"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 115 - Open Books Online2024-03-29T15:54:16Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/115?commentId=5170231%3AComment%3A1037316&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अशोक जी। बहुत अच्छी रच…tag:openbooksonline.com,2020-11-23:5170231:Comment:10371942020-11-23T02:37:59.213ZDINESH KUMAR VISHWAKARMAhttp://openbooksonline.com/profile/DINESHKUMARVISHWAKARMA
<p>आदरणीय अशोक जी। बहुत अच्छी रचना। उपरोक्त पंक्तियों से मुझे छंद को समझने में आसानी हुई।। हार्दिक बधाई आपको।</p>
<p>आदरणीय अशोक जी। बहुत अच्छी रचना। उपरोक्त पंक्तियों से मुझे छंद को समझने में आसानी हुई।। हार्दिक बधाई आपको।</p> आदरणीय अंकित जी बहुत सुंदर रच…tag:openbooksonline.com,2020-11-23:5170231:Comment:10372922020-11-23T02:34:32.174ZDINESH KUMAR VISHWAKARMAhttp://openbooksonline.com/profile/DINESHKUMARVISHWAKARMA
<p>आदरणीय अंकित जी बहुत सुंदर रचना है। बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय अंकित जी बहुत सुंदर रचना है। बधाई स्वीकार करें।</p> बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं आदरण…tag:openbooksonline.com,2020-11-23:5170231:Comment:10371002020-11-23T02:32:40.062ZDINESH KUMAR VISHWAKARMAhttp://openbooksonline.com/profile/DINESHKUMARVISHWAKARMA
<p>बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं आदरणीय।प्रेरणादायक।हार्दिक बधाई</p>
<p>बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं आदरणीय।प्रेरणादायक।हार्दिक बधाई</p> बहुत बहुत आभार आपका।tag:openbooksonline.com,2020-11-23:5170231:Comment:10373232020-11-23T02:31:17.295ZDINESH KUMAR VISHWAKARMAhttp://openbooksonline.com/profile/DINESHKUMARVISHWAKARMA
<p>बहुत बहुत आभार आपका।</p>
<p>बहुत बहुत आभार आपका।</p> बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय tag:openbooksonline.com,2020-11-23:5170231:Comment:10372912020-11-23T02:30:13.131ZDINESH KUMAR VISHWAKARMAhttp://openbooksonline.com/profile/DINESHKUMARVISHWAKARMA
<p>बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय </p>
<p>बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय </p> आदरणीय अशोक जी, त्रुटियों को…tag:openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10372902020-11-22T18:23:53.724Zअंकित कुमार नौटियालhttp://openbooksonline.com/profile/27mkxvvu5d75m
<p>आदरणीय अशोक जी, त्रुटियों को उजागर करने के लिये, आपके समय व टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मैं अवश्य ही भूल सुधारने का प्रयास, करूँगा व आगे की रचनाओं में ध्यान रखने की चेष्टा करूँगा।</p>
<p></p>
<p>पुनः हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आदरणीय अशोक जी, त्रुटियों को उजागर करने के लिये, आपके समय व टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मैं अवश्य ही भूल सुधारने का प्रयास, करूँगा व आगे की रचनाओं में ध्यान रखने की चेष्टा करूँगा।</p>
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<p>पुनः हार्दिक धन्यवाद ।</p> आदरणीय अंकित कुमार नौटियाल जी…tag:openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10370992020-11-22T18:18:16.928ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अंकित कुमार नौटियाल जी सादर प्रस्तुत रचना को सराहने के लिए आपका अतिशय आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय अंकित कुमार नौटियाल जी सादर प्रस्तुत रचना को सराहने के लिए आपका अतिशय आभार. सादर</p> प्रस्तुत छंदों की सराहना के ल…tag:openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10371912020-11-22T18:17:20.086ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी. सादर</p>
<p>प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी. सादर</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत…tag:openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10372892020-11-22T18:07:36.242Zअंकित कुमार नौटियालhttp://openbooksonline.com/profile/27mkxvvu5d75m
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत सादर धन्यवाद।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत सादर धन्यवाद।</p> आदरणीय अशोक जी, संवेदना से भर…tag:openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10371902020-11-22T18:04:26.038Zअंकित कुमार नौटियालhttp://openbooksonline.com/profile/27mkxvvu5d75m
<p>आदरणीय अशोक जी, संवेदना से भरपूर रचना।</p>
<p>"हम बुजुर्गों को लिए, नित साथ अब आगे बढ़ें ।<br/> दोष ही केवल न अब, हम शीश पर उनके मढ़ें ।"</p>
<p>आज के समय में बहुत प्रासंगिक पंक्ति।</p>
<p>पूरे विश्व मे यह भाव आज फैल रहा है, की सब समस्या पूर्व की पीढ़ियों के कारण है, इससे पीढ़ियों में एक दूसरे के प्रति सहानुभूति कम हो रही है। "बूमर" और "मिलनियल" शब्द इसी असामंजस्य को बयां करते हैं। नई पीढ़ी के लिए बहुत अच्छा सन्देश ।</p>
<p>बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय अशोक जी, संवेदना से भरपूर रचना।</p>
<p>"हम बुजुर्गों को लिए, नित साथ अब आगे बढ़ें ।<br/> दोष ही केवल न अब, हम शीश पर उनके मढ़ें ।"</p>
<p>आज के समय में बहुत प्रासंगिक पंक्ति।</p>
<p>पूरे विश्व मे यह भाव आज फैल रहा है, की सब समस्या पूर्व की पीढ़ियों के कारण है, इससे पीढ़ियों में एक दूसरे के प्रति सहानुभूति कम हो रही है। "बूमर" और "मिलनियल" शब्द इसी असामंजस्य को बयां करते हैं। नई पीढ़ी के लिए बहुत अच्छा सन्देश ।</p>
<p>बधाई स्वीकार करें।</p>