"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72 - Open Books Online2024-03-29T09:56:10Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/72?commentId=5170231%3AComment%3A778849&feed=yes&xn_auth=noशुरुआत मैंने की थी..ख़त्म भी म…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7789972016-06-25T18:30:25.739ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शुरुआत मैंने की थी..ख़त्म भी मैं ही करता हूँ... <br/>शुभ रात्रि </p>
<p>शुरुआत मैंने की थी..ख़त्म भी मैं ही करता हूँ... <br/>शुभ रात्रि </p> सभी साथियों का शुक्रिया.. सतत…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7789962016-06-25T18:29:51.352ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>सभी साथियों का शुक्रिया.. सतत प्रवास में हूँ अत: इस बार समय नहीं दे सका .. सभी ग़ज़लों पर टिप्पणी कल किसी न किसी ज़रिये से प्रेषित करने का प्रयास करूँगा ..<br/>सादर </p>
<p>सभी साथियों का शुक्रिया.. सतत प्रवास में हूँ अत: इस बार समय नहीं दे सका .. सभी ग़ज़लों पर टिप्पणी कल किसी न किसी ज़रिये से प्रेषित करने का प्रयास करूँगा ..<br/>सादर </p> आ.गिरिराज जी,दिक्कत ये है कि…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7791972016-06-25T18:27:06.141ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p><span>आ.गिरिराज जी,</span><br></br><span>दिक्कत ये है कि आप काफिया गलत मान बैठे हैं. उर्दू में बँटवारा नहीं बटवारा लिखा जाता है जिसमें न की ध्वनि अथवा उससे सम्बन्धी मात्रा है ही नहीं. हिंदी में हम इस रूप में पढ़ते हैं अत: आपने एक छवि बना ली है.</span><br></br><span>और मेरी कहूँ... तो मैं वो हर तथाकथित गलती करने को तैयार हूँ जो उस्तादों ने की है.(अगर ये गलती है तो) मुझे गलतियों से गुरेज़ नहीं है. मैं गलतियाँ करूँगा भी और तर्क/ कुतर्क के नाम पर बड़े शाइरों को quote भी करूँगा ....</span><br></br><span>आप से…</span></p>
<p><span>आ.गिरिराज जी,</span><br/><span>दिक्कत ये है कि आप काफिया गलत मान बैठे हैं. उर्दू में बँटवारा नहीं बटवारा लिखा जाता है जिसमें न की ध्वनि अथवा उससे सम्बन्धी मात्रा है ही नहीं. हिंदी में हम इस रूप में पढ़ते हैं अत: आपने एक छवि बना ली है.</span><br/><span>और मेरी कहूँ... तो मैं वो हर तथाकथित गलती करने को तैयार हूँ जो उस्तादों ने की है.(अगर ये गलती है तो) मुझे गलतियों से गुरेज़ नहीं है. मैं गलतियाँ करूँगा भी और तर्क/ कुतर्क के नाम पर बड़े शाइरों को quote भी करूँगा ....</span><br/><span>आप से और सभी से फिल्म दीवार का प्रसिद्द डायलाग भी कहूँगा ...कि जाओ, पहले उस आदमी का साइन ले कर आओ ...फिर जहाँ कहोगे मैं साइन करने के लिए तैयार हूँ"....</span><br/><span>तनाफुर और ताक़बुले-रदीफ़ को मैंने ऐब मानना बंद कर दिया है क्यूँ कि मुझे क्लासिकल पोएट्री नहीं करनी ...</span><br/><span>मुझे वो संजय मांजरेकर नहीं बनना जो बल्ला सीधा लाता है, कोहनी उपर रखता है और हर स्ट्रोक कॉपी-बुक खेलता है...लेकिन रन नहीं बना पाता....</span><br/><span>मुझे सचिन पसंद है जो अपर कट, स्लैप, पैडल स्वीप से रन बनाता है...</span><br/><span>रन बनना ज़रूरी है ....वही असली मज़ा है ....</span><br/><span>सादर</span></p> जनाब गिरिराज भंडारी जी,इसे ग़ल…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7793112016-06-25T18:25:26.485ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी,इसे ग़लती नहीं ,मजबूरी कहेंगे, वैसे जो बात जनाब तिलक राज कपूर साहिब ने कही है वो ज़्यादा वज़्नदार है,हम भी किसी भी बड़े शाइर की ग़लती की तक़लीद को बुरा ही मानते हैं,ऐसा नहीं होना चाहिये,लेकिन वो ग़लती भी तो हो,मिसाल के तौर पर 'ग़ालिब' और 'दाग़' के यहाँ ईताए जली का दोष पाया जाता है लेकिन उनकी इस ग़लती की कोई तक़लीद नहीं करता ,बाक़ी ऐब-ए-तनाफ़ुर ,तक़ाबुल-ए-रदीफ़ेन जैसे ऐब शैर की हियत को देखकर नज़र अंदाज़ किये जाते हैं जिसकी तरफ़ जनाब तिलक राज कपूर साहिब ने इशारा किया है ।
जनाब गिरिराज भंडारी जी,इसे ग़लती नहीं ,मजबूरी कहेंगे, वैसे जो बात जनाब तिलक राज कपूर साहिब ने कही है वो ज़्यादा वज़्नदार है,हम भी किसी भी बड़े शाइर की ग़लती की तक़लीद को बुरा ही मानते हैं,ऐसा नहीं होना चाहिये,लेकिन वो ग़लती भी तो हो,मिसाल के तौर पर 'ग़ालिब' और 'दाग़' के यहाँ ईताए जली का दोष पाया जाता है लेकिन उनकी इस ग़लती की कोई तक़लीद नहीं करता ,बाक़ी ऐब-ए-तनाफ़ुर ,तक़ाबुल-ए-रदीफ़ेन जैसे ऐब शैर की हियत को देखकर नज़र अंदाज़ किये जाते हैं जिसकी तरफ़ जनाब तिलक राज कपूर साहिब ने इशारा किया है । बेहद शुक्रिया जनाब। tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7793102016-06-25T18:25:22.874ZTilak Raj Kapoorhttp://openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>बेहद शुक्रिया जनाब। </p>
<p>बेहद शुक्रिया जनाब। </p> आ० योगराज प्रभाकर सर ..खुश नस…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7791952016-06-25T18:25:11.204ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आ० <a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=2a7asyqsrz19k" class="fn url">योगराज प्रभाकर</a> सर ..खुश नसीब हूँ जो आज ओ बी ओ में आया हूँ ....हर शेर उम्दा दिल को छूता हुआ |</p>
<p>जंगल हुआ जो कत्ल तो बेवा हुई ज़मीं</p>
<p>जिसकी फुगाँ से खेत का सीना ही फट गया ....दिल को चीरता हुआ !!<br/><br/>दिली दाद ढेरों दाद सर !!<br/><br/>सादर !!</p>
<p>आ० <a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=2a7asyqsrz19k" class="fn url">योगराज प्रभाकर</a> सर ..खुश नसीब हूँ जो आज ओ बी ओ में आया हूँ ....हर शेर उम्दा दिल को छूता हुआ |</p>
<p>जंगल हुआ जो कत्ल तो बेवा हुई ज़मीं</p>
<p>जिसकी फुगाँ से खेत का सीना ही फट गया ....दिल को चीरता हुआ !!<br/><br/>दिली दाद ढेरों दाद सर !!<br/><br/>सादर !!</p> इस हौसला अफजाई का दिल से शुक्…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7793092016-06-25T18:23:33.650Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ भाई श्री सुनील जी I</p>
<p>इस हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ भाई श्री सुनील जी I</p> हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी !tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7793082016-06-25T18:22:48.287Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी !</p>
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी !</p> आ.गिरिराज जी,दिक्कत ये है कि…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7789932016-06-25T18:22:48.190ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ.गिरिराज जी,<br></br>दिक्कत ये है कि आप काफिया गलत मान बैठे हैं. उर्दू में बँटवारा नहीं बटवारा लिखा जाता है जिसमें न की ध्वनि अथवा उससे सम्बन्धी मात्रा है ही नहीं. हिंदी में हम इस रूप में पढ़ते हैं अत: आपने एक छवि बना ली है.<br></br>और मेरी कहूँ... तो मैं वो हर तथाकथित गलती करने को तैयार हूँ जो उस्तादों ने की है.(अगर ये गलती है तो) मुझे गलतियों से गुरेज़ नहीं है. मैं गलतियाँ करूँगा भी और तर्क/ कुतर्क के नाम पर बड़े शाइरों को quote भी करूँगा ....<br></br>आप से और सभी से फिल्म दीवार का प्रसिद्द डायलाग भी…</p>
<p>आ.गिरिराज जी,<br/>दिक्कत ये है कि आप काफिया गलत मान बैठे हैं. उर्दू में बँटवारा नहीं बटवारा लिखा जाता है जिसमें न की ध्वनि अथवा उससे सम्बन्धी मात्रा है ही नहीं. हिंदी में हम इस रूप में पढ़ते हैं अत: आपने एक छवि बना ली है.<br/>और मेरी कहूँ... तो मैं वो हर तथाकथित गलती करने को तैयार हूँ जो उस्तादों ने की है.(अगर ये गलती है तो) मुझे गलतियों से गुरेज़ नहीं है. मैं गलतियाँ करूँगा भी और तर्क/ कुतर्क के नाम पर बड़े शाइरों को quote भी करूँगा ....<br/>आप से और सभी से फिल्म दीवार का प्रसिद्द डायलाग भी कहूँगा ...कि जाओ, पहले उस आदमी का साइन ले कर आओ ...फिर जहाँ कहोगे मैं साइन करने के लिए तैयार हूँ"....<br/>तनाफुर और ताक़बुले-रदीफ़ को मैंने ऐब मानना बंद कर दिया है क्यूँ कि मुझे क्लासिकल पोएट्री नहीं करनी ...<br/>मुझे वो संजय मांजरेकर नहीं बनना जो बल्ला सीधा लाता है, कोहनी उपर रखता है और हर स्ट्रोक कॉपी-बुक खेलता है...लेकिन रन नहीं बना पाता....<br/>मुझे सचिन पसंद है जो अपर कट, स्लैप, पैडल स्वीप से रन बनाता है...<br/>रन बनना ज़रूरी है ....वही असली मज़ा है ....<br/>सादर</p>
<p> </p> बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए त…tag:openbooksonline.com,2016-06-25:5170231:Comment:7793072016-06-25T18:21:40.906ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तिलक राज कपूर जी।
बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तिलक राज कपूर जी।