ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 125 - Open Books Online2024-04-10T06:40:04Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/125?commentId=5170231%3AComment%3A1068800&feed=yes&xn_auth=noइस आयोजन की समाप्ति के भावमय…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10690422021-09-21T18:30:16.688ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
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<p><span style="background-color: transparent; font-size: 1em;">इस आयोजन की समाप्ति के भावमय अवसर पर मैं सभी प्रतिभागियों तथा पाठकों के प्रति आभार अभिव्यक्त करता हूँ. एक अरसे बाद चित्र से काव्य तक छंदोत्सव का आयोजन सफलीभूत प्रतीत हुआ है. वह भी भुजंगप्रयात जैसे दुष्कर छंद की आधार-भूमि पर ! …</span></p>
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<p><span style="background-color: transparent; font-size: 1em;">इस आयोजन की समाप्ति के भावमय अवसर पर मैं सभी प्रतिभागियों तथा पाठकों के प्रति आभार अभिव्यक्त करता हूँ. एक अरसे बाद चित्र से काव्य तक छंदोत्सव का आयोजन सफलीभूत प्रतीत हुआ है. वह भी भुजंगप्रयात जैसे दुष्कर छंद की आधार-भूमि पर ! </span></p>
<div class="description xj_comment_editor xg_user_generated" id="desc_5170231Comment1069107" style="margin: 5px 35px 5px 0px; padding: 0px; border: 0px; outline: 0px; vertical-align: baseline; background: transparent; font-size: 1em; text-overflow: ellipsis; overflow: hidden;"><p></p>
<p>मैं अगले आयोजन तक के लिए आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ. </p>
<p>निशा-स्वस्ति</p>
</div> इस उत्साहवर्द्धन के लिए आपका…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10688012021-09-21T18:28:28.712ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस उत्साहवर्द्धन के लिए आपका सादर आभार आदरणीय अमीरुद्दीन साहब.</p>
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<p>इस उत्साहवर्द्धन के लिए आपका सादर आभार आदरणीय अमीरुद्दीन साहब.</p>
<p></p> मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, भ…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10690412021-09-21T18:21:19.985Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, भुजंगप्रयात छंद पर आधारित आपकी तृतीय रचना शानदार प्रदर्शन है, आपका साहित्य के प्रति ये प्यार और समर्पण न केवल अतुल्य एवं अनुकरणीय है अपितु सभी सीखने वालों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण एवं प्रेरणा का स्रोत है जनाब सौरभ पाण्डेय जी ने भी क्या कमाल का परिमार्जन किया है, वाह। मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>.... और हांँ छंदों के माध्यम से आपकी और आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी के शास्त्रार्थ ने आयोजन में चार चांँद लगा दिये हैं, इसके लिए आप दोनों ही शानदार बधाई स्वीकार…</p>
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, भुजंगप्रयात छंद पर आधारित आपकी तृतीय रचना शानदार प्रदर्शन है, आपका साहित्य के प्रति ये प्यार और समर्पण न केवल अतुल्य एवं अनुकरणीय है अपितु सभी सीखने वालों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण एवं प्रेरणा का स्रोत है जनाब सौरभ पाण्डेय जी ने भी क्या कमाल का परिमार्जन किया है, वाह। मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>.... और हांँ छंदों के माध्यम से आपकी और आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी के शास्त्रार्थ ने आयोजन में चार चांँद लगा दिये हैं, इसके लिए आप दोनों ही शानदार बधाई स्वीकार करें। सलामत रहें, सादर। </p> जय-जय
tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10688002021-09-21T18:17:42.684ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय-जय </p>
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<p>जय-जय </p>
<p></p> कहेंगे, सभी एक-सी ही कहेंगे इ…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10687992021-09-21T18:16:50.554ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>कहेंगे, सभी एक-सी ही कहेंगे <br/>इसे पाठशाला बड़ी-सी कहेंगे <br/>कहा ओबिओ ने सदस्यो, लगे हो !<br/>विधा पद्य के सीख लो, जो जगे हो !!</p>
<p>कहेंगे, सभी एक-सी ही कहेंगे <br/>इसे पाठशाला बड़ी-सी कहेंगे <br/>कहा ओबिओ ने सदस्यो, लगे हो !<br/>विधा पद्य के सीख लो, जो जगे हो !!</p> आयोजन बेहद कामयाब रहा इसके लि…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10690402021-09-21T18:14:01.826ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>आयोजन बेहद कामयाब रहा इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>शुभ रात्रि जनाब ।</p>
<p>आयोजन बेहद कामयाब रहा इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>शुभ रात्रि जनाब ।</p> मेरी भी बधाई स्वीकार करें ।
ज…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10687982021-09-21T18:13:21.068ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरी भी बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सौरभ साहिब की बात से सहमत हूँ ।</p>
<p>मेरी भी बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सौरभ साहिब की बात से सहमत हूँ ।</p> नज़ारे सभी से जुदा दीखते हैं
य…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10690382021-09-21T18:00:04.879ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>नज़ारे सभी से जुदा दीखते हैं</p>
<p>यहाँ जो सिखाते वही सीखते हैं ।।</p>
<p>मियाँ ओबिओ की करामात है ये</p>
<p>मुझे तो लगा है बड़ी बात है ये ।।</p>
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<p>नज़ारे सभी से जुदा दीखते हैं</p>
<p>यहाँ जो सिखाते वही सीखते हैं ।।</p>
<p>मियाँ ओबिओ की करामात है ये</p>
<p>मुझे तो लगा है बड़ी बात है ये ।।</p>
<p></p> आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवाद…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10690372021-09-21T17:59:24.154Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। छंदों की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। छंदों की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आदरणीया दीपांजलि जी, आपने अपन…tag:openbooksonline.com,2021-09-21:5170231:Comment:10687962021-09-21T17:58:53.680ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया दीपांजलि जी, आपने अपने श्रमसाध्य प्रयास से आयोजन के अंतिम क्षणों में हमें चकित कर दिया है. मैं आपकी संलग्नता की भूरि-भूरि प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ. </p>
<p>हार्दिक बधाई. </p>
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<p>यदि आपकी जिज्ञासा तथा रचनाओं को लेकर आपका समर्पण ऐसा सान्द्र है तो व्याकरण संबंधी एक-दो बातें कहना चाहूँगा. </p>
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<p>आप स्वर-चिह्नों के प्रति सचेत रहें.</p>
<p>पद्य के विधान में, यदि रचना गेय हो, तो मात्राओं की बड़ी महत्ता हुआ करती है. चंद्रबिंदु और अनुस्वार का अंतर स्पष्ट…</p>
<p>आदरणीया दीपांजलि जी, आपने अपने श्रमसाध्य प्रयास से आयोजन के अंतिम क्षणों में हमें चकित कर दिया है. मैं आपकी संलग्नता की भूरि-भूरि प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ. </p>
<p>हार्दिक बधाई. </p>
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<p>यदि आपकी जिज्ञासा तथा रचनाओं को लेकर आपका समर्पण ऐसा सान्द्र है तो व्याकरण संबंधी एक-दो बातें कहना चाहूँगा. </p>
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<p>आप स्वर-चिह्नों के प्रति सचेत रहें.</p>
<p>पद्य के विधान में, यदि रचना गेय हो, तो मात्राओं की बड़ी महत्ता हुआ करती है. चंद्रबिंदु और अनुस्वार का अंतर स्पष्ट होना चाहिए. क्योंकि दोनों की मात्राएँ भिन्न-भिन्न होती हैं. यदि ध्यान न रखा गया तो पुरी पंक्ति की कुल मात्रा ही बिगड़ जाएगी. तदनुरूप गेयता प्रभावित होगी.</p>
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<p>आपकी प्रस्तुति में अधिकांश अनुस्वार के चिह्न वस्तुत: चंद्रबिन्दु होने चाहिए. </p>
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<p>दूसरी बात, सम्बोधन हेतु प्रयुक्त संज्ञाओं में अनुस्वार नहीं लगता. जैसे आपने 'सुनो आज लोगों..' में किया है. यहाँ 'सुनो आज लोगो..' होगा. </p>
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<p>जहां को अभी है तुम्हीं ने सुनानी.. ऐसे वाक्य-विन्यासों से बचने का प्रयास करें.</p>
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<p>बाकी, आपकी लगन के प्रति पुन: साधुवाद. </p>
<p>शुभ-शुभ </p>