ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 72 में शामिल सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ) - Open Books Online2024-03-28T20:37:37Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/72-2?feed=yes&xn_auth=noमुहतरम जनाब राणा साहिब,ओ बी ओ…tag:openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8544632017-05-05T12:12:58.313ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब राणा साहिब,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक -72 के संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबाकबाद क़ुबूल फरमायें
मुहतरम जनाब राणा साहिब,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक -72 के संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबाकबाद क़ुबूल फरमायें आदरणीय मंच संचालक महोदय, ओबीओ…tag:openbooksonline.com,2017-05-04:5170231:Comment:8542952017-05-04T15:45:58.158ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीय मंच संचालक महोदय, ओबीओ लाइव तरही मुशायरा, अंक-72 के सफल आयोजन एवं संकलन की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए<span>। आपसे निवेदन है कि मेरे द्वारा प्रस्तुत ग़ज़ल के पहले ऐबदार मिसरे को निम्नलिखित मिसरे से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें<span>।</span></span></p>
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<p>पहली दफ़ा मिला ग़म-ए-आवारगी मुझे<br></br>पहली दफ़ा हुआ कि मैं ख़ुद में सिमट गया</p>
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<p>दूसरे ऐबदार मिसरे में मुझे कुछ बेहतर नहीं सूझा, इसलिए इसे मैं वैसा ही रखना चाहता हूँ। देर से कष्ट देने के लिए क्षमा करें। बहुत-बहुत…</p>
<p>आदरणीय मंच संचालक महोदय, ओबीओ लाइव तरही मुशायरा, अंक-72 के सफल आयोजन एवं संकलन की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए<span>। आपसे निवेदन है कि मेरे द्वारा प्रस्तुत ग़ज़ल के पहले ऐबदार मिसरे को निम्नलिखित मिसरे से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें<span>।</span></span></p>
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<p>पहली दफ़ा मिला ग़म-ए-आवारगी मुझे<br/>पहली दफ़ा हुआ कि मैं ख़ुद में सिमट गया</p>
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<p>दूसरे ऐबदार मिसरे में मुझे कुछ बेहतर नहीं सूझा, इसलिए इसे मैं वैसा ही रखना चाहता हूँ। देर से कष्ट देने के लिए क्षमा करें। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।</p>