"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 76 - Open Books Online2024-03-29T15:37:36Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/76?feed=yes&xn_auth=noआदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी साहब…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8750202017-08-19T18:20:14.246Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी साहब आदाब।हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार जी ।
आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी साहब आदाब।हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार जी । अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय शह…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8747832017-08-19T18:19:22.751ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय शहजाद भाई | हार्दिक बधाई |</p>
<p>अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय शहजाद भाई | हार्दिक बधाई |</p> जी, बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8750182017-08-19T18:16:22.022ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
जी, बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए। दूसरे छंद में मैं 'झंडे' की जगह 'झंडों'<br />
करना चाह रहा था। 'फूलों' से मेल खाता सही शब्द तुकांत हेतु नहीं मिला। मार्गदर्शन निवेदित।
जी, बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए। दूसरे छंद में मैं 'झंडे' की जगह 'झंडों'<br />
करना चाह रहा था। 'फूलों' से मेल खाता सही शब्द तुकांत हेतु नहीं मिला। मार्गदर्शन निवेदित। जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8748402017-08-19T17:50:29.514ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर सारछन्द का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
दूसरे छन्द में तुकान्तता सही नहीं है ।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर सारछन्द का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
दूसरे छन्द में तुकान्तता सही नहीं है । जनाब अरुण निगम जी आदाब,
छन्न…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8750172017-08-19T17:44:49.043ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब अरुण निगम जी आदाब,<br />
<br />
छन्न पकैया छन्न पकैया,अच्छी रचना आई ।<br />
भाई अरुण निगम जी तुमको,दिल से बहुत बधाई ।।
जनाब अरुण निगम जी आदाब,<br />
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छन्न पकैया छन्न पकैया,अच्छी रचना आई ।<br />
भाई अरुण निगम जी तुमको,दिल से बहुत बधाई ।। हार्दिक आभार आदरणीय शहज़ाद जी।tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8749242017-08-19T17:38:23.315Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
हार्दिक आभार आदरणीय शहज़ाद जी।
हार्दिक आभार आदरणीय शहज़ाद जी। सार छंद/छन्नपकैया :
छन्नपकैय…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8748392017-08-19T17:37:44.474ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सार छंद/छन्नपकैया :<br />
<br />
छन्नपकैया छन्नपकैया, देखो इन बच्चों को,<br />
बाग़ों में पलते कच्चों को, मन के इन सच्चों को।<br />
<br />
छन्नपकैया छन्नपकैया, परखो इन फूलों को,<br />
घेर रहे हैं नीचे ऊपर, भारत के झंडे को।<br />
<br />
छन्नपकैया छन्नपकैया, देखो तक़दीरों को,<br />
आज़ादी के जन्म दिवस पर, सच्ची तस्वीरों को।<br />
<br />
(मौलिक व अप्रकाशित)
सार छंद/छन्नपकैया :<br />
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छन्नपकैया छन्नपकैया, देखो इन बच्चों को,<br />
बाग़ों में पलते कच्चों को, मन के इन सच्चों को।<br />
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छन्नपकैया छन्नपकैया, परखो इन फूलों को,<br />
घेर रहे हैं नीचे ऊपर, भारत के झंडे को।<br />
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छन्नपकैया छन्नपकैया, देखो तक़दीरों को,<br />
आज़ादी के जन्म दिवस पर, सच्ची तस्वीरों को।<br />
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(मौलिक व अप्रकाशित) आपसे प्रयास पर अनुमोदन मिला,…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8748382017-08-19T17:35:30.489Zpratibha pandehttp://openbooksonline.com/profile/pratibhapande
आपसे प्रयास पर अनुमोदन मिला, लिखना सार्थक हुआ, हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डे जी
आपसे प्रयास पर अनुमोदन मिला, लिखना सार्थक हुआ, हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डे जी छन्न-पकैया छन्न-पकैया, अच्छा…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8748372017-08-19T17:31:50.230ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>छन्न-पकैया छन्न-पकैया, अच्छा चित्र दिखाया |</p>
<p>देशप्रेम का सच बच्चों ने, उत्तम पाठ पढ़ाया || </p>
<p> </p>
<p>छन्न-पकैया छन्न-पकैया, ग्राम्य झलक दिखलाई |</p>
<p>वन्दे भारतमाता कहकर , दूँ मैं लाख बधाई ||</p>
<p> </p>
<p>आदरणीय अरुण कुमार निगम साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने चित्र को परिभाषित करते बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.</p>
<p>छन्न-पकैया छन्न-पकैया, अच्छा चित्र दिखाया |</p>
<p>देशप्रेम का सच बच्चों ने, उत्तम पाठ पढ़ाया || </p>
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<p>छन्न-पकैया छन्न-पकैया, ग्राम्य झलक दिखलाई |</p>
<p>वन्दे भारतमाता कहकर , दूँ मैं लाख बधाई ||</p>
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<p>आदरणीय अरुण कुमार निगम साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने चित्र को परिभाषित करते बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.</p> आदरणीय अरुण भाईजी
छन्न पकैया…tag:openbooksonline.com,2017-08-19:5170231:Comment:8747822017-08-19T17:31:49.662Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय अरुण भाईजी</p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, अंतिम समय पकाये।</p>
<p>स्वादिष्ट लगा छंद आपका, छककर हम सब खाये॥ </p>
<p>आदरणीय अरुण भाईजी</p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, अंतिम समय पकाये।</p>
<p>स्वादिष्ट लगा छंद आपका, छककर हम सब खाये॥ </p>