आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,
सादर अभिवादन.
ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 49 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 15 मई 2015 दिन शुक्रवार से 16 मई 2015 दिन शनिवार तक
इस बार के आयोजन के लिए पुनः शक्ति छन्द का ही चयन किया गया है.
शक्ति छ्न्द के आधारभूत नियमों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
एक बार में अधिक-से-अधिक चार (4) शक्ति छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है.
ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 मई 2015 से 16 मई 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
विशेष :
यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.
[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
\\ प्रस्तुत पंक्तियाँ आपका और ध्यान चाहती हैं - बचे बहन भाई बहुत डर गए \\
सही ... सहमत सर.
आदरणीय सौरभ सर, एक और प्रश्न उठा मन में-
गलतियाँ की मात्रा गणना 122 होगी या 212
यद्यपि गलत की मात्रा गणना 12 होती है उसके हिसाब से गलतियाँ की मात्रा गणना 122 (ग+लति+याँ) होगी
किन्तु कई बार गल्तियाँ लिखा व उच्चारित किया जाता है तब गलतियाँ की मात्रा गणना 212 (गल+ति+याँ)
मार्गदर्शन निवेदित है.
//गलतियाँ की मात्रा गणना 122 होगी या 212 //
वस्तुतः यह उच्चारणकर्ता पर निर्भर करता है कि वह ऐसे बहुवचन शब्दों को कैसे उच्चारित करता है.
आप यदि रॉयल अल्बर्ट हॉल, लन्दन में आयोजित किशोर कुमार के कार्यक्रम के रिकॉर्ड या कैसेट्स (अब तो ये सीडी में एमपी३ या एमपी४ फ़ाइल में उपलब्ध होगा) को सुनें तो आप किशोरदा को लड़कियाँ का उच्चारण ल+ड़कि+याँ (१२२) करता पायेंगे. किशोर कुमार के स्तर के गायक या गायिका अपने उच्चारण पर कितना ध्यान देते हैं या रियाज़ करते हैं, शायद आप जैसे जानकार को बताने की आवश्यकता नहीं है.
या फिर, दूरदर्शन पर प्रसारित अस्सी के दशक का अत्यंत प्रसिद्ध एनिमेशन-गीत याद कीजिये, ’एक तितली अनेक तितलियाँ..’ !
उस गीत में तितलियाँ का उच्चारण ति+तलि+याँ (१२२) हुआ है.
कहने का तात्पर्य यह है कि थोड़ी आंचलिकता की छौंक किसी शब्द से निस्सृत भाव में आत्मीयता का कारण हो जाती है. इसी तथ्य के अंतर्गत हमने भी एक-दो बार तितलियाँ का उच्चारण ति+तलि+याँ किया है और इस शब्द को १२२ में बाँधा है.
लेकिन आप सही हैं कि गलतियाँ, तितलियाँ आदि का उच्चारण क्रमशः गल+ति+याँ और तित+लि+याँ हो तो उचित है.
वैसे, आमदनी जैसे शब्द को हमने राष्ट्रीय समाचारों में आमद+नी की तरह सुना है. जबकि हम आप इसे आम+दनी के तौर पर ही उच्चारित करते हैं.
मूल तथ्य यही है, कि ऐसे बहुवचन शब्दों के उच्चारण मूल एकवचन शब्दों के उच्चारण को ही आगे बढ़ायें तो अधिक उचित है. जैसे,
गलती -> गल+ती -> गल+ति+याँ
तितली -> तित+ली -> तित+लि+याँ
लेकिन यह भी है, कि यह कोई स्थापित नियम नहीं है. अन्यथा,
गलत -> ग+लत के हिसाब से गलती का उच्चारण ग+लती होना था.
आदरणीय सौरभ सर स्थिति स्पष्ट करने के लिए हार्दिक आभार
नमन
आदरणीय सौरभ भाई जी,
तितलियाँ और गलतियाँ पर उदाहरण सहित इतनी सुंदर व्याख्या,
वाह ! बिजलियाँ गिरा गये भाई जी जिसके उजाले में सब कुछ दिख रहा है .
एक पुराना पाकिस्तानी गीत याद आ गया नूरजहां जी की आवाज में शायद महबूब फिल्म से ........
करूँ जो मैं फरियाद अपनी जुबाँ से
गिरें बिजलियाँ टूट कर आसमां से
मैं अश्कों में सारे जहां को भिगो दूँ
मगर मुझको रोने की आदत नहीं है
निगाहें मिलके बदल जाने वाले
मुझे तुझसे कोई शिकायत नहीं है
जय हो प्रभु...........सादर
आदरणीय अरुण भाईजी, आपने समझा तो हमें भी समझ का अर्थ स्पष्ट हुआ. .. :-))
वैसे, आपके उद्दृत अंश में बिजलियाँ का उच्चारण बिज+लि++याँ है नकि बि+जलि+याँ ..जिस कारण यह चर्चा हो गयी.
:-))
मेरे विचार से बिज+लि++याँ यह उच्चारण ही शुद्ध है. आभार
आपको शुबहा क्यों हुआ आखिर ?
:-))
आदरणीय सौरभ भाईजी
आपका कहना सही है बचे बहन भाई बहुत डर गए ..... शब्दों का संयोजन भाव के अनुरूप कर नहीं पाया।
1. बहन और भाई सहम से गए ......... ....... इसमें तुकांतता मर गए के साथ सहम से गए सही न होने कारण डर गए ज़्यादा सही लगा । .... 2. बहन और भाई बहुत डर गए....... अथवा संशोधन के वक्त दोनों पंक्ति में कुछ नया करने का प्रयास करूँगा।
गलतियाँ और तितलियाँ की चर्चा से भी कुछ नई ज्ञान की बातें साझा हुई।
छंद की प्रशंसा और सार्थक सुझाव के लिए हृदय से धन्यवाद आभार
सादर धन्यवाद आदरणीय अखिलेश भाई.
आ, अखिलेश जी सादर,
चित्रानुरूप इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय
आदरणीय सत्यनारायण भाई
छंद की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार
आदरणीय अखिलेश सर, चित्र अनुरूप सुन्दर छंद हुआ है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |