"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 91 - Open Books Online2024-03-29T00:32:57Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/91?groupUrl=pop&%3Bxg_source=activity&%3BgroupId=5170231%3AGroup%3A68907&%3Bid=5170231%3ATopic%3A959941&%3Bpage=5&feed=yes&xn_auth=noहरिगीतिका छंद में
यह लाडली ह…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9613852018-11-18T18:44:56.815Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
<p>हरिगीतिका छंद में</p>
<p></p>
<p>यह लाडली है देश की आकाश को छूने चली<br/>सब तोड़कर बाधा बढ़ी है आज वह हक़ की गली</p>
<p>जग सोचता था है बड़ी मज़बूर यह नासाज़ भी<br/>इसने कहा मैं हूँ सबल मज़बूत है आवाज़ भी</p>
<p>कुश्ती हुई जो मर्द से तो भी नहीं पीछे हटी<br/>हर दाँव को यह झेलते लड़ती रही हर पल डटी<br/>था जोश इसमें गर्व का अभिमान का था हौसला<br/>मारा पलटकर दांव जब फिर वह नहीं टाले टला<br/> -- क़मर जौनपुरी<br/>(मौलिक एवं अप्रकाशित)</p>
<p>हरिगीतिका छंद में</p>
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<p>यह लाडली है देश की आकाश को छूने चली<br/>सब तोड़कर बाधा बढ़ी है आज वह हक़ की गली</p>
<p>जग सोचता था है बड़ी मज़बूर यह नासाज़ भी<br/>इसने कहा मैं हूँ सबल मज़बूत है आवाज़ भी</p>
<p>कुश्ती हुई जो मर्द से तो भी नहीं पीछे हटी<br/>हर दाँव को यह झेलते लड़ती रही हर पल डटी<br/>था जोश इसमें गर्व का अभिमान का था हौसला<br/>मारा पलटकर दांव जब फिर वह नहीं टाले टला<br/> -- क़मर जौनपुरी<br/>(मौलिक एवं अप्रकाशित)</p> वाह जनाबे मोहतरम समर कबीर साह…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9613842018-11-18T17:54:48.666Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
वाह जनाबे मोहतरम समर कबीर साहब, उस्ताद वाली नज़र पड़ी और रचना धन्य हुई। बहुत बहुत शुक्रिया इतनी बारीकी से आलोचना करने के लिए।<br />
अब मैं आगे से सभी रचनाओं में इसका ध्यान रखूँगा।
वाह जनाबे मोहतरम समर कबीर साहब, उस्ताद वाली नज़र पड़ी और रचना धन्य हुई। बहुत बहुत शुक्रिया इतनी बारीकी से आलोचना करने के लिए।<br />
अब मैं आगे से सभी रचनाओं में इसका ध्यान रखूँगा। जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9615322018-11-18T17:39:20.900ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,आपकी प्रशंसा पाकर मुग्ध हूँ, सराहना के लिए बहुत बहुत आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,आपकी प्रशंसा पाकर मुग्ध हूँ, सराहना के लिए बहुत बहुत आभार व धन्यवाद ।</p> बहुत बहुत शुक्रिया आपका,मुहतर…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9614592018-11-18T17:36:51.510ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आपका,मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय साहिबा ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आपका,मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय साहिबा ।</p> वाह! वाह!! वाह! बहुत ख़ूब ! बह…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9613832018-11-18T17:28:19.588ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>वाह! वाह!! वाह! बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब ! छंद पढ़कर मज़ा आ गया । अभिभूत हो गया हूँ । बहुत सशक्त चित्रानुरूप वर्णन किया है आपने । मैं तो नि:शब्द हूँ ।</p>
<p> दिली मुबारकबाद आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । देरी की मुआफ़ी चाहता हूँ ।</p>
<p>वाह! वाह!! वाह! बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब ! छंद पढ़कर मज़ा आ गया । अभिभूत हो गया हूँ । बहुत सशक्त चित्रानुरूप वर्णन किया है आपने । मैं तो नि:शब्द हूँ ।</p>
<p> दिली मुबारकबाद आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । देरी की मुआफ़ी चाहता हूँ ।</p> जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,प…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9615312018-11-18T17:27:38.031ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर शक्तिछन्द का प्रयास बहुत उम्दा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।</p>
<p></p>
<p>' अड़े थे कि अब जीतना है मुझे <br></br>गिराकर रहेंगे धरा पर तुझे<br></br>लगाए हुए थे तिलक भाल पर <br></br>अजब नाज़ था जीत की चाल पर'</p>
<p>इस छन्द के पहले पद में 'अड़े थे'दूसरे पद में 'रहेंगे' तीसरे पद में 'थे' शब्द बहुवचन के हैं और अंत में 'मुझे' 'तुझे' एक वचन में,इस लिहाज़ से इस छन्द को यूँ होना था:-</p>
<p></p>
<p>'अड़ा था कि अब जीतना है मुझे</p>
<p>गिराकर रहूँगा धरा पर…</p>
<p>जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर शक्तिछन्द का प्रयास बहुत उम्दा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।</p>
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<p>' अड़े थे कि अब जीतना है मुझे <br/>गिराकर रहेंगे धरा पर तुझे<br/>लगाए हुए थे तिलक भाल पर <br/>अजब नाज़ था जीत की चाल पर'</p>
<p>इस छन्द के पहले पद में 'अड़े थे'दूसरे पद में 'रहेंगे' तीसरे पद में 'थे' शब्द बहुवचन के हैं और अंत में 'मुझे' 'तुझे' एक वचन में,इस लिहाज़ से इस छन्द को यूँ होना था:-</p>
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<p>'अड़ा था कि अब जीतना है मुझे</p>
<p>गिराकर रहूँगा धरा पर तुझे</p>
<p>लगाए हुए था तिलक भाल पर</p>
<p>अजब नाज़ था जीत की चाल पर'</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9616212018-11-18T17:23:09.699ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,</p>
<p> प्रदत् चित्र के आधार पर नारी सशक्तिकरण का बहुत ही सामयिक चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं ।</p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,</p>
<p> प्रदत् चित्र के आधार पर नारी सशक्तिकरण का बहुत ही सामयिक चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं ।</p> आदरणीय क़मर जौनपुरी आदाब,
…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9613822018-11-18T17:12:45.888ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय क़मर जौनपुरी आदाब,</p>
<p> प्रदत्त चित्रानुकूल बहुत ही लाजवाब चित्रण । बेहतरीन शैल्पिक सौष्ठव । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय क़मर जौनपुरी आदाब,</p>
<p> प्रदत्त चित्रानुकूल बहुत ही लाजवाब चित्रण । बेहतरीन शैल्पिक सौष्ठव । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,जी,…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9613812018-11-18T17:12:14.498ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,जी, परिवार अब कुशलपूर्वक है ।</p>
<p>शक्तिछन्द पर मेरा प्रथम प्रयास आपको पसंद आया,जानकर संतुष्ट हुआ,शक्तिछन्द पर अब प्रयास जारी रहेगा,बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहना के लिए ।</p>
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,जी, परिवार अब कुशलपूर्वक है ।</p>
<p>शक्तिछन्द पर मेरा प्रथम प्रयास आपको पसंद आया,जानकर संतुष्ट हुआ,शक्तिछन्द पर अब प्रयास जारी रहेगा,बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहना के लिए ।</p> बहुत बहुत शुक्रिया जनाब क़मर ज…tag:openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9616202018-11-18T17:07:36.127ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब क़मर जौनपुरी साहिब ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब क़मर जौनपुरी साहिब ।</p>