"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 103 - Open Books Online2024-03-29T07:57:15Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/103?commentId=5170231%3AComment%3A996265&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआ. भाई अजय जी, सादर आभार।tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9961672019-11-17T17:14:32.299Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अजय जी, सादर आभार।</p>
<p>आ. भाई अजय जी, सादर आभार।</p> आ. भाई सतविन्द्र जी, सादर आभा…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9962722019-11-17T17:12:15.834Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सतविन्द्र जी, सादर आभार।</p>
<p>आ. भाई सतविन्द्र जी, सादर आभार।</p> आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9961662019-11-17T17:11:21.896Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> बहुत अच्छी और रोचक रचना सतविं…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9963522019-11-17T16:19:20.534Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>बहुत अच्छी और रोचक रचना सतविंदर भाई जी बधाई हो</p>
<p>बहुत अच्छी और रोचक रचना सतविंदर भाई जी बधाई हो</p> प्रस्तुत चित्र पर सार छंद की…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9961632019-11-17T16:18:58.741Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p> प्रस्तुत चित्र पर सार छंद की अच्छी रचना हुई है लक्ष्मण धामी जी बहुत-बहुत बधाई</p>
<p> प्रस्तुत चित्र पर सार छंद की अच्छी रचना हुई है लक्ष्मण धामी जी बहुत-बहुत बधाई</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9960782019-11-17T12:38:50.149Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमन सह बधाई।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमन सह बधाई।</p> सादर नमन, अभिवादन आदरणीय सौरभ…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9963492019-11-17T12:38:16.207Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>सादर नमन, अभिवादन आदरणीय सौरभ सर</p>
<p>सादर नमन, अभिवादन आदरणीय सौरभ सर</p> किट-किट पिट-पिट किटर-पिटर म…tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9963462019-11-17T12:33:44.248Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p></p>
<p></p>
<p>किट-किट पिट-पिट किटर-पिटर में</p>
<p>बचपन पूरा डूबा।</p>
<p>कदमों में जो फैली पिट है</p>
<p>लगती नहीं अजूबा।।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>साधन होंगे समय बचेगा</p>
<p>जग ने था यह सोचा</p>
<p>अब साधन की करें चाकरी</p>
<p>नहीं देखते लोचा।</p>
<p>निकट खड़ा जो वह दिखता कब</p>
<p>बात दूर से होती</p>
<p>नजदीकी के मन में हरकत</p>
<p>बीज घृणा के बोती।</p>
<p></p>
<p>घरवाली अब कहे बिफ़र कर</p>
<p>बक्सा है महबूबा।</p>
<p></p>
<p>पटरी पर जीवन लाना है</p>
<p>पटरी, पर है सूनी</p>
<p>जिस पर तजकर…</p>
<p></p>
<p></p>
<p>किट-किट पिट-पिट किटर-पिटर में</p>
<p>बचपन पूरा डूबा।</p>
<p>कदमों में जो फैली पिट है</p>
<p>लगती नहीं अजूबा।।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>साधन होंगे समय बचेगा</p>
<p>जग ने था यह सोचा</p>
<p>अब साधन की करें चाकरी</p>
<p>नहीं देखते लोचा।</p>
<p>निकट खड़ा जो वह दिखता कब</p>
<p>बात दूर से होती</p>
<p>नजदीकी के मन में हरकत</p>
<p>बीज घृणा के बोती।</p>
<p></p>
<p>घरवाली अब कहे बिफ़र कर</p>
<p>बक्सा है महबूबा।</p>
<p></p>
<p>पटरी पर जीवन लाना है</p>
<p>पटरी, पर है सूनी</p>
<p>जिस पर तजकर हर चिंता को</p>
<p>बाल रमाएं धूनी</p>
<p>सरकारी नियम-नीति होते,</p>
<p>इनको कहाँ खबर है</p>
<p>मल-चिंता सह सुख जो देती </p>
<p>पक्की यही डगर है।</p>
<p></p>
<p>मस्त मलंगों की रुत दिखती,</p>
<p>देखो कोई सूबा।।</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p>
<p></p>
<p></p> सार छंद
ज्ञान बाँटता सारे …tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9963452019-11-17T09:33:21.030Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>सार छंद</p>
<p></p>
<p>ज्ञान बाँटता सारे जग को, अद्भुत देश हमारा<br></br>गया न लेकिन हमसे अबतक, घर को यार सँवारा।।<br></br>फुटपाथों पर बच्चे पलते, फिरते नित आवारा<br></br>रेलगमन पथ है सौचालय, किन्तु स्वच्छता नारा।।</p>
<p></p>
<p>फोन लगाकर बालक कहता, सुनना बात हमारी<br></br>नित्य देश से तुम नेता जी, करते हो गद्दारी।।<br></br>खा पी तुम फैलाते नित हो, यहाँ गंदगी सारी<br></br>हम भूखों से कहते हो क्यों, शौच हमारा भारी।।</p>
<p></p>
<p>शौचालय की सुविधा दे दो, हर झोपड़ बस्ती में<br></br>वरना हम तो शौच …</p>
<p>सार छंद</p>
<p></p>
<p>ज्ञान बाँटता सारे जग को, अद्भुत देश हमारा<br/>गया न लेकिन हमसे अबतक, घर को यार सँवारा।।<br/>फुटपाथों पर बच्चे पलते, फिरते नित आवारा<br/>रेलगमन पथ है सौचालय, किन्तु स्वच्छता नारा।।</p>
<p></p>
<p>फोन लगाकर बालक कहता, सुनना बात हमारी<br/>नित्य देश से तुम नेता जी, करते हो गद्दारी।।<br/>खा पी तुम फैलाते नित हो, यहाँ गंदगी सारी<br/>हम भूखों से कहते हो क्यों, शौच हमारा भारी।।</p>
<p></p>
<p>शौचालय की सुविधा दे दो, हर झोपड़ बस्ती में<br/>वरना हम तो शौच करेंगे, इधर -उधर मस्ती में।।<br/>नेता जी तुम अगर डकारो, सब कुछ ना सस्ती में<br/>चार चाँद झट लग सकते हैं , भारत की हस्ती में।।</p>
<p></p>
<p>रोटी चावल महँगा लेकिन, अब है सस्ता डाटा<br/>भूखे रह कर सेल्फी लेना, करना सैर सपाटा।।<br/>यही नीति है सरकारों की, लूटो, कर दो टाटा<br/>सकल देश को हो जाये फिर, इससे बेहद घाटा।।</p>
<p></p>
<p>मौलिक/अप्रकाशित</p> सादर अभिवादन..tag:openbooksonline.com,2019-11-17:5170231:Comment:9962652019-11-17T09:32:39.078Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>सादर अभिवादन..</p>
<p>सादर अभिवादन..</p>