"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-55 - Open Books Online2024-03-28T12:48:54Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/55?feed=yes&xn_auth=noमिले खुशी भी उसे और जिन्दगी म…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6133312015-01-31T18:29:43.526ZMAHIMA SHREEhttp://openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p><span>मिले खुशी भी उसे और जिन्दगी में चमक</span><br/><span>दुआ यहीं ये मेरा दिल भी बार बार करे....बहुत खूब हार्दिक बधाई</span></p>
<p><span>मिले खुशी भी उसे और जिन्दगी में चमक</span><br/><span>दुआ यहीं ये मेरा दिल भी बार बार करे....बहुत खूब हार्दिक बधाई</span></p> विलासिता में सभी,कौन माँ से प…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6132662015-01-31T18:26:39.315ZMAHIMA SHREEhttp://openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p>विलासिता में सभी,कौन माँ से प्यार करे</p>
<p>सवाल एक खड़ा , कौन जाँ निसार करे |....हार्दिक बधाई प्रेषित है आ. अरुण सर</p>
<p>विलासिता में सभी,कौन माँ से प्यार करे</p>
<p>सवाल एक खड़ा , कौन जाँ निसार करे |....हार्दिक बधाई प्रेषित है आ. अरुण सर</p> उसी के पाँव सदा चूमती है मंज़…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6133302015-01-31T18:22:59.849ZMAHIMA SHREEhttp://openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p><span>उसी के पाँव सदा चूमती है मंज़िल, जो</span><br/><span>सफ़र की मस्त बहारों को दरकिनार करे</span><br/><br/><span>धरा ने इन्द्रधनुष ले के लक्ष्य साधा है</span><br/><span>कि बाण व्योम की छाती को आरपार करे....उम्दा...हार्दिक बधाई आपको</span></p>
<p><span>उसी के पाँव सदा चूमती है मंज़िल, जो</span><br/><span>सफ़र की मस्त बहारों को दरकिनार करे</span><br/><br/><span>धरा ने इन्द्रधनुष ले के लक्ष्य साधा है</span><br/><span>कि बाण व्योम की छाती को आरपार करे....उम्दा...हार्दिक बधाई आपको</span></p> बताऐं कैसे , कि दिल किस तरह म…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6132652015-01-31T18:19:53.753ZMAHIMA SHREEhttp://openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p><span>बताऐं कैसे , कि दिल किस तरह मचल्ता है</span><br/><span>हमारे सामने ख़न्जर पे जब वह धार करे</span><br/><br/><span>किसी ख़ुशी की नहीं है तलब मिरे दिल को</span><br/><span>तुम्हारे ग़म की तमन्ना ये बार बार करे</span><br/><br/><span>वह मैं नहीं हूँ कोई और होगा दीवाना</span><br/><span>तिरे ख़ुलूसो वफ़ा पर जो एतबार करे....बहुत खूब..हार्दिक बधाई</span></p>
<p><span>बताऐं कैसे , कि दिल किस तरह मचल्ता है</span><br/><span>हमारे सामने ख़न्जर पे जब वह धार करे</span><br/><br/><span>किसी ख़ुशी की नहीं है तलब मिरे दिल को</span><br/><span>तुम्हारे ग़म की तमन्ना ये बार बार करे</span><br/><br/><span>वह मैं नहीं हूँ कोई और होगा दीवाना</span><br/><span>तिरे ख़ुलूसो वफ़ा पर जो एतबार करे....बहुत खूब..हार्दिक बधाई</span></p> किस कारण से इसे नगण्य मान लिय…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6131742015-01-31T18:19:23.585Zवेदिकाhttp://openbooksonline.com/profile/vedikagitika
किस कारण से इसे नगण्य मान लिया गया आदरणीय?
किस कारण से इसे नगण्य मान लिया गया आदरणीय? आभारी हूँ महिमा श्री जी।tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6132642015-01-31T18:16:05.096ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>आभारी हूँ महिमा श्री जी।</p>
<p>आभारी हूँ महिमा श्री जी।</p> मैं अपेक्षा कर रहा था कि इस श…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6132632015-01-31T18:15:37.969ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>मैं अपेक्षा कर रहा था कि इस शेर पर तकाबुले रदीफ़ का प्रश्न लेकर कुछ चर्चा होगी। नहीं हुई। मेरा मानना है कि है भी नहीं। </p>
<p>मैं अपेक्षा कर रहा था कि इस शेर पर तकाबुले रदीफ़ का प्रश्न लेकर कुछ चर्चा होगी। नहीं हुई। मेरा मानना है कि है भी नहीं। </p> आदरणीय मोहन भाई , सराहना के ल…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6132622015-01-31T18:12:36.199Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय मोहन भाई , सराहना के लिये आपका नहुत शुक्रिया ।</p>
<p>आदरणीय मोहन भाई , सराहना के लिये आपका नहुत शुक्रिया ।</p> बेहतरीन ...बधाई आपकोtag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6131732015-01-31T18:11:46.408ZMAHIMA SHREEhttp://openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p>बेहतरीन ...बधाई आपको</p>
<p>बेहतरीन ...बधाई आपको</p> आदरणीया महिमा जी , सराहना के…tag:openbooksonline.com,2015-01-31:5170231:Comment:6131722015-01-31T18:11:40.034Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीया महिमा जी , सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ॥</p>
<p>आदरणीया महिमा जी , सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ॥</p>