"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 130 - Open Books Online2024-03-29T06:09:33Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/130?commentId=5170231%3AComment%3A1079478&x=1&feed=yes&xn_auth=noमैं प्रयास करूँगा, कि इस आयोज…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10794782022-02-20T18:48:15.911ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>मैं प्रयास करूँगा, कि इस आयोजन के दौरान उठे सवालों/ समस्याओं का उचित निराकरण कर सकूँ. इस बीच आदरणीय अशोक रक्ताले जी की संलग्नता के प्रति हार्दिक आभार. </p>
<p></p>
<p>कल और आज कई अत्यावश्यक एवं अपरिहार्य कार्यों में व्यस्त रहने के कारण सार्थक ढंग से उपलब्ध न रह पाने का खेद है. मैं अभी वापस पहुँच पाया हूँ.</p>
<p></p>
<p>शुभरात्रि</p>
<p>मैं प्रयास करूँगा, कि इस आयोजन के दौरान उठे सवालों/ समस्याओं का उचित निराकरण कर सकूँ. इस बीच आदरणीय अशोक रक्ताले जी की संलग्नता के प्रति हार्दिक आभार. </p>
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<p>कल और आज कई अत्यावश्यक एवं अपरिहार्य कार्यों में व्यस्त रहने के कारण सार्थक ढंग से उपलब्ध न रह पाने का खेद है. मैं अभी वापस पहुँच पाया हूँ.</p>
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<p>शुभरात्रि</p> इस उत्साहवर्धन के लिये आभार…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792892022-02-20T17:53:55.400Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p> इस उत्साहवर्धन के लिये आभार आदरणीय अशोक जी।रोला का अंत रगण मान्य नहीं है, इस तथ्य का भान तो था पर थोड़ी जल्दीबाजी का ही परिणाम है ये भूल। इस भूल को इंगित करने के लिये आपका हार्दिक आभार</p>
<p> इस उत्साहवर्धन के लिये आभार आदरणीय अशोक जी।रोला का अंत रगण मान्य नहीं है, इस तथ्य का भान तो था पर थोड़ी जल्दीबाजी का ही परिणाम है ये भूल। इस भूल को इंगित करने के लिये आपका हार्दिक आभार</p> आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10795472022-02-20T17:14:51.888ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.किन्तु फिर भी कुछ सुधार आवश्यक है.</p>
<p></p>
<div dir="auto"> जारी है मतदान, पर्व ये बड़ा <strong>खास है</strong>।</div>
<div dir="auto"> हों पूरे एलान, सभी की यही <strong>आस है</strong>।।.......रोला का अंत रगण से मान्य नहीं है. सादर.</div>
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<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.किन्तु फिर भी कुछ सुधार आवश्यक है.</p>
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<div dir="auto"> जारी है मतदान, पर्व ये बड़ा <strong>खास है</strong>।</div>
<div dir="auto"> हों पूरे एलान, सभी की यही <strong>आस है</strong>।।.......रोला का अंत रगण से मान्य नहीं है. सादर.</div>
<p></p> //पहला छंद आपने नानी दादी से…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10795462022-02-20T17:09:27.429ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><strong>//पहला छंद आपने नानी दादी से आरंभ किया किंतु उसके अंत में आपने दादी नानी कर दिया है। इस तरह दूसरा छंद आपने आया दिन से आरंभ किंतु अंत आपने उसका आया से किया है।//</strong></p>
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<p>आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, छंद के प्रारम्भ में <strong>नानी दादी</strong> और अंत में <strong>दादी नानी</strong> होना कुण्डलिया छंद की परिभाषा अनुसार कोई दोष नहीं है. दादी और नानी दोनों स्वतंत्र शब्द हैं. इसकारण इनका आवश्यकता अनुसार प्रयोग किया जा सकता है. <strong>शब्दांश, शब्द…</strong></p>
<p><strong>//पहला छंद आपने नानी दादी से आरंभ किया किंतु उसके अंत में आपने दादी नानी कर दिया है। इस तरह दूसरा छंद आपने आया दिन से आरंभ किंतु अंत आपने उसका आया से किया है।//</strong></p>
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<p>आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, छंद के प्रारम्भ में <strong>नानी दादी</strong> और अंत में <strong>दादी नानी</strong> होना कुण्डलिया छंद की परिभाषा अनुसार कोई दोष नहीं है. दादी और नानी दोनों स्वतंत्र शब्द हैं. इसकारण इनका आवश्यकता अनुसार प्रयोग किया जा सकता है. <strong>शब्दांश, शब्द या शब्द समूह.....</strong> अर्थात ना, नानी या नानी-दादी. यही बात द्वितीय छंद पर भी लागू होती है. सादर</p>
<p></p> आदरणीया प्रतिभाजी
ह्रदय से धन…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792882022-02-20T16:49:03.987Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया प्रतिभाजी</p>
<p><span>ह्रदय से धन्यवाद आभार मेरी प्रस्तुति की प्रशंसा के लिए|</span></p>
<p>आदरणीया प्रतिभाजी</p>
<p><span>ह्रदय से धन्यवाद आभार मेरी प्रस्तुति की प्रशंसा के लिए|</span></p> आदरणीया प्रतिभाजी आप सही हैं|…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10795452022-02-20T16:45:28.629Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया प्रतिभाजी आप सही हैं| <strong>प्रथम और अन्तिम शब्द</strong> एक होना चाहिए| प्रथम शब्द के बाद और अंतिम शब्द के पहले कौन सा शब्द है यह महत्वपूर्ण नहीं है|</p>
<p>आदरणीया प्रतिभाजी आप सही हैं| <strong>प्रथम और अन्तिम शब्द</strong> एक होना चाहिए| प्रथम शब्द के बाद और अंतिम शब्द के पहले कौन सा शब्द है यह महत्वपूर्ण नहीं है|</p> आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792872022-02-20T16:25:40.030ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, मेरी प्रस्तुति के छंदों को समय देने एवं सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>
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<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, मेरी प्रस्तुति के छंदों को समय देने एवं सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>
<p></p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792862022-02-20T16:24:10.543ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.</p>
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<p><strong>निवेदन</strong> .... भारत में हर कहीं छेड़खानी महिलाओं से दुर्व्यवहार आम बात है इसलिए नर नारी की अलक कतार आवश्यक है | इतनी कठोर सजा के बाद भी कुसंस्कार के कारण उत्तर प्रदेश और अन्य प्रान्तों के आपराधिक तत्व अपनी आदत से बाज नहीं आते| इसलिए दो अलग कतार बने रहने दीजिए| ...........<strong>जी ! किन्तु ऐसा करके हम यह अनायास यह घोषित नहीं कर रहे है कि हमने असामाजिक तत्वों से हार…</strong></p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.</p>
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<p><strong>निवेदन</strong> .... भारत में हर कहीं छेड़खानी महिलाओं से दुर्व्यवहार आम बात है इसलिए नर नारी की अलक कतार आवश्यक है | इतनी कठोर सजा के बाद भी कुसंस्कार के कारण उत्तर प्रदेश और अन्य प्रान्तों के आपराधिक तत्व अपनी आदत से बाज नहीं आते| इसलिए दो अलग कतार बने रहने दीजिए| ...........<strong>जी ! किन्तु ऐसा करके हम यह अनायास यह घोषित नहीं कर रहे है कि हमने असामाजिक तत्वों से हार मान ली है. मेरा विरोध भी यही है, सरकार इस परिस्थिति में अब तक सुधार क्यों नहीं ला पा रही है. सादर </strong></p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आद…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792852022-02-20T16:17:58.974Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, छंद रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार। सादर।</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, छंद रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार। सादर।</p> आदरणीय दयाराम मेठानी साहब साद…tag:openbooksonline.com,2022-02-20:5170231:Comment:10792842022-02-20T16:15:42.495ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों को चित्रानुकूल पाने के लिए आपका हृदयतल से आभार साहब. सादर</p>
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<p>आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों को चित्रानुकूल पाने के लिए आपका हृदयतल से आभार साहब. सादर</p>
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