"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-91 - Open Books Online2024-03-28T09:04:25Zhttp://openbooksonline.com/forum/topics/91-1?commentId=5170231%3AComment%3A930337&feed=yes&xn_auth=noसादर आभार एवं धन्यवादtag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9305442018-05-12T18:28:45.571ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>सादर आभार एवं धन्यवाद</p>
<p>सादर आभार एवं धन्यवाद</p> बहुत बढ़िया सृजन के लिए तहे द…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9307102018-05-12T18:28:24.324ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बढ़िया सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सत्यनारायण सिंह जी।</p>
<p>बहुत बढ़िया सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सत्यनारायण सिंह जी।</p> ओबीओ लाइव महाउत्सव अंक-91 को…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9307092018-05-12T18:24:53.007ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ओबीओ लाइव महाउत्सव अंक-91 को सफल बनाने के लिए सभी रचनाकारों का आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>ओबीओ लाइव महाउत्सव अंक-91 को सफल बनाने के लिए सभी रचनाकारों का आभार व धन्यवाद ।</p> सादर धन्यवाद आदरणीय, आपका सुझ…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9307082018-05-12T18:21:19.752ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय, आपका सुझाव सर आंखों पर आदरणीय</p>
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय, आपका सुझाव सर आंखों पर आदरणीय</p> अति सुंदर और सटीक,ये हुई न बा…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9304792018-05-12T18:19:10.261ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अति सुंदर और सटीक,ये हुई न बात ।</p>
<p>अति सुंदर और सटीक,ये हुई न बात ।</p> जी आदरणीय
मुश्किल में भी लक्…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9304782018-05-12T18:17:24.057ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>जी आदरणीय </p>
<p>मुश्किल में भी लक्ष्य, कभी ना खोंयें अपना</p>
<p>जी आदरणीय </p>
<p>मुश्किल में भी लक्ष्य, कभी ना खोंयें अपना</p> 'डिगना' से बहतर है 'रखना'वैसे…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9304772018-05-12T18:08:24.122ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'डिगना' से बहतर है 'रखना'वैसे 'सपना' के साथ 'अपना' या 'जपना' की तुकान्तता सटीक होती जैसे:-</p>
<p>'मुश्किल में भी लक्ष्य सिखाये धीरज अपना'</p>
<p>'डिगना' से बहतर है 'रखना'वैसे 'सपना' के साथ 'अपना' या 'जपना' की तुकान्तता सटीक होती जैसे:-</p>
<p>'मुश्किल में भी लक्ष्य सिखाये धीरज अपना'</p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सत्…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9304762018-05-12T18:00:25.002ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी।</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी।</p> ऐसा मुझे नहीं लगा। हो सकता है…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9305432018-05-12T17:59:38.352ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>ऐसा मुझे नहीं लगा। हो सकता है विधागत कमियां रह गई हों। रचना पर समय देकर सुझाव के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहिब।</p>
<p>ऐसा मुझे नहीं लगा। हो सकता है विधागत कमियां रह गई हों। रचना पर समय देकर सुझाव के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहिब।</p> आकस्मिक परिकल्पना पर आधारित र…tag:openbooksonline.com,2018-05-12:5170231:Comment:9306222018-05-12T17:57:11.218ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आकस्मिक परिकल्पना पर आधारित रचना पर समय देकर विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब <i>समर कबीर</i> साहिब।</p>
<p>आकस्मिक परिकल्पना पर आधारित रचना पर समय देकर विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब <i>समर कबीर</i> साहिब।</p>