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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार एकहत्तरवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 मार्च 2017 दिन शुक्रवार से 18 मार्च 2017 दिन शनिवार तक


इस बार छन्दों में चले आ रहे छन्दों से अलग, अपेक्षाकृत नये छन्द, सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है. - 

यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !

[प्रस्तुत चित्र निजी एलबम से है]

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है.

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 मार्च 2017 दिन शुक्रवार से 18 मार्च 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय सार छंद आधारित सुन्दर गीत रचा है आपने ढेरों बधाई आदरणीय सतविंद्र जी 

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी,प्रयास पर उपस्थित होकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र से भाव लेकर सार छंद आधारित सुंदर गीत रचा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी अंतरे में जहां पतझड़ के तरु का सुंदर बिम्ब लिया है वहीँ मुखड़े में सर्दी का बिम्ब कमजोर लग रहा है. सादर.

आदरणीय सतविन्द्र कुमार भैया जी , प्रदत्त चित्र से भाव लेकर सार छंद आधारित सुंदर गीत रचा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. 

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,प्रदत्त चित्र को सार्थक करता बढ़िया गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार।आदरणीय पतझड़ और सर्दी की निस्संदेह अलग-अलग हैं,किंतु एक-दूसरी से बिलकुल सटी हुई हैं।यही विचार कर यह बिम्ब लेने का प्रयास हुआ।फिर भी यदि इसमें कमजोरी रहती है तो इस पर पुनर्विचार किया ही जाएगा ।सादर
आदरणीया राजेश दीदी आपको प्रयास पसन्द आया,यह सार्थक हुआ!सादर हार्दिक आभार संग नमन
आदरणीय समर कबीर जीजी,प्रयास को पसन्द कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हारदिक आभार, संग नमन!

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी कोशिशें निरंतर बनी हुई हैं यह श्लाघनीय है. गीत-नवगीत के साँचे में कई महीन विन्दु भी हुआ करते हैं जिनकी ओर गंभीरता से सोचना होता है. लोकगीतों में अभिधात्मकता व्यापक हुआ करती हैं लेकिन उनका भी रूप सरस होता है लेकिन साहित्यिक गीतों में व्यंजनात्मकता या लाक्षणिक विन्यास ही स्तरीय माने जाते हैं. अन्यथा गीतों की सपाटबयानी इन्हें प्रभावी नहीं रहने देती.

मैं सीधे आपकी रचना पर आता हूँ -

 

दुस्सह सर्दी-सी पीड़ा से
सबको दो छुटकारा
पुष्पित टेसू-से खिल जाओ
जीवन हो ये न्यारा................ ....... मुखड़े की यह पंक्ति इतनी सपाट है कि यह आगे के बन्द के कथ्य का भार शायद ही उठा पाये.

 

जगति बनीं ये तरु पतझड़ का
सूनी है हर डाली
जिसको लखकर चिंतित रहता
इस उपवन का माली......................... बन्द सार्थक बन पड़ा है. 

रक्त पुष्प तुम डाल सजा दो
हर दल लगता प्यारा
पुष्पित टेसू-से खिल जाओ
जीवन हो ये न्यारा।........................... इस बन्द में भी वही सहजबयानी है.

राग-रंग भी जाने क्यों अब
देखो नहीं सुहाता
घटता है हर जन का पौरुष
काम नहीं वह आता

बन जाओ पौरुष की औषध
ये है काम तुम्हारा
पुष्पित टेसू-से खिल जाओ
जीवन हो ये न्यारा

नील गगन के बीच दमक कर..............’दमकना’ कौंध कर चकित करने का काम करता है. यहाँ टेसू के लिए यह उचित होगा क्या ?
थोड़ा तो मुस्काओ
संग पुष्प सब खिल-खिल जाएँ
उनको साथ मिलाओ

हर कोंपल तरु की खुलकर हो
पर्ण पल्लवित सारा........................... सारा तुक मिलाने मात्र के लिए प्रयुक्त हुआ है.
पुष्पित टेसू-से खिल जाओ
जीवन हो ये न्यारा।

आपसे अब तार्किक पंक्तियों की अपेक्षा हो रही है तो यह आपके गहन अभ्यास का ही परिचायक है.
प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ

आदरणीय सतविन्द्र जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करता बढ़िया गीत लिखा है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 

श्रद्धेय सौरभ सर,सादर वन्दन!इस प्रयास पर आपकी प्रतिक्रिया का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था।आपने समय देकर विस्तृत समीक्षा की और यथोचित मार्गदर्शन किया,उसके लिए मैं हृदय तल से आभारी हूँ।सर आपके आग्रह को ग्रहण कर पा रहा हूँ।जैसी बातें आपने की हैं ,ऐसा मैं आजकल व्यक्तिगत तौर पर अनुभव कर पा रहा हूँ।मेरा सतत प्रयास है कि इस दिशा में प्रखरता से आगे बढूँ।यथोचित अध्ययन भी कर रहा हूँ।आपको इतना ही विश्वास दिलाना चाहूँगा,मेरा प्रयास सतत है,कितनी जल्दी मैं प्रयास को सफलता प्राप्त होने लगेगी यह कहने में अभी असमर्थ हूँ।सादर
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी,प्रयास पर उपस्थित होकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए,सादर हार्दिक आभार

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