"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 114 - Open Books Online2024-03-28T16:09:52Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/114?commentId=5170231%3AComment%3A1032181&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=no अपने ओबीओ परिवार के सदस्य अर…tag:openbooksonline.com,2020-10-16:5170231:Comment:10324532020-10-16T19:10:20.612ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p> अपने ओबीओ परिवार के सदस्य अरुन अनन्त के आकस्मिक निधन के हृदयद्रावक समाचार से पूरा परिवार शोक मग्न है. </p>
<p>इस बार का आयोजन स्थगित किया जाता है.</p>
<p></p>
<p>परमपिता परमेश्वर अरुन भाई की आत्मा को चिर-शांति दें.</p>
<p></p>
<p>ॐ शांति</p>
<p> अपने ओबीओ परिवार के सदस्य अरुन अनन्त के आकस्मिक निधन के हृदयद्रावक समाचार से पूरा परिवार शोक मग्न है. </p>
<p>इस बार का आयोजन स्थगित किया जाता है.</p>
<p></p>
<p>परमपिता परमेश्वर अरुन भाई की आत्मा को चिर-शांति दें.</p>
<p></p>
<p>ॐ शांति</p>
पहले सींचा नेह से, बाद सौंप…tag:openbooksonline.com,2020-10-16:5170231:Comment:10321812020-10-16T18:57:26.123ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p> </p>
<p>पहले सींचा नेह से, बाद सौंप दी पीर ।</p>
<p>निकली मेरी प्रेम में, दगाबाज तकदीर ।।</p>
<p>अरुन अनन्त</p>
<p><a href="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042460463?profile=original" rel="noopener" target="_blank"><img class="align-right" src="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042460463?profile=RESIZE_710x" width="200"></img></a></p>
<p>मोह का हर एक, धागा तोड़कर,<br></br>दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है,</p>
<p></p>
<p>मत बहाना हे प्रिये मोती नयन से,<br></br>जा रहा हूँ बाँध कर तुमको वचन से,<br></br>मुस्कुराहट, प्रेम, करुणा और सुख से,<br></br>जोड़कर रखना स्वयं को पूर्ण मन…</p>
<p> </p>
<p>पहले सींचा नेह से, बाद सौंप दी पीर ।</p>
<p>निकली मेरी प्रेम में, दगाबाज तकदीर ।।</p>
<p>अरुन अनन्त</p>
<p><a href="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042460463?profile=original" target="_blank" rel="noopener"><img src="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042460463?profile=RESIZE_710x" width="200" class="align-right"/></a></p>
<p>मोह का हर एक, धागा तोड़कर,<br/>दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है,</p>
<p></p>
<p>मत बहाना हे प्रिये मोती नयन से,<br/>जा रहा हूँ बाँध कर तुमको वचन से,<br/>मुस्कुराहट, प्रेम, करुणा और सुख से,<br/>जोड़कर रखना स्वयं को पूर्ण मन से,</p>
<p></p>
<p>छोड़ दो दामन, जुदाई का समय है,<br/>दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है</p>
<p><a href="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042461460?profile=original" target="_blank" rel="noopener"><img src="https://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/8042461460?profile=RESIZE_710x" width="200" class="align-right"/></a></p>
<p>याद रखना प्रेम की प्रिय भावनाएँ, <br/>भूल जाना ये विरह की वेदनाएँ, <br/>तय करो बाकी सफर हँसकर जगत में, <br/>दे रहा हूँ मैं तुम्हें शुभकामनाएँ,</p>
<p></p>
<p>बंधनों से अब, रिहाई का समय है<br/>दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है</p>
<p>अरुन अनन्त</p>
<p></p>
<p>तुम्हे जाने की इतनी जल्दी क्या थी ? ऐसे कौन छोड़ जाता है ?</p>
<p>काश यह झूठ होता...</p>
<p></p>
<p>वह भी आत्म हत्या !!!</p>
<p></p>
<p>तुम इतने कमजोर तो नहीं थे..</p>
<p>कितनी प्यारी बिटिया है तुम्हारी,</p>
<p>कैसे जियेगी तुम्हारे बिन, यह भी न सोचा, निष्ठुर ! </p>
<p></p>
<p></p>
<p>अरुन.. अनंत की यात्रा पर निकल गया ...</p>
<p>ईश्वर आपकी आत्मा को शांति प्रदान करें </p>
<p>****</p>
<p>ओबीओ परिवार </p>
<p>गणेश जी बाग़ी</p>