"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 85 - Open Books Online2024-03-29T11:21:49Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/85?commentId=5170231%3AComment%3A931212&feed=yes&xn_auth=noआदरणीया ममताजी, इस प्रयास हे…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9311382018-05-19T18:20:22.966ZSatyanarayan Singhhttp://openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p><span>आदरणीया ममताजी, इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई </span></p>
<p><span>आदरणीया ममताजी, इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई </span></p> जय-जय !!
tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9309962018-05-19T18:19:21.424ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय-जय !! </p>
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<p>जय-जय !! </p>
<p></p> आदरणीय सौरभ भाईजी
हृदय से ध…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9309952018-05-19T18:15:26.018Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी</p>
<p>हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए। उत्साहवर्धन से लेखन कर्म सार्थक हो गया।</p>
<p></p>
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<p>आदरणीय सौरभ भाईजी</p>
<p>हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए। उत्साहवर्धन से लेखन कर्म सार्थक हो गया।</p>
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<p></p> आदरणीया ममताजी, आपका इस आयोजन…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9310482018-05-19T18:07:43.296ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया ममताजी, आपका इस आयोजन में हृदयतल से स्वागत है। आपकी रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद ! </p>
<p>प्रस्तुति में वैधानिक अशुद्धियाँ हैं इन्हें देख जाएँ। </p>
<p>सादर</p>
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<p>आदरणीया ममताजी, आपका इस आयोजन में हृदयतल से स्वागत है। आपकी रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद ! </p>
<p>प्रस्तुति में वैधानिक अशुद्धियाँ हैं इन्हें देख जाएँ। </p>
<p>सादर</p>
<p></p> आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9312352018-05-19T18:03:41.034ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी विधा सम्मत रचना प्र्दत्त चित्र को बखूबी परिभाषित कर रही है। हृदयतल से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
<p> </p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी विधा सम्मत रचना प्र्दत्त चित्र को बखूबी परिभाषित कर रही है। हृदयतल से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ </p>
<p> </p> वाह वाह वाह !
आदरणीय सतीश भा…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9310462018-05-19T18:00:40.018ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीय सतीश भाईजी, आपका निर्दोष शक्ति छंद मन मुग्ध कर रहा है तथा कथ्य भी उभर कर आया है। हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीय सतीश भाईजी, आपका निर्दोष शक्ति छंद मन मुग्ध कर रहा है तथा कथ्य भी उभर कर आया है। हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने प्र…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9310452018-05-19T17:58:26.297ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र को नया ही रूप और अर्थ दिया है। और चौपई छंद भी अपनी विधा के साथ उभर कर आया है। हृदयतल से बधाइयाँ लीजिए। </p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र को नया ही रूप और अर्थ दिया है। और चौपई छंद भी अपनी विधा के साथ उभर कर आया है। हृदयतल से बधाइयाँ लीजिए। </p>
<p>सादर </p> वाह वाह !
आदरणीय तस्दीक भाई,…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9311372018-05-19T17:54:56.092ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीय तस्दीक भाई, आपके इस बेहतर प्रयास को साधुवाद देता हूँ। </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीय तस्दीक भाई, आपके इस बेहतर प्रयास को साधुवाद देता हूँ। </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीय अजय जी, आपकी लगातार दू…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9312342018-05-19T17:47:18.342ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अजय जी, आपकी लगातार दूस्री रचना पढ़ रहा हूँ और फिर से मन मुग्ध है। आप तनिक ध्यान दें और सचेत रहें तो आप बेहतर छांदसिक रचनाएँ लिख सकते हैं। आदरणीय अशोक भाईजी ने जो सुधार दर्शाए हैं उन्की ओर आप अवश्य ध्यान दीजिएगा। फिर, ’पसंद है’ को आप लघु-गुरु-गुरु में कैसे बाँध सकते हैं ? </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>आदरणीय अजय जी, आपकी लगातार दूस्री रचना पढ़ रहा हूँ और फिर से मन मुग्ध है। आप तनिक ध्यान दें और सचेत रहें तो आप बेहतर छांदसिक रचनाएँ लिख सकते हैं। आदरणीय अशोक भाईजी ने जो सुधार दर्शाए हैं उन्की ओर आप अवश्य ध्यान दीजिएगा। फिर, ’पसंद है’ को आप लघु-गुरु-गुरु में कैसे बाँध सकते हैं ? </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीया राजेशजी
हृदय से धन्यव…tag:openbooksonline.com,2018-05-19:5170231:Comment:9309942018-05-19T17:46:18.799Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया राजेशजी</p>
<p>हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए</p>
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<p>आदरणीया राजेशजी</p>
<p>हृदय से धन्यवाद चौपई छंद की प्रशंसा और विस्तार से प्रतिक्रिया के लिए</p>
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