"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 82 - Open Books Online2024-03-29T05:52:45Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/82?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noबहुत रोचक और सुंदर। हार्दिक ब…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9145112018-02-17T18:05:20.692ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत रोचक और सुंदर। हार्दिक बधाई आदरणीय शरद सिंह ' विनोद' जी।</p>
<p>बहुत रोचक और सुंदर। हार्दिक बधाई आदरणीय शरद सिंह ' विनोद' जी।</p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अखि…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9144152018-02-17T18:04:20.149ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी।</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी।</p> वाह। हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9143012018-02-17T18:03:51.873ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वाह। हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।</p>
<p>वाह। हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।</p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9144142018-02-17T18:03:20.843ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब।</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब।</p> आ. भाई सतविंद्र जी, परामर्श द…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9143662018-02-17T17:45:59.889Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, परामर्श देती छंदबद्ध प्रतिक्रिया के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई सतविंद्र जी, परामर्श देती छंदबद्ध प्रतिक्रिया के लिए आभार ।</p> भुजंग प्रयात छन्द (122 -122-1…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9143002018-02-17T17:11:05.995ZSHARAD SINGH "VINOD"http://openbooksonline.com/profile/Sharadsinghvinod
भुजंग प्रयात छन्द (122 -122-122-122)<br />
<br />
बड़ा तंग करता वो करके बहाने,<br />
बड़ी मुश्किलों से बुलाया नहाने।<br />
किया वारि ने दूर तंद्रा जम्हाँई,<br />
तुम्ही मेरे लल्ला तुम्ही हो कन्हाई।<br />
<br />
कभी डाँटके तो कभी मुस्कुरा के,<br />
करे प्यार माता निगाहेँ चुराके।<br />
बड़े कौशलों से किया मातु राजी,<br />
पढ़ो लाल जीतोगे जीवन की बाजी।<br />
<br />
सुना जी हिया-उर्मि के नाद को मैं,<br />
कि आभास ऐसा छुआ चाँद को मैं।<br />
अघाई निगाहें बटोरूँ दुआ मैं,<br />
अहा! वत्सला मातृ द्रष्टा हुआ मैं।<br />
<br />
'विनोद' (मौलिक-अप्रकाशित)
भुजंग प्रयात छन्द (122 -122-122-122)<br />
<br />
बड़ा तंग करता वो करके बहाने,<br />
बड़ी मुश्किलों से बुलाया नहाने।<br />
किया वारि ने दूर तंद्रा जम्हाँई,<br />
तुम्ही मेरे लल्ला तुम्ही हो कन्हाई।<br />
<br />
कभी डाँटके तो कभी मुस्कुरा के,<br />
करे प्यार माता निगाहेँ चुराके।<br />
बड़े कौशलों से किया मातु राजी,<br />
पढ़ो लाल जीतोगे जीवन की बाजी।<br />
<br />
सुना जी हिया-उर्मि के नाद को मैं,<br />
कि आभास ऐसा छुआ चाँद को मैं।<br />
अघाई निगाहें बटोरूँ दुआ मैं,<br />
अहा! वत्सला मातृ द्रष्टा हुआ मैं।<br />
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'विनोद' (मौलिक-अप्रकाशित) आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9142992018-02-17T16:35:28.900ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही सफल प्रयास । अच्छा चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही सफल प्रयास । अच्छा चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,हौ…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9144102018-02-17T15:39:55.832ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> आदरणीय अखिलेश भाई साहब,सादर व…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9143642018-02-17T15:18:05.310Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब,सादर वन्दन। पोस्ट करने के बाद <strong>नहाना</strong> शब्द देख कर। अटक रहा। था। नहलाना केे अर्थ मेंइस लेंेे गलत नाआ। मार्गदर्स्शन के ।लिए सादर आभार</p>
<p>आदरणीय अखिलेश भाई साहब,सादर वन्दन। पोस्ट करने के बाद <strong>नहाना</strong> शब्द देख कर। अटक रहा। था। नहलाना केे अर्थ मेंइस लेंेे गलत नाआ। मार्गदर्स्शन के ।लिए सादर आभार</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,हौंसल…tag:openbooksonline.com,2018-02-17:5170231:Comment:9142972018-02-17T15:12:45.111Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
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<li style="text-align: center;">आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर हार्दिक आभार</li>
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<li style="text-align: center;">आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर हार्दिक आभार</li>
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