"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 102 - Open Books Online2024-03-29T12:55:57Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/102?commentId=5170231%3AComment%3A994469&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी र…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9946592019-10-20T18:00:44.051ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी रचना के लिए आपका सादर धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>आपने इस बार की विभीषिका का चित्रवत बखान किया है. </p>
<p></p>
<p><span>प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है। .... <strong>प्रभावित हुए</strong> को <strong>प्रभावित हुआ</strong> कर दिया जाय तो पंक्ति एकवचन की हो जाएगी. इससे तुकान्तत में सहुलियत हो जाएगी. </span></p>
<p></p>
<p><span>हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </span></p>
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<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी रचना के लिए आपका सादर धन्यवाद. </p>
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<p>आपने इस बार की विभीषिका का चित्रवत बखान किया है. </p>
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<p><span>प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है। .... <strong>प्रभावित हुए</strong> को <strong>प्रभावित हुआ</strong> कर दिया जाय तो पंक्ति एकवचन की हो जाएगी. इससे तुकान्तत में सहुलियत हो जाएगी. </span></p>
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<p><span>हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </span></p>
<p></p> आदरणीया प्रतिभा जी, आयोजन मे…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9946572019-10-20T17:54:01.151ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीया प्रतिभा जी, आयोजन में आपकी उपस्तिथि प्रतीक्षित थी। इस बार के आयोजन के दोनों छंदों में आपकी रचनाएँ आयी हैं, यह स्वागतयोग्य है। </p>
<p></p>
<p><span><em>पगलाये हैं मेघ, रहो सब आज सँभलकर</em> .. सही बात ! इस बार मेघों ने जो कुछ किया है वह विस्मय से भी अधिक लोगों के मन में भय बैठा गया। </span></p>
<p></p>
<p>प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
<p></p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p></p>
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<p>आदरणीया प्रतिभा जी, आयोजन में आपकी उपस्तिथि प्रतीक्षित थी। इस बार के आयोजन के दोनों छंदों में आपकी रचनाएँ आयी हैं, यह स्वागतयोग्य है। </p>
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<p><span><em>पगलाये हैं मेघ, रहो सब आज सँभलकर</em> .. सही बात ! इस बार मेघों ने जो कुछ किया है वह विस्मय से भी अधिक लोगों के मन में भय बैठा गया। </span></p>
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<p>प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
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<p>शुभातिशुभ</p>
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<p></p> कही बात पूरी सही छन्द है
लुभा…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9947372019-10-20T14:26:25.860Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>कही बात पूरी सही छन्द है</p>
<p>लुभाता हमें देख लो बंद है</p>
<p>पढ़ें बिन जिन्हें बस नहीं हम रहें</p>
<p>बधाई बधाई बधाई कहें।</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p>कही बात पूरी सही छन्द है</p>
<p>लुभाता हमें देख लो बंद है</p>
<p>पढ़ें बिन जिन्हें बस नहीं हम रहें</p>
<p>बधाई बधाई बधाई कहें।</p>
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<p>सादर</p> कुदरत की हो मार या, ये शोषक क…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9946552019-10-20T14:19:49.811Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>कुदरत की हो मार या, ये शोषक के काम</p>
<p>ख़बरी सच्चे को कहाँ, मिलता है आराम</p>
<p>मिलता है आराम, चैन कब उसे सुहाए</p>
<p>जन चिंतन का पक्ष, लिए आगे बढ़ जाए</p>
<p>सतविंदर जब नार, गहे साहस को सह मत</p>
<p>माता का ही रूप, दिखाने लगती कुदरत।</p>
<p></p>
<p>उत्तम छंदों के सृजन के लिए सादर बधाई आदरणीया प्रतिभा दीदी।</p>
<p>कुदरत की हो मार या, ये शोषक के काम</p>
<p>ख़बरी सच्चे को कहाँ, मिलता है आराम</p>
<p>मिलता है आराम, चैन कब उसे सुहाए</p>
<p>जन चिंतन का पक्ष, लिए आगे बढ़ जाए</p>
<p>सतविंदर जब नार, गहे साहस को सह मत</p>
<p>माता का ही रूप, दिखाने लगती कुदरत।</p>
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<p>उत्तम छंदों के सृजन के लिए सादर बधाई आदरणीया प्रतिभा दीदी।</p> आदरणीय सत्यनारायण जी, सादर नम…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9946542019-10-20T14:09:13.810Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, सादर नमन! उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, सादर नमन! उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार।</p> आदरणीया प्रतिभा पांडे जी कुण्…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9947332019-10-20T11:54:55.068ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी कुण्डलिया एवं शक्ति छंद में दोनों प्रस्तुतियां अतिसुन्दर बन पड़ी है हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी कुण्डलिया एवं शक्ति छंद में दोनों प्रस्तुतियां अतिसुन्दर बन पड़ी है हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p> आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा ज…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9944692019-10-20T11:52:59.061ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी प्रदत्त चित्र पर सुन्दर भावाभियक्ति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>कुण्डलिया छंद आधारित गीत प्रस्तुति हेतु विशेष बधाई जो हमें भी इस विधा को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है </p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी प्रदत्त चित्र पर सुन्दर भावाभियक्ति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>कुण्डलिया छंद आधारित गीत प्रस्तुति हेतु विशेष बधाई जो हमें भी इस विधा को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है </p>
<p>सादर </p> आदरणीय अखिलेश जी प्रदत्त चित्…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9947312019-10-20T11:48:44.452ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय अखिलेश जी प्रदत्त चित्र के भाव को परिभाषित करती सुन्दर कुण्डलिया छंद की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय </p>
<p>आदरणीय अखिलेश जी प्रदत्त चित्र के भाव को परिभाषित करती सुन्दर कुण्डलिया छंद की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय </p> विधा : शक्ति छंद
मापनी : १२२…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9946482019-10-20T11:39:03.552ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<div class="gs"><div class=""><div class="ii gt" id=":ok"><div class="a3s aXjCH" id=":oj"><div dir="auto"><p dir="ltr">विधा : शक्ति छंद</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">मापनी :<span> </span><a rel="nofollow" target="_blank">१२२ १२२ १२२ १२</a></p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है।<br></br>भरा जल घरों में नहीं ठांँव है।<br></br>नदी तोड़ खतरा निशां बह रही।<br></br>कहीं ना गुजारा फिज़ा कह रही।१।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">हुआ ठप्प सा लोक जीवन …</p>
</div>
</div>
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<div class="gs"><div class=""><div id=":ok" class="ii gt"><div id=":oj" class="a3s aXjCH"><div dir="auto"><p dir="ltr">विधा : शक्ति छंद</p>
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<p dir="ltr">मापनी :<span> </span><a rel="nofollow" target="_blank">१२२ १२२ १२२ १२</a></p>
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<p dir="ltr">प्रभावित हुए बाढ़ से गांँव है।<br/>भरा जल घरों में नहीं ठांँव है।<br/>नदी तोड़ खतरा निशां बह रही।<br/>कहीं ना गुजारा फिज़ा कह रही।१।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">हुआ ठप्प सा लोक जीवन यहाँ।<br/>चहुंओर मातम मचा है जहाँ।<br/>अचानक यहाँ आज बादल फटे।<br/>सभी लोक संचार माध्यम कटे।२।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">सुना चार खंभे प्रजातंत्र के ।<br/>टिका कर रखें दूर षड़यंत्र से ।<br/>खबर मीडिया से सही जानते ।<br/>उसे खंभ चौथा सभी मानते।३।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">नहीं मीडिया किंतु पीछे यहाँ।<br/>निभा कर्म अपना रही हैै वहाँ।<br/>रही साध संवाद नारी निडर।<br/>बडा साहसिक यार लगता जिगर।४।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">लिये हाथ माईक दिखे बे फिकर।<br/>नहीं नाव क्या ग़म चढी डेक पर ।<br/>मनुज दो सहारा जिसे दे रहे।<br/>फंँसी नाव मांझी यथा खे रहे।५।</p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">-मौलिक व अप्रकाशित</p>
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</div> आदरणीय सौरभ सर सादर नमन! आपका…tag:openbooksonline.com,2019-10-20:5170231:Comment:9947282019-10-20T10:28:57.792Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय सौरभ सर सादर नमन! आपका अनुमोदन, उत्साहवर्धन, मार्गदर्शन हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। सादर आभार</p>
<p>आदरणीय सौरभ सर सादर नमन! आपका अनुमोदन, उत्साहवर्धन, मार्गदर्शन हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। सादर आभार</p>