"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 81 - Open Books Online2024-03-29T15:55:06Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/81?commentId=5170231%3AComment%3A910189&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआयोजन में सहभागिता के लिए सुध…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9104112018-01-20T18:30:48.262ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आयोजन में सहभागिता के लिए सुधीजनों का आभार..</p>
<p></p>
<p>आयोजन में सहभागिता के लिए सुधीजनों का आभार..</p>
<p></p> :-))))tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9103932018-01-20T18:30:10.772ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>:-))))</p>
<p>:-))))</p> आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, भ…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9102932018-01-20T18:20:59.296ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, भुजंगप्रयात पर हुए प्रयास को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार. सही कहा है आपने मैं भी एक बार रुका था किन्तु मुझे लगा 'बीमार' जब बीमारी किया जाता है तो ब की मात्रा छोटी हो जाती होगी. बस यही सोचकर मैंने लिख दिया. सादर क्षमाप्रार्थी हूँ.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, भुजंगप्रयात पर हुए प्रयास को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार. सही कहा है आपने मैं भी एक बार रुका था किन्तु मुझे लगा 'बीमार' जब बीमारी किया जाता है तो ब की मात्रा छोटी हो जाती होगी. बस यही सोचकर मैंने लिख दिया. सादर क्षमाप्रार्थी हूँ.</p> मेरे कहे पर ध्यान देने के लिए…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9101892018-01-20T18:06:43.647ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>मेरे कहे पर ध्यान देने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीया प्रतिभा जी</p>
<p></p>
<p>मेरे कहे पर ध्यान देने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीया प्रतिभा जी</p>
<p></p> आदरणीय अशोक भाईजी, भुजंगप्रया…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9101882018-01-20T18:03:52.808ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, भुजंगप्रयात पर ठोस कलम चली है। तीन बंद में आपने चित्र को मय भाव प्रस्तुत कर दिया है। </p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p></p>
<p>वैसे, आदरणीय , इस चाँद में भी एक दाग़ है। बीमारी शब्द बिमारी की तरह प्रयुक्त हुआ है। </p>
<p>सादर </p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, भुजंगप्रयात पर ठोस कलम चली है। तीन बंद में आपने चित्र को मय भाव प्रस्तुत कर दिया है। </p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p></p>
<p>वैसे, आदरणीय , इस चाँद में भी एक दाग़ है। बीमारी शब्द बिमारी की तरह प्रयुक्त हुआ है। </p>
<p>सादर </p>
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<p></p> आ. राजेश दी, इस प्रस्तुति के…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9103922018-01-20T17:46:36.088Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. राजेश दी, इस प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि बधाई।</p>
<p>आ. राजेश दी, इस प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि बधाई।</p> भुजंगप्रयात छंद
सबेरा हुआ ह…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9102922018-01-20T17:43:32.023ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>भुजंगप्रयात छंद</p>
<p> </p>
<p>सबेरा हुआ है उजाला हुआ है |</p>
<p>भला हो सभी का हमारी दुआ है,</p>
<p>उदासी सभी की मिटाए भगाए,</p>
<p>नया सूर्य आया नई आस लाए ||</p>
<p> </p>
<p>हवा शीत की नित्य काँटे चुभाती |</p>
<p>किसे बर्फ सी रात बोलो सुहाती ?</p>
<p>बढ़ी ठण्ड मासूम कैसे सहेंगे,</p>
<p>बता दे खुदा स्वस्थ कैसे रहेंगे ||</p>
<p> </p>
<p>गरीबी अशिक्षा बड़ी है बिमारी |</p>
<p>जने हैं इसी ने जहां में भिखारी,</p>
<p>चलें राह के जो सदा ही किनारे,</p>
<p>अभावों पले ये जमीं के सितारे…</p>
<p>भुजंगप्रयात छंद</p>
<p> </p>
<p>सबेरा हुआ है उजाला हुआ है |</p>
<p>भला हो सभी का हमारी दुआ है,</p>
<p>उदासी सभी की मिटाए भगाए,</p>
<p>नया सूर्य आया नई आस लाए ||</p>
<p> </p>
<p>हवा शीत की नित्य काँटे चुभाती |</p>
<p>किसे बर्फ सी रात बोलो सुहाती ?</p>
<p>बढ़ी ठण्ड मासूम कैसे सहेंगे,</p>
<p>बता दे खुदा स्वस्थ कैसे रहेंगे ||</p>
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<p>गरीबी अशिक्षा बड़ी है बिमारी |</p>
<p>जने हैं इसी ने जहां में भिखारी,</p>
<p>चलें राह के जो सदा ही किनारे,</p>
<p>अभावों पले ये जमीं के सितारे ||</p>
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<p>मौलिक/अप्रकाशित.</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी,
कहाँ…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9104102018-01-20T17:40:46.216ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी,</p>
<p>कहाँ थीं जी ? ऐसी रचना से आपने हम सभी को अबतक दूर रखा था ? इस सशक्त प्रयास के लिए हार्दिक बधाई. चित्र और उसके भाव को शाब्दिक करना सहज ढंग से हुआ है. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
<p></p>
<p>एक बात :</p>
<p><span>ठिठुरता सड़क पे खड़ा बचपना .... ये क्या है ? यदि ठिठुरता अपने सही स्थान पर है तो सड़क के स्त्रीलिंग होने से उपयुक्त शब्द तो ठिठुरती होगा. लेकिन ये तो आपके कहे का भाव है नहीं. तो ठिठुरता का स्थान बदलना होगा न ? </span></p>
<p></p>
<p><span>है न ?…</span></p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी,</p>
<p>कहाँ थीं जी ? ऐसी रचना से आपने हम सभी को अबतक दूर रखा था ? इस सशक्त प्रयास के लिए हार्दिक बधाई. चित्र और उसके भाव को शाब्दिक करना सहज ढंग से हुआ है. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
<p></p>
<p>एक बात :</p>
<p><span>ठिठुरता सड़क पे खड़ा बचपना .... ये क्या है ? यदि ठिठुरता अपने सही स्थान पर है तो सड़क के स्त्रीलिंग होने से उपयुक्त शब्द तो ठिठुरती होगा. लेकिन ये तो आपके कहे का भाव है नहीं. तो ठिठुरता का स्थान बदलना होगा न ? </span></p>
<p></p>
<p><span>है न ? .. :-)) </span></p>
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<p><span>सादर</span></p>
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<p></p> दिल से शुक्रिया आदरणीय सौरभ स…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9102912018-01-20T17:37:34.559Zsunanda jha http://openbooksonline.com/profile/sunandajha840
<p>दिल से शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर ,आपको रचना पसन्द आई लेखन सार्थक हुआ ।हृदय तल से आभारी हूँ इस रचना को अपना समय देकर मान बढ़ाने के लिए सादर ।</p>
<p>दिल से शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर ,आपको रचना पसन्द आई लेखन सार्थक हुआ ।हृदय तल से आभारी हूँ इस रचना को अपना समय देकर मान बढ़ाने के लिए सादर ।</p> आदरणीया सुनन्दा झा जी, आपकी भ…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9104092018-01-20T17:33:51.499ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया सुनन्दा झा जी, आपकी भावमय प्रस्तुति से हृदय आप्लावित हो गया. चित्र के अनुरूप आपने कथ्य को यथोचित विस्तार दिया है. </p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी के कहे का संज्ञान लें, आदरणीया. </p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ और अशेष शुभकामनाएँ </p>
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<p>आदरणीया सुनन्दा झा जी, आपकी भावमय प्रस्तुति से हृदय आप्लावित हो गया. चित्र के अनुरूप आपने कथ्य को यथोचित विस्तार दिया है. </p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी के कहे का संज्ञान लें, आदरणीया. </p>
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<p>हार्दिक बधाइयाँ और अशेष शुभकामनाएँ </p>
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