"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-59 (विषय: सफ़र) - Open Books Online2024-03-29T09:41:18Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/59-3?commentId=5170231%3AComment%3A1001577&feed=yes&xn_auth=noआदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017052020-02-29T18:29:34.478ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब।</p>
<p>आदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब।</p> आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा ज…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017042020-02-29T18:28:31.940Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी, प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी, प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार।</p> इस आयोजन को सफल बनाने के लिए…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10015932020-02-29T18:28:21.745Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों का ह्रदयतल से धन्यवादl </p>
<p>इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों का ह्रदयतल से धन्यवादl </p> सादर नमस्कार। समय गतिमान है…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017032020-02-29T18:28:20.757ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। समय गतिमान है ...तकनीकी विकास भी.. लेकिन यदि मति का ठहराव है... विवेक का ठहराव है... तो सुख शांति का समय.बाधित है। प्रवाहमय संवादात्मक रचना अंत में जाकर आज के सत्य का राज़ खोलती और शीर्षक को सार्थक कर पाठक को झकझोर कर सोचने को, आत्ममूल्यांकन करने को प्रेरित करती है। हार्दिक बधाई इस बेहतरीन सृजन के लिए जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।</p>
<p>सादर नमस्कार। समय गतिमान है ...तकनीकी विकास भी.. लेकिन यदि मति का ठहराव है... विवेक का ठहराव है... तो सुख शांति का समय.बाधित है। प्रवाहमय संवादात्मक रचना अंत में जाकर आज के सत्य का राज़ खोलती और शीर्षक को सार्थक कर पाठक को झकझोर कर सोचने को, आत्ममूल्यांकन करने को प्रेरित करती है। हार्दिक बधाई इस बेहतरीन सृजन के लिए जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।</p> आदरणीया प्रतिभा दीदी, सादर नम…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017022020-02-29T18:27:25.616Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीया प्रतिभा दीदी, सादर नमन! विषयानुरूप एक सहज और सन्देशप्रद लघुकथा कहिआआपने , हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा दीदी, सादर नमन! विषयानुरूप एक सहज और सन्देशप्रद लघुकथा कहिआआपने , हार्दिक बधाई।</p> सादर नमन सह बधाई आदरणीया।tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017702020-02-29T18:24:13.298Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>सादर नमन सह बधाई आदरणीया।</p>
<p>सादर नमन सह बधाई आदरणीया।</p> आदरणीय भसीन जी सादर नमन, विषय…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017692020-02-29T18:20:49.478Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय भसीन जी सादर नमन, विषयानुरूप कसी हुई प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीय भसीन जी सादर नमन, विषयानुरूप कसी हुई प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय सर,…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017012020-02-29T18:18:36.066Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय सर, शिक्षण कार्य से जुड़े होने के कारण इस कथावस्तु के मर्म को भी समझ पा रहा हूँ, तथापि यह कथा कई क्षेत्रों के हालातों को इंगित करती महसूस हुई। सादर बधाई</p>
<p>आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय सर, शिक्षण कार्य से जुड़े होने के कारण इस कथावस्तु के मर्म को भी समझ पा रहा हूँ, तथापि यह कथा कई क्षेत्रों के हालातों को इंगित करती महसूस हुई। सादर बधाई</p> आदरणीय विनय कुमार अंजू जी, आप…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017002020-02-29T18:13:20.511Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय विनय कुमार अंजू जी, आपकी यह रचना मौजूदा अंधेरे में एक रोशनी की किरण की उम्मीद-सी है। सादर बधाई</p>
<p>आदरणीय विनय कुमार अंजू जी, आपकी यह रचना मौजूदा अंधेरे में एक रोशनी की किरण की उम्मीद-सी है। सादर बधाई</p> आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा ज…tag:openbooksonline.com,2020-02-29:5170231:Comment:10016992020-02-29T18:12:18.498Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी, आपकी लघुकथा सोचने पर मजबूर कर रही है, क्या हम वाक़ई तरक़्क़ी कर रहे हैं? आपको इस मा'नीख़ेज़ अफ़साने के लिए दिली मुबारक़बाद!</p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी, आपकी लघुकथा सोचने पर मजबूर कर रही है, क्या हम वाक़ई तरक़्क़ी कर रहे हैं? आपको इस मा'नीख़ेज़ अफ़साने के लिए दिली मुबारक़बाद!</p>