"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-70 (विषय: विरोध के स्वर) - Open Books Online2024-03-28T14:13:06Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/70-4?commentId=5170231%3AComment%3A1043425&feed=yes&xn_auth=noआदाब। रचना पटल पर व लाइव लघुक…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10433832021-01-30T17:47:13.946ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना पटल पर व लाइव लघुकथा गोष्ठी में हमेशा की तरह सक्रीय सदस्यों में शामिल रहने हेतु व हमें मार्गदर्शित, प्रोत्साहित करते रहने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। </p>
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<p>नववर्ष की इस पहली गोष्ठी में हम सब अपनी सहभागिता निभा सके, यह हमारा सौभाग्य है। लघुकथा विधा प्रेम है। हार्दिक बधाई आप सभी को।</p>
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<p>आदाब। रचना पटल पर व लाइव लघुकथा गोष्ठी में हमेशा की तरह सक्रीय सदस्यों में शामिल रहने हेतु व हमें मार्गदर्शित, प्रोत्साहित करते रहने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। </p>
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<p>नववर्ष की इस पहली गोष्ठी में हम सब अपनी सहभागिता निभा सके, यह हमारा सौभाग्य है। लघुकथा विधा प्रेम है। हार्दिक बधाई आप सभी को।</p>
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<p></p> खाकी को सलाम करती शानदार लघुक…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10435192021-01-30T17:37:04.487Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>खाकी को सलाम करती शानदार लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी</p>
<p>खाकी को सलाम करती शानदार लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी</p> आदाब। रचना पटल पर उपस्थित होक…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10433822021-01-30T17:36:18.415ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना पटल पर उपस्थित होकर मार्गदर्शक विवेचना, सराहना और समीक्षा/सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद मुहतरम जनाब कृष मिश्रा 'जान'गोरखपुरी साहिब। पाठकों को विषय भटकाव लग सकता है.... लेकिन लेखक और क्या-क्या कहना चाहता है... इसके सम्प्रेषण में सफल न हो सका, ऐसा लगा आपकी टिप्पणी से। </p>
<p>आदाब। रचना पटल पर उपस्थित होकर मार्गदर्शक विवेचना, सराहना और समीक्षा/सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद मुहतरम जनाब कृष मिश्रा 'जान'गोरखपुरी साहिब। पाठकों को विषय भटकाव लग सकता है.... लेकिन लेखक और क्या-क्या कहना चाहता है... इसके सम्प्रेषण में सफल न हो सका, ऐसा लगा आपकी टिप्पणी से। </p> हार्दिक आभार आदरणीयtag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10432912021-01-30T17:34:32.228Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय</p> हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जीtag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10435182021-01-30T17:33:46.175Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी</p> हार्दिक आभार आदरणीयtag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10435172021-01-30T17:32:40.331Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय</p> प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा।…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10432902021-01-30T17:31:10.887Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा। बधाई आदरणीय। शीर्षक पर आदरणीय उस्मानी जी की बात का संज्ञान लीजिये।</p>
<p>प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा। बधाई आदरणीय। शीर्षक पर आदरणीय उस्मानी जी की बात का संज्ञान लीजिये।</p> लघुकथा सपाट हो गई है रिपोर्टि…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10434692021-01-30T17:26:40.096Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>लघुकथा सपाट हो गई है रिपोर्टिंग की तरह सीधी रेखा में चलती। निश्चय ही ये विधा विषयवस्तु केन्द्रित है पर कथातत्व और शिल्प भी इसके अभिन्न अंग हैं आदरणीय</p>
<p>लघुकथा सपाट हो गई है रिपोर्टिंग की तरह सीधी रेखा में चलती। निश्चय ही ये विधा विषयवस्तु केन्द्रित है पर कथातत्व और शिल्प भी इसके अभिन्न अंग हैं आदरणीय</p> आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी सर ज…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10432892021-01-30T17:15:55.239ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी सर जी, गजब की बारीक नजर की पकड़ से आपने ये कथानक उठाया है, मन गदगद हुआ, </p>
<p>समाज में इस तरह के प्रदूषण और दुरुपयोग को आये दिन हम देखते हैं लेकिन चुप रहते हैं, उस लिहाज से विरोध और सुधार के लिए मासाब का किरदार बहुत फिट बैठकर संदेश दे रहा है।बहुत बहुत हार्दिक बधाई सार्थक लघुकथा के लिए।</p>
<p>हालांकि लघुकथा और संक्षिप्त हो सकती थी मेरे विचार में!</p>
<p> ख़ाकी शब्द में देशप्रेम और देशसेवा के लिए आदर का जो भाव पैदा किया है वह //खाकी की दुर्दशा// तक तो ठीक है, लेकिन…</p>
<p>आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी सर जी, गजब की बारीक नजर की पकड़ से आपने ये कथानक उठाया है, मन गदगद हुआ, </p>
<p>समाज में इस तरह के प्रदूषण और दुरुपयोग को आये दिन हम देखते हैं लेकिन चुप रहते हैं, उस लिहाज से विरोध और सुधार के लिए मासाब का किरदार बहुत फिट बैठकर संदेश दे रहा है।बहुत बहुत हार्दिक बधाई सार्थक लघुकथा के लिए।</p>
<p>हालांकि लघुकथा और संक्षिप्त हो सकती थी मेरे विचार में!</p>
<p> ख़ाकी शब्द में देशप्रेम और देशसेवा के लिए आदर का जो भाव पैदा किया है वह //खाकी की दुर्दशा// तक तो ठीक है, लेकिन आगे " रक्षा कवच है" जैसे उदगार खटकते से हैं, और विषय से भटकते हुए कथानक की धार को कम करते हुये मुझे लग रहे है,। पुनः आपकी बारीक नजर और कथानक को सादर प्रणाम ।</p> आदरणीय मेरे विचार से इस सरल व…tag:openbooksonline.com,2021-01-30:5170231:Comment:10433802021-01-30T16:44:21.731ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदरणीय मेरे विचार से इस सरल व सहज कथोपकथन में पात्र अनुसार या उस क्षेत्र अनुसार संवादों में क्षेत्रीय बोली की आवश्यकता नहीं लगती। क्षेत्र विशेष के लोग ऐसे सामान्य संवाद भी बोलते हैं। सादर।</p>
<p>आदरणीय मेरे विचार से इस सरल व सहज कथोपकथन में पात्र अनुसार या उस क्षेत्र अनुसार संवादों में क्षेत्रीय बोली की आवश्यकता नहीं लगती। क्षेत्र विशेष के लोग ऐसे सामान्य संवाद भी बोलते हैं। सादर।</p>