फिल्मो की बाते Discussions - Open Books Online2024-03-28T08:31:34Zhttp://openbooksonline.com/group/philmokibaat/forum?feed=yes&xn_auth=noसुपर स्टार राजेश खन्ना उर्फ़ काका की यादें --डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तवtag:openbooksonline.com,2014-11-28:5170231:Topic:5909462014-11-28T05:38:53.318Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p><b> </b>मैंने प्रतापगढ़ के के0 पी0 हिन्दू इंटर कालेज से 1967 ई 0 में हाई स्कूल की परीक्षा दी और पिता जी के ट्रान्सफर हो जाने के कारण बाराबंकी आ गया I मेरी परवर्ती शिक्षा बाद में बाराबंकी और लखनऊ में हुयी I उस समय मेरी उम्र 14 वर्ष थी और मैंने तब तक केवल साढ़े तीन हिन्दी फिल्मे देखी थीं I साढ़े तीन इसलिए कि मै मातृहीन पिता की चोरी से कुछ फिल्मे दोस्तों की मदद से देख सका था जिनमे पहली फिल्म ‘दोस्ती’ थी जिसे आधी देखकर ही मै मारे डर के फिल्म अधूरी छोड़ कर इंटरवल से ही घर भाग आया था I बाद…</p>
<p><b> </b>मैंने प्रतापगढ़ के के0 पी0 हिन्दू इंटर कालेज से 1967 ई 0 में हाई स्कूल की परीक्षा दी और पिता जी के ट्रान्सफर हो जाने के कारण बाराबंकी आ गया I मेरी परवर्ती शिक्षा बाद में बाराबंकी और लखनऊ में हुयी I उस समय मेरी उम्र 14 वर्ष थी और मैंने तब तक केवल साढ़े तीन हिन्दी फिल्मे देखी थीं I साढ़े तीन इसलिए कि मै मातृहीन पिता की चोरी से कुछ फिल्मे दोस्तों की मदद से देख सका था जिनमे पहली फिल्म ‘दोस्ती’ थी जिसे आधी देखकर ही मै मारे डर के फिल्म अधूरी छोड़ कर इंटरवल से ही घर भाग आया था I बाद में क्लास बंक कर मैंने तीन फिल्मे देखी- शहीद (मनोज कुमार ), खानदान (सुनीलदत्त ) और गाइड (देवानंद) I इसके बाद गाईड तो कई बार देखी पर बाकी फिल्मे दोबारा नहीं देख सका I यहाँ तक कि “दोस्ती” भी अभी तक आधी ही देख रखी है I उस समय लड़को का सिनेमा देखना बड़े बुजुर्गो को कतई पसंद नहीं था I मेरे पिता जी तो वैसे भी बड़े सख्त और अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे I</p>
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<p> हाई -स्कूल की परीक्षा के बाद परिणाम आने तक जो अवकाश अवधि थी उसमे मेरा गृह जनपद, रायबरेली से एक बार अकेले ही बाराबंकी जाना हुआ i चूँकि यह यात्रा वाया लखनऊ ही होनी थी अतः लखनऊ उतर कर योजनानुसार मैंने काका राजेश खन्ना की फिल्म ‘आराधना’ का टिकट लिया जो उस समय जाने किस दैवयोग से मुझे मिल गया क्योंकि कुछ ही देर बाद हाउसफुल हो गया था I मुझे याद है कि हाल आधे से ज्यादा कालेज की लडकियों से भरा हुआ था I यह मेर्र चौथी फिल्म थी I फिल्म तो अच्छी थी ही I उस दिन से राजेश खन्ना मानो मेरे मन में बस गये I </p>
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<p> हाई स्कूल का रिजल्ट आया I मै प्रथम श्रेणी में पास था I मेरा एडमिशन आसानी से राजकीय इंटर कालेज, बाराबंकी में हो गया I यह कालेज लाईफ कुछ डिफरेंट थी I हम किशोर से युवा हो रहे थे और फिल्मे हमारे मनो भावो को हवा दे रही थी I कालेज में मेरे दो मित्र थे – ओमप्रकाश अस्थाना और सत्य प्रकाश I सत्य प्रकाश बाद में इंजीनियर हुए I अभी चार वर्ष पहले उनका निधन हुआ I ओमप्रकाश आजमगढ़ में वकालत कर रहे है I उनसे बात मुलाकात होती रहती है I ओमप्रकाश दिलीपकुमार के बहुत बड़े फेन थे और उनके साथ रहकर हमें भी दिलीप का मैंनेरिज्म बहुत भाने लगा I सत्य प्रकाश तो नहीं पर मै अवश्य दिलीप साहेब का फैन हो गया और आज तक हूँ I उन दिनों राजकपूर, दिलीप कुमार, देवानंद औरराजकुमार फिल्मजगत के स्तम्भ थे पर ये सभी ढलान पर थे I हम दोस्त काका को दिलीपकुमार जीतेंद्र को देवानंद और संजीवकुमार को राजकुमार का उत्तराधिकरी मानते थे I राज कपूर का कोई जोड़ नहीं मिला I </p>
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<p> काका की खोज <font face="Calibri"> </font>यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने सन 1965 में की I यह संस्था एक नया हीरो खोज रही थी । प्रतियोगिता के फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे<font face="Calibri">,</font> जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंततः आख़िरी बाजी भी काका के ही हाथ लगी । इसके फलस्वरूप काका को राज सिप्पी की फिल्म ‘राज’ में काम करने का मौका मिला जिसमे बबिता जैसी स्टार हीरोइन थी I लेकिन काका की जो पहली फिल्म प्रदर्शित हुयी वह चेतन आनंद की ‘आख़री ख़त’ थी जिसमे इंद्राणी मुखर्जी ने उनके साथ लीड रोल किया था I काका का पालन पोषण उनके माता पिता ने नहीं किया अपितु खन्ना दम्पत्ति जो जतिन यानि कि काका के वास्तविक माता-पिता के रिश्तेदार थे उन्होंने बच्चे को गोद ले लिया और पढ़ाया लिखाया I काका का दाखिला बम्बई स्थित गिरगाँव के सेण्ट सेबेस्टियन हाई स्कूल में कराया गया जहां उनके सहपाठी रवि कपूर थे जो आगे चलकर <a title="जितेन्द्र" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0"><font color="#0000FF">जितेन्द्र</font></a> के नाम से फिल्म जगत में मशहूर हुये I </p>
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<p> काका के बारे में मजेदार बात यह थी के ये बड़ी सम्पन्नता में पले थे यहाँ तक कि संघर्ष के दिनों में जब वे फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाते तो स्ट्रगलर होने के बावजूद उनकी कार बड़े-बड़े निर्माताओं के कार से मंहगी होती I उस दौर के टॉप हीरो के पास भी वैसी कार न होती । आराधना के बाद काका की फिल्म ‘दो रास्ते ‘ आयी और काका रातो-रात सुपर स्टार बन गये I इसके बाद तो एक कहावत ही चल पडी ‘ऊपर आका नीचे काका’ I बहुत कम लोग जानते होंगे कि जितेन्द्र को उनकी पहली फिल्म में ऑडीशन देने के लिये कैमरे के सामने बोलना राजेशखन्ना ने ही सिखाया था । आज के युवा खान ब्रदर्स पर चाहे जितना नाज कर ले और अमिताभ बच्चन के चाहे कितने ही कसीदे पढ़े जांए पर जो लोकप्रियता काका लूट गए वह दिलीप कुमार को भी मयस्सर नहीं हुआ I दिलीप कुमार के समकालीन प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता ओमप्रकाश ने भी उस समय यह माना था कि काका के लिए जैसी दीवानगी खासकर जो लड़कियों में थी वैसी न दिलीप साहेब को नसीब हुयी और न देवानंद को I लडकियां उनके आँख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने के अंदाज पर लट्टू थी I यह कोई मजाक की बात नहीं है कि उन दिनों लड़कियों ने काका को अपने खून से खत लिखे । उनकी फोटो से शादी की । अपने हाथ या जांघ पर राजेश खन्ना नाम गुदवाया और उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोई I किसी स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती तो लड़कियां उस कार को चूम लेती थी । लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाती । शर्मिला और मुमताज जैसी उनकी पसंदीदा हीरोइन जिनके साथ काका ने कई हिट फिल्मे दी उनका भी यही कहना है कि लड़कियों के बीच जो लोकप्रियता राजेश खन्ना की थी वैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी । राजेश खन्ना ने स्वयं स्वीकार किया था कि उस समय उन्हें यही लगता था मानो वे भगवान हो और दुनिया उनकी गुलाम I काका ने तत्कालीन फैशन ट्रेंड को बदला i राजेश खन्ना स्टाइल के बाल युवाओ में लोकप्रिय हुए I उन्होंर पैंट पर कालर वाले गुरु कुर्तो को पहनना शुरू किया तो सारा भारत वैसा ही हो गया I काका की लोक प्रियता का यह आलम था कि वे निर्माता को वापस लौटाने के लिए उम्मीद से अधिक पारिश्रमिक बताते पर निर्माता मुहमांगी कीमत देने को राजी हो जाता I ऐसा काका के साथ एक नहीं अनेक बार हुआ I</p>
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<p> काका ने मार्च 1973 में<span style="text-decoration: underline;"> </span> <a title="डिम्पल कपाड़िया" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%B2_%E0%A4%95%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE"><font color="#0000FF">डिम्पल कपाड़िया</font></a> से विवाह किया। विवाह के 8 महीने बाद डिम्पल की फिल्म बॉबी रिलीज हुयी I बॉबी की अपार लोकप्रियता ने डिम्पल को फिल्मों में बने रहने की प्रेरणा दी I यहीं से उनके वैवाहिक जीवन में दरार पैदा हुई I परिणामस्वरूप पति-पत्नी 1984 में एक दूसरे से अलग हो गये । कुछ दिनों तक अलग रहने के बाद दोनों में सम्बन्ध विच्छेद हो गया I काफी दिनों तक जुदा-जुदा रहने के बाद<font face="Calibri">,</font> 1990 में डिम्पल और राजेश में एक साथ रहने की पारस्परिक सहमति फिर बनती दिखायी दी । यहाँ तक कि <font face="Calibri"> </font>डिम्पल ने लोक सभा चुनाव में राजेश खन्ना के लिये वोट भी माँगे और उनकी एक फिल्म ‘जय-जय शिवशंकर’ में काम भी किया I 1990 से 2012 तक दोनों ने एक साथ त्यौहार मनाये <font face="Calibri">|</font></p>
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<p> काका ने 1969-72 में लगातार 15 सोलो <font face="Calibri"> </font>सुपरहिट फिल्में दी - आराधना<font face="Calibri">,</font> इत्तेफाक<font face="Calibri">,</font> दो रास्ते<font face="Calibri">,</font> बंधन<font face="Calibri">,</font> डोली<font face="Calibri">,</font> सफ़र<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>खामोशी<font face="Calibri">,</font> कटी पतंग<font face="Calibri">,</font> आन मिलो सजना<font face="Calibri">,</font> दि ट्रेन<font face="Calibri">,</font> आनन्द<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>सच्चा-झूठा <font face="Calibri">,</font> दुश्मन<font face="Calibri">,</font> महबूब की मेंहदी<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>हाथी मेरे साथी, अंदाज़ और मर्यादा सभी सुपरहिट रही । बाद के दिनों में 1972-1975 तक अमर प्रेम<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>दिल दौलत दुनिया<font face="Calibri">,</font> जोरू का गुलाम<font face="Calibri">,</font> शहज़ादा<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>बावर्ची<font face="Calibri">,</font> मेरे जीवन साथी<font face="Calibri">,</font> अपना देश<font face="Calibri">,</font> अनुराग<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>दाग <font face="Calibri">,</font> नमक हराम<font face="Calibri">,</font> अविष्कार<font face="Calibri">,</font> अज़नबी<font face="Calibri">,</font> प्रेम नगर<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>रोटी<font face="Calibri">,</font> आप की कसम और प्रेम कहानी जैसी फिल्में भी कामयाब रहीं। काका ने कुल 180 फिल्मों किया I 163 फीचर फिल्मों में काम किया I 128 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभायी I 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फिल्मों में भी काम किया I फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये उन्हें 14 बार मनोनीत किया गया और तीन वार <a title="फिल्म फेयर पुरस्कार" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE_%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%AF%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0"><font color="#0000FF"><span style="text-decoration: underline;">फिल्म</span> फेयर पुरस्कार</font></a> मिला I बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा I 2005 ई0 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया ।</p>
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<p> 1991 ई0 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा था । इसी वर्ष वे राजनीति में आये और नई दिल्ली से कांग्रेस के टिकट पर संसद सदस्य चुने गये। 1994 में उन्होंने एक बार फिर ‘खुदाई’ फिल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। 1996 में उन्होंने सफ़ल फिल्म ‘सौतेला भाई’ किया। आ अब लौट चलें<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>क्या दिल ने कहा<font face="Calibri">,</font> <font face="Calibri"> </font>प्यार ज़िन्दगी है<font face="Calibri">,</font> वफा जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली ।</p>
<p><font face="Calibri"> </font></p>
<p> डिंपल कपाडिया से सम्बन्ध विच्छेद के अलावे राजेश खन्ना की असफलता में उनके अहंकार की भूमिका भी बताई जाती है I इतनी सफलता से किसी को भी अभिमान हो सकता है I आखिर काका भी मनुष्य ही थे I उन्होंने अपने शुभचिंतको से ही दुश्मनी मोल ली I चाटुकार-चापलूसों के साथ बैठकर शराब पी I उनके व्यक्तिगत फ्रस्टेशन का प्रभाव उनके अभिनय पर पड़ा I अमिताभ जैसा सितारा प्रतिद्वंदिता में आ खड़ा हुआ i उम्र बढ़ने के कारण रोमांटिक छवि समाप्त हो चली I काका अपनी निराशा और अवसाद में बीमार हो गए i लम्बी बीमारे के बाद अंततः 18 जुलाई २०१२ को उनका देहांत हो गया I इसी के साथ उस युग का अंत हो गया जो हम दोस्तों ने अपने जीवन में अपनी आँखों से देखा था I मुझे तत्कालीन एक समाचार पत्र का वह अंश याद आता है जब एक बच्चे ने सुपर स्टार से पूंछा था कि मुझे नेहरु बनना चाहिए या राजेश खन्ना I काका इस प्रश्न पर सहम गए थे उन्होंने झेंप कर उत्तर दिया बेटा तुम्हे नेहरु बनना चाहिए i ऐसे थे राजेश खन्ना और ऐसी थी उनकी लोकप्रियता I ऐसी आत्माये धरती पर कभी-कभी आती है, शायद I </p>
<p> </p>
<p> </p>
<p align="center"> ई एस-1/436 ,सीतापुर रोड योजना</p>
<p align="center"> सेक्टर ए ,अलीगंज, निकट, राम-राम बैंक चौराहा, लखनऊ</p>
<p align="center">(मौलिक/अप्रकाशित )</p>
<p align="center"></p>
<p align="center"> </p>
<p></p> हिंदी फीचर फिल्म "दलदल" शुरू होने जा रहा हैंtag:openbooksonline.com,2011-06-24:5170231:Topic:962142011-06-24T08:51:10.427ZRash Bihari Ravihttp://openbooksonline.com/profile/ravikumargiri
<a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829097?profile=original" target="_self"><img class="align-center" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829097?profile=original" width="640"></img></a> जागरण फिल्म के बैनर तले एक हिंदी फीचर फिल्म <span class="font-size-6">"दलदल"</span> शुरू होने जा रहा हैं जिसमे मुंबई के नामी कलाकार काम करेंगे इस फिल्म का गाना रिकाडिंग हो चूका हैं इस फिल्म के निर्देशक पप्पू भारती हैं इसकी सूटिंग मुंबई , रांची , कोल्कता , इत्यादि जगहों पर होगी , OBO से जुड़े जो भी साथी कला के माध्यम से जुड़ना चाहते हैं उनका स्वागत हैं अपना प्रोफाइल…
<a target="_self" href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829097?profile=original"><img class="align-center" width="640" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829097?profile=original"/></a>जागरण फिल्म के बैनर तले एक हिंदी फीचर फिल्म <span class="font-size-6">"दलदल"</span> शुरू होने जा रहा हैं जिसमे मुंबई के नामी कलाकार काम करेंगे इस फिल्म का गाना रिकाडिंग हो चूका हैं इस फिल्म के निर्देशक पप्पू भारती हैं इसकी सूटिंग मुंबई , रांची , कोल्कता , इत्यादि जगहों पर होगी , OBO से जुड़े जो भी साथी कला के माध्यम से जुड़ना चाहते हैं उनका स्वागत हैं अपना प्रोफाइल jagranfilm@gmail.com या ravikumarguru@india.com पर भेज सकते हैं<br/>
<div>CEO जागरण फिल्म </div>
<div>रवि कुमार गुरु </div> भोजपुरी फिल्म ’चम्पा चमेली’ 01.04.2011 को रिलीज हो रही है,tag:openbooksonline.com,2011-03-12:5170231:Topic:601452011-03-12T08:44:41.948ZRash Bihari Ravihttp://openbooksonline.com/profile/ravikumargiri
<p>राश बिहारी गिरी उर्फ़ रवि कुमार गिरी ( गुरु जी ) की कम्पनी<img src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829269?profile=original" class="align" width="240"/> हनुमान सिने प्रोडक्शन की प्रस्तुति " चम्पा चमेली 01.04.2011 को यूफो द्वारा सारे भारत में रिलीज हो रही है.</p>
<p>राश बिहारी गिरी उर्फ़ रवि कुमार गिरी ( गुरु जी ) की कम्पनी<img src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868829269?profile=original" class="align" width="240"/> हनुमान सिने प्रोडक्शन की प्रस्तुति " चम्पा चमेली 01.04.2011 को यूफो द्वारा सारे भारत में रिलीज हो रही है.</p> प्रीत के रीत निभईह सजना ,(directed by Abhishek Tiwari)tag:openbooksonline.com,2011-01-08:5170231:Topic:454882011-01-08T14:30:28.134ZPREETAM TIWARY(PREET)http://openbooksonline.com/profile/preetamkumartiwary
<span style="font-size: 15px; line-height: 22px;"><br></br></span>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><span style="font-size: 15px; line-height: 22px;"><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">फिल्म का नाम- प्रीत के रीत निभईह सजना ,<br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"></br>निर्माता- स्पेड…</span></span></p>
<span style="font-size: 15px; line-height: 22px;"><br/></span>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><span style="font-size: 15px; line-height: 22px;"><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">फिल्म का नाम- प्रीत के रीत निभईह सजना ,<br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"/>निर्माता- स्पेड मीडिया ऐंड इंटरटेनमेंट ,<br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"/>निर्देशक- <a rel="nofollow" target="_blank" href="http://www.openbooksonline.com/profile/ABHISHEKTIWARI" style="text-decoration: none; color: #3333ff; font-size: 1em; xg-p: static !important;">अभिषेक तिवारी(OBO Member)</a></span></span></p>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;"> </span><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">सह निर्देशक- </span><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">सुनील गुप्ता,</span></p>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">कलाकार- सूरज तिवारी,अरविंद <span style="border-collapse: separate; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px; font-size: medium;">ठाकुर </span>,सुप्रेना सिंह,बिपिन सिंह,नीलिमा सिंह,विनोद मिश्रा,<br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"/></span></p>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"> </p>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><span style="font-size: 1em; xg-p: static !important; font-family: arial, sans-serif; border-collapse: collapse;">स्पेड मीडिया और इंटरटेनमेंट एक इवेंटमैनेजमेंट की कंपनी है,जिसे अरविंद सिंह चलाते हैं,उनकी यह पहली फिल्म है, <br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"/>अभिनेता अरविंद सिंह और सूरज तिवारी की यह पहली फिल्म है,जबकि निर्देशक के तौर पर अभिषेक तिवारी की यह पहली फिल्म है,सुप्रेना सिंह दक्षिण की सुपर स्टार अभिनेत्री है,जबकि भोजपुरी मे उनकी यह तीसरी फिल्म है,जबकि बतौर में लिड मे उनकी यह पहली फिल्म है,बाकी फिल्मों मे वो बाकी अभिनेत्रियों के साथ काम की है,बिपिन सिंह और नीलिमा सिंह को इंडस्ट्री का काफ़ी अनुभव है, इन लोगों की अपनी एक अलग पहचान है भोजपुरी फिल्म जगत में,विनोद मिश्रा भोजपुरी फिल्म जगत के परेश रावल कहे जाते हैं, <br style="font-size: 1em; xg-p: static !important;"/>शूटिंग जनवरी माह के अंत मे सीतापुर मे शुरू होगी,इस फिल्म मे गाज़ीपुर,गोरखपुर <span style="border-collapse: separate; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px; font-size: medium;">लखनऊ</span> जैसे क्षेत्रीय थियेटरों से भी कलाकारों को मौका दिया जा रहा है,</span></p>
<p style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0.4em; margin-left: 0px; line-height: 1.5em; font-size: 1em; xg-p: static !important; padding: 0px;"><a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827114?profile=original" target="_self"><img src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827114?profile=original" width="621" class="align-full"/></a><a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827176?profile=original" target="_self"><img src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827176?profile=original" width="684" class="align-full"/></a><a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827400?profile=original" target="_self"><img width="750" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868827400?profile=RESIZE_1024x1024" width="750" class="align-full"/></a></p> अमिताभ-रजनी मिलापtag:openbooksonline.com,2010-08-16:5170231:Topic:148532010-08-16T18:02:13.853ZManoj Kumar Jhahttp://openbooksonline.com/profile/ManojKumarJha
<p style="text-align: left;"><img width="721" src="http://api.ning.com:80/files/tplinKA5*uODhcy8G8q3uRdyvvNVFPYMkjZWeHUPIuITrRF3C1fZpvM01AJapCZIFk7khnDPYKasSAof*VGsXTXXClZkgR8S/BigB.jpg?width=721" alt=""/></p>
तमिल फिल्म के नायक रजनीकांत ने अपने साथी कलाकार सदी के महानायक अभिताभ बच्चन को अपना 'गुरु' और अपनी 'प्रेरणा' कहा. उन्होंने कहा कि वे 'अंधा क़ानून', गिरफ्तार' और 'हम' फिल्मों में एक साथ काम करने के अनुभव को कभी नहीं भूलेंगे.
<p style="text-align: left;"><img width="721" src="http://api.ning.com:80/files/tplinKA5*uODhcy8G8q3uRdyvvNVFPYMkjZWeHUPIuITrRF3C1fZpvM01AJapCZIFk7khnDPYKasSAof*VGsXTXXClZkgR8S/BigB.jpg?width=721" alt=""/></p>
तमिल फिल्म के नायक रजनीकांत ने अपने साथी कलाकार सदी के महानायक अभिताभ बच्चन को अपना 'गुरु' और अपनी 'प्रेरणा' कहा. उन्होंने कहा कि वे 'अंधा क़ानून', गिरफ्तार' और 'हम' फिल्मों में एक साथ काम करने के अनुभव को कभी नहीं भूलेंगे. Vidya Balantag:openbooksonline.com,2010-08-16:5170231:Topic:148502010-08-16T17:50:18.850ZManoj Kumar Jhahttp://openbooksonline.com/profile/ManojKumarJha
<p style="text-align: left;"><img alt="" src="http://api.ning.com:80/files/ml0c1ZbWBskU-8qjdEhHPVwDn29cWD63WavxsmccKyBOVaz-T69mzKgyHulKr4*z0Sdh6HMArpqWX68UCWrv8Cts4rTl0sNU/Vidyabalan.jpg?width=428" width="428"></img></p>
Vidya Balan is on the top of the world after winning the Filmfare Best Actress Award for the very role that she took up reluctantly, but which she now desire as ‘one of the most gratifying experience. We loved her mature portrayal of a mother of 13 year old Auro in ‘Paa’, it was almost daunting and…
<p style="text-align: left;"><img width="428" src="http://api.ning.com:80/files/ml0c1ZbWBskU-8qjdEhHPVwDn29cWD63WavxsmccKyBOVaz-T69mzKgyHulKr4*z0Sdh6HMArpqWX68UCWrv8Cts4rTl0sNU/Vidyabalan.jpg?width=428" alt=""/></p>
Vidya Balan is on the top of the world after winning the Filmfare Best Actress Award for the very role that she took up reluctantly, but which she now desire as ‘one of the most gratifying experience. We loved her mature portrayal of a mother of 13 year old Auro in ‘Paa’, it was almost daunting and intimidating. सोनम की मस्त अदाएँ आयशा के रूप मेtag:openbooksonline.com,2010-08-06:5170231:Topic:129272010-08-06T14:35:00.927ZABHISHEK TIWARIhttp://openbooksonline.com/profile/ABHISHEKTIWARI
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आज रिलीज़ हुई है फिल्म आयशा| फिल्म की कहानी पर ध्यान दें तो यह एक आमिर लड़की की अपनी ज़िंदगी और सोच के इर्द गिर्द घूमती कहानी नज़र आती है|आयशा एक आमिर और स्टाइलिश लड़की है , और वह एक इवेंट मैनेजमेंट के तौर पर दिलों को जोड़ने का काम करती है,रूप सज्जा मे काफ़ी कृत्रिम,बनावटी और अप्राकृतिक चीज़ें साफ साफ नज़र आती हैं,कहानी मे कोई खास दम नही है, सिर्फ़ और सिर्फ़ कहानी आयशा के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है|कभी वो सेल्फिस नज़र आती है तो कभी दोस्तों की मदद कर…
<p style="text-align: left;"><img src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868826513?profile=original" alt=""/></p>
आज रिलीज़ हुई है फिल्म आयशा| फिल्म की कहानी पर ध्यान दें तो यह एक आमिर लड़की की अपनी ज़िंदगी और सोच के इर्द गिर्द घूमती कहानी नज़र आती है|आयशा एक आमिर और स्टाइलिश लड़की है , और वह एक इवेंट मैनेजमेंट के तौर पर दिलों को जोड़ने का काम करती है,रूप सज्जा मे काफ़ी कृत्रिम,बनावटी और अप्राकृतिक चीज़ें साफ साफ नज़र आती हैं,कहानी मे कोई खास दम नही है, सिर्फ़ और सिर्फ़ कहानी आयशा के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है|कभी वो सेल्फिस नज़र आती है तो कभी दोस्तों की मदद कर उनपर चुपके चुपके अधिकार जमाने की कोशिश भी करती है|एक दोस्त पिंकी के रूप मे इरा दूबे ने अच्छा अभिनय किया है,शेफाली के रूप मे मिडिल क्लास फैमिली की लड़की होने का अहसास अमृता पूरी ने देने मे कोई कोताही नही बरती है, वो पूरी तरह से इस रोल मे फिट बैठ रही हैं,सीमित संसाधनों के बीच सोनम और अभय देओल ने अच्छा काम किया है, इसमे कोई शक नही|इस छोटी सी स्टोरी मे भी दिल्ली की झलक मिल रही है|पता नही क्यों आजकल के फिल्मों मे दिल्ली के सीन कुछ ज़्यादा ही नज़र आ रहे हैं |मैने पिछली लगभग 10 फिल्मों पर नज़र दौड़ाई तो मुझे सबमे एक ही समानता नज़र आई और वो यही की सबमे दिल्ली की भूमिका किसी ना किसी बहाने से मजबूत रूप मे है| आख़िर कुछ बात तो है इस शहर मे|आयशा एक लव स्टोरी है, लेकिन फिल्म में प्यार के क्षण ही नहीं आ पाते। कभी लड़ाई तो कभी फ्लर्ट यही सब दिखता है|कभी भी प्यार का अहसास ही नही हो पाता,प्यार का इज़हार भी एक बालकनी मे खड़ा होकर सीधी के उपर से करना थोड़ा कामेडी लगता है,मगर इसका क्या औचित्य है समझ मे नही आता|इस फिल्म मे प्यार कम नौटंकी ज़्यादा है| हाँ ये ज़रूर दिख जाता है की अगर आपको किसी दूसरे का इस्तेमाल करना है तो आप कैसे इस काम को अच्छी तरह से कर सकते हो |मिडिल क्लास पर तरस भी खाने वाली बात मुझे समझ मे नही आई|आख़िर सबकी एक अपनी ज़िंदगी है| आप उसमे कैसे इंटेरफेयर कर सकते हैं?,अपनी मर्ज़ी कैसे आप दूसरों पर थोप सकते हैं? कुल मिलकर यह एक ताम झाम वाली और लड़की प्रधान फिल्म है,अगर आपकी कोई गर्लफ़्रेंड है तो उसके साथ आप ये फिल्म देखने जा सकते हैं|वीकेंड के लिए छुट्टी मनाने का अच्छा ज़रिया साबित हो सकता है|किरदारों के स्टाइलिश लुक देने के चक्कर मे उनका असली किरदार सही रूप मे सामने नही आ पाया है|आयशा इस नये दौर की एक कैरेक्टर है, जिसकी बनावट से अधिक सजावट पर ध्यान दिया गया है।और इसमे सोनम पूरी तरह से चमक दमक मे निखर भी रही हैं|फिल्म का निर्देशन अच्छा है,मगर अमित त्रिवेदी का संगीत बहुत ही लाजवाब और प्यारा है,इसमे बिल्कुल मिलावट नही है, इसमे नयापन झलकता है, फिल्म के अंत मे गीत अच्छा लगता है,कुल मिलकर अनिल कपूर की ये फिल्म ऐसे लोगों के लिए है जो ज़्यादा सजने सवरने मे, पिकनिक मे और सिर्फ़ मस्ती मे मगन रहते हैं,फिल्म से कुछ खास शिक्षा नही मिलती है,बस दिल्ली की इस भाग दौड़ भारी ज़िंदगी मे भी कुछ युवा दिलों की मस्ती नज़र आएगी|आपको कुछ समय के लिए ऋषिकेश की पहाड़ी वादियों का लुत्फ़ उठाना हो तो फिर ठीक है,निर्देशक : राजश्री ओझा ने सीमित कहानी और ढीली पटकथा के बावजूद दर्शकों को बाँधने की भरपूर कोशिश की है|सोनम कपूर सुंदर तो हैं ही, इसमे तो कोई शक नही है , मगर इस फिल्म मे तो वो सेक्सी और नये मॉडलके कपड़ो मे वो बिल्कुल परी जैसी दिखती हैं, इसमे रूप सज्जा करने वाले और निर्देशक राजश्री ओझा ने भरपूर मेहनत की है|अभिषेक तिवारी|<br />
मेरी नज़र मे ये फिल्म (ठीक ठाक) है सुल्तान मिर्ज़ा ही सब कुछ हैtag:openbooksonline.com,2010-07-31:5170231:Topic:121882010-07-31T16:41:21.188ZABHISHEK TIWARIhttp://openbooksonline.com/profile/ABHISHEKTIWARI
आज फिल्म वन्स उपौन आ टाइम इन मुंबई दर्शकों के सामने पर्दे पर आई है.फिल्म का निर्देशन अच्छा है,मिलन लूथरिया के द्वारा ये1970-80 के अंडरवर्ल्ड के उपर रखकर बनाई गयी कहानी है,फिल्म मे डाइलॉग डेलिवरी अच्छी है,म्यूज़िक थोड़ी मिलावटी लगी,अजय देवगन और कंगना रानौत की जोड़ी अच्छी है,सुल्तान मिर्ज़ा के रोल मे अजय ने एक अलग ही छाप छोड़ी है,इसमे इमरान ने थोड़ा निराश किया,वो इस रोल मे पूरी तरह फिट नही बैठ रहे थे, इमरान अजय देवगन के मजबूत और दृढ़ एक्टिंग के आगे फीके पड़ते दिखाई दिए,प्राची देसाई की एक्टिंग मे…
आज फिल्म वन्स उपौन आ टाइम इन मुंबई दर्शकों के सामने पर्दे पर आई है.फिल्म का निर्देशन अच्छा है,मिलन लूथरिया के द्वारा ये1970-80 के अंडरवर्ल्ड के उपर रखकर बनाई गयी कहानी है,फिल्म मे डाइलॉग डेलिवरी अच्छी है,म्यूज़िक थोड़ी मिलावटी लगी,अजय देवगन और कंगना रानौत की जोड़ी अच्छी है,सुल्तान मिर्ज़ा के रोल मे अजय ने एक अलग ही छाप छोड़ी है,इसमे इमरान ने थोड़ा निराश किया,वो इस रोल मे पूरी तरह फिट नही बैठ रहे थे, इमरान अजय देवगन के मजबूत और दृढ़ एक्टिंग के आगे फीके पड़ते दिखाई दिए,प्राची देसाई की एक्टिंग मे निखार दिखा,उनकी टाइमिंग बिल्कुल सही समय पर रही,रणदीप हुड्डा ने एक्टिंग से प्रभावित किया है,गौहर ख़ान ने अपने आइटम नंबर पर खूब तालियाँ बटोरी,उनकी सेक्सी छवि शायद आगे उन्हे फिल्म दिला दे,फिल्म के गाने अच्छे लगे ,प्रीतम का संगीत अच्छा है,मगर बॅकग्राउंड म्यूज़िक मे भी मिलावटीपन नज़र आया, कुल मिलाकर फिल्म देखने लायक है,दर्शकों के मनोरंजन के आसार दिखते नज़र आ रहे हैं,मगर एक बात ख़टकती है,वो ये है की आख़िर क्या सिर्फ़ अब दिखाने को हमारे पास अंडॅर्वर्ल्ड की दुनिया ही रह गयी है?,क्या हमारे पास एक अच्छे पटकथा लेखक की कमी पड़ गई है ?,फिल्म का अंत भी कुछ खास समझ मे नही आता है. वो कौन है जो आज भी विदेश मे रहकर मुंबई पर राज कर रहा है?,लोगों को इससे अच्छा मैसेज नही जाता,अगर आप सिर्फ़ मनोरंजन के नज़रिए से फिल्म देखने जाते हैं तब तो ठीक है,मगर कोई मैसेज ढूँढने की कोशिश करना बेमानी होगी,मेरे हिसाब से इस फिल्म को***1/2,आपकी बहुमुल्य राय क्या है? guru jee ke filmtag:openbooksonline.com,2010-03-29:5170231:Topic:8472010-03-29T10:16:36.847ZRash Bihari Ravihttp://openbooksonline.com/profile/ravikumargiri
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<p style="text-align: left;"><img width="721" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868826648?profile=RESIZE_1024x1024" alt=""/></p>