्ण बि…tag:openbooksonline.com,2016-09-15:5170231:Comment:8000992016-09-15T09:07:15.661Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>लघु कथा विषय पर महत्वपूर्ण बिन्दुओं के माध्यम से अच्छी जानकारी कराई है आपने आ. योगराज जी, लघुकथा लिखना कहानी लिखने से अधिक कठिन कार्य है जिसमे कुछ शब्दों में बहुत कुछ कहने और प्रभावपूर्ण छाप छोड़ने ले लिए लघुकथा में प्रारम्भ से अंत तक बांधे रखना और चर्मोतकर्ष पर लघुकथा का समापन करना दुष्कर कार्य है | सादर </p>
<p>लघु कथा विषय पर महत्वपूर्ण बिन्दुओं के माध्यम से अच्छी जानकारी कराई है आपने आ. योगराज जी, लघुकथा लिखना कहानी लिखने से अधिक कठिन कार्य है जिसमे कुछ शब्दों में बहुत कुछ कहने और प्रभावपूर्ण छाप छोड़ने ले लिए लघुकथा में प्रारम्भ से अंत तक बांधे रखना और चर्मोतकर्ष पर लघुकथा का समापन करना दुष्कर कार्य है | सादर </p>