All Discussions Tagged 'दिन' - Open Books Online2024-03-29T11:26:06Zhttp://openbooksonline.com/group/Baal_Sahitya/forum/topic/listForTag?tag=%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8&feed=yes&xn_auth=noपापा जैसा चुनमुन (कहानी )tag:openbooksonline.com,2018-05-21:5170231:Topic:9313312018-05-21T09:48:05.325Zsomesh kumarhttp://openbooksonline.com/profile/someshkuar
<p><strong>पापा जैसा चुनमुन</strong></p>
<p></p>
<p><strong>सोमवार</strong> स्कूल का आखिरी दिन था |कल से गर्मियों की छुट्टियाँ थीं |चुनमुन स्कूल-वैन से घर लौट रहा था| <strong><u>ड्राईवर</u></strong> (संवाहक ) अंकल गाना गा रहे थे और बस चलाए जा रहे थे |</p>
<p>“अंकल कल से आपकी भी छुट्टी पड़ गयी ?” चुनमुन ने पूछा</p>
<p>“हाँ |” ड्राईवर अंकल ने हँसते हुए कहा</p>
<p>“क्या आप कल से मुझे वैन चलाना सीखा दोगे ?”</p>
<p>“पर तुम वैन चलाना क्यों चाहते हो ?”</p>
<p>“वैन से मैं नानी के घर जाऊँगा |पर आप ये…</p>
<p><strong>पापा जैसा चुनमुन</strong></p>
<p></p>
<p><strong>सोमवार</strong> स्कूल का आखिरी दिन था |कल से गर्मियों की छुट्टियाँ थीं |चुनमुन स्कूल-वैन से घर लौट रहा था| <strong><u>ड्राईवर</u></strong> (संवाहक ) अंकल गाना गा रहे थे और बस चलाए जा रहे थे |</p>
<p>“अंकल कल से आपकी भी छुट्टी पड़ गयी ?” चुनमुन ने पूछा</p>
<p>“हाँ |” ड्राईवर अंकल ने हँसते हुए कहा</p>
<p>“क्या आप कल से मुझे वैन चलाना सीखा दोगे ?”</p>
<p>“पर तुम वैन चलाना क्यों चाहते हो ?”</p>
<p>“वैन से मैं नानी के घर जाऊँगा |पर आप ये सीक्रेट किसी से मत कहना |”</p>
<p>“ठीक है नहीं कहूँगा |पर,इस बार तुम अपनी छुट्टियों के मज़े लो |जब तुम बड़े हो जाओगे तो मैं तुम्हें सीखा दूंगा |”</p>
<p><strong>मंगलवार</strong> को वह माँ के साथ रिक्शे पर स्कूल पी.टी.एम. में आया |उसने देखा की सब लोग <strong><u>टीचर</u></strong> से बड़े प्यार और सम्मान से बात कर रहे थे |वो सोचने लगा-अगर वो <strong><u>अध्यापक</u></strong> बन जाए तो ना किताबे पढ़नी होगी,ना होमवर्क करना होगा |और वह काम न करने वाले बच्चों को डाँट भी लगा सकता है |उसने यह प्लान किसी को नहीं बताया |किसी ने टीचर को बता दिया तो उसकी खैर नहीं |</p>
<p><strong>बुधवार</strong> शाम को वह दीदी के साथ उनकी क्लास टीचर की बेटी की जन्मदिन की पार्टी में गया |दीदी साईकिल चला रहीं थीं वह पीछे बैठा था |बर्थडे का चॉकलेट केक उसे बहुत अच्छा लगा |यह केक एक <strong><u>पेस्ट्री शॉप</u></strong> से आया था |चुनमुन सोचने लगा-“ मैं बड़ा होकर बड़ी सी पेस्ट्री शॉप खोलूँगा और अपनी पसंद की चॉकलेट,केक,पेस्ट्री बेरोक-टोक खाऊँगा |”</p>
<p>दीदी ने उसके इस सीक्रेट को न बताने के बदले शर्त रखी की वह उसकी <strong><u>पेस्ट्री</u></strong><u>-<strong>दुकान</strong></u> से रोज़ एक फ्री पेस्ट्री लेंगी |शर्त महँगी थी पर उसे भी तो केक खाना था |</p>
<p><strong>गुरुवार</strong> को पापा दादी को लेकर <strong><u>अस्पताल</u></strong> जा रहे थे |</p>
<p>“डैडी मुझे भी चलना है आपके साथ |” चुनमुन ने जिद्द की तो पिताजी मना ना कर पाए |ऑटो-रिक्शा में बैठकर वे <strong><u>हॉस्पिटल</u></strong> पहुँचे |</p>
<p>वहाँ सफ़ेद कोट वाले डॉक्टर को मरीजों को सुई और स्टेस्कोप लगाता हुआ देख चुनमुन को बड़ा मज़ा आया |</p>
<p>अगर वो डॉक्टर बन जाए तो अपने सभी दोस्तों को सुई लगा सकता है |माँ जो सुई से डरती हैं वो भी उसे दूध पीने के लिए डाँटेगी नहीं |पर उसने यह बात पिताजी को नहीं बताई |पापा ने मम्मी को उसका प्लान बता दिया तो मुश्किल हो सकती है !</p>
<p><strong>शुक्रवार</strong> को उसकी नींद खुली तो पिताजी परेशान नज़र आए |उनका ड्राइविंग लाइसेंस कल कहीं खो गया था |अब थाने जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवानी होगी |आँख मलता चुनमुन भी पिताजी की मोटर-साईकिल पर बैठ गया |पुलिस-स्टेशन में <strong><u>पुलिसवाले</u></strong> की बड़ी-बड़ी मूंछों और भारी आवाज़ से चुनमुन डरा हुआ था | |चोर-बदमाश भी पुलिस वाले से डर-डर कर बात कर रहे थे |</p>
<p>चुनमुन सोचने लगा-“अगर वो <strong><u>पुलिस-मैन</u></strong> बन जाएगा तो बदमाश टींकू उसकी पतंग काटने की हिम्मत नहीं करेगा और मुन्नू किक्रेट में उसकी बारी दिए बिना नहीं भागेगा |”पर उसने यह प्लान किसी दोस्त को नहीं बताया |उससे पहले कोई और पुलिस बन गया तो !</p>
<p><strong>शनिवार</strong> को सुबह-सुबह चुनमुन को पापा के साथ बड़े पार्क जाना था |पर जैसे ही वह निकले अगला टायर पंचर हो गया |दोनों पैदल मोटरसाईकिल धकेलते हुए <strong><u>मोटरसाईकिल</u></strong>-<strong><u>मिस्त्री</u></strong> के पास पहुँचे |दुकानवाले ने पंचर लगा दिया |मकैनिक की दुकान पर कई लोग अपनी गाड़ियाँ लाते और वह उनकी परेशानी सुन अपने लड़कों को उन्हें ठीक करने को कहता |</p>
<p>चुनमुन सोचने लगा की अगर वह बड़ा होकर <strong><u>बाईक -मकैनिक</u></strong> हो जाए तो वह एक सुपरबाईक बनाएगा जो सड़क पर सबसे तेज़ दौड़ेगी,पानी पर तैरगी और बटन दबाते ही हवा में उड़ने लगेगी |उसने यह बात मकैनिक अंकल को बताई तो उन्होंने उसके सिर पर हाथ फेरा |</p>
<p><strong>रविवार</strong> को सारा परिवार मेट्रो-ट्रेन और फिर बैटरी-रिक्शे में बैठकर <strong><u>चिड़ियाघर</u></strong> पहुँचा |<strong><u>ज़ू</u></strong> में उन्होंने शेर,भालू,जिराफ़.हिरण,बन्दर.मगरमच्छ और ढेर सारे पक्षी देखें |वहाँ उन्होंने पुराने किले की झील में बोट-रेस की और चिड़ियाघर के सुंदर पार्क में बैठ कर लंच किया |पापा ने बूढ़े अंकल के सारे गुब्बारे खरीद लिए |उन्होंने बूढ़ी भिखारिन को खाना खिलाया |चुनमुन को बहुत अच्छा लगा |पापा सबका ध्यान रखते हैं |उसने पापा के गले में झूल कर कहा –आई लव यू पापा |</p>
<p>उसने जोर से कहा -मुझे पापा जैसा बनना है |</p>
<p>और फिर अपने मूंह पर हाथ रख लिया |</p>
<p><strong>सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित</strong> )</p>
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