"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 93 - Open Books Online2024-03-29T06:51:56Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/93?commentId=5170231%3AComment%3A970118&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noठीक है,जनाब ।tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9702882019-01-20T18:30:45.534ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ठीक है,जनाब ।</p>
<p>ठीक है,जनाब ।</p> आदरणीय गिरिताज भाई जी, आपकी उ…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9704462019-01-20T18:30:41.070ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय गिरिताज भाई जी, आपकी उपस्थिति मात्र से मेरा आयोजन सफल हो गया. आपकी परेशानी मैं समझता हूँ. </p>
<p>सहयोग बना रहे. </p>
<p></p>
<p>आदरणीय गिरिताज भाई जी, आपकी उपस्थिति मात्र से मेरा आयोजन सफल हो गया. आपकी परेशानी मैं समझता हूँ. </p>
<p>सहयोग बना रहे. </p>
<p></p> एक हफ़्ते बाद ही बातें कर पाऊँ…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9704452019-01-20T18:27:43.534ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक हफ़्ते बाद ही बातें कर पाऊँगा. अभी व्यस्त हूँ</p>
<p></p>
<p>एक हफ़्ते बाद ही बातें कर पाऊँगा. अभी व्यस्त हूँ</p>
<p></p> ऐसा नहीं होगा,मुतमइन रहें ।tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9702872019-01-20T18:26:53.812ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ऐसा नहीं होगा,मुतमइन रहें ।</p>
<p>ऐसा नहीं होगा,मुतमइन रहें ।</p> आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी सह…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9704442019-01-20T18:26:24.362ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद .. </p>
<p>आपकी प्रस्तुति के सभी दोहे सार्थक और चित्रानुरूप हुए हैं. </p>
<p>सादर बधाइयाँ </p>
<p>आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद .. </p>
<p>आपकी प्रस्तुति के सभी दोहे सार्थक और चित्रानुरूप हुए हैं. </p>
<p>सादर बधाइयाँ </p> वाह वाह !
आपकी प्रस्तुति के…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9705162019-01-20T18:24:47.187ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह ! </p>
<p>आपकी प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय. सभी दोहे सार्थक और चित्रानुरूप हुए हैं. </p>
<p>बधाइयाँ </p>
<p> </p>
<p>वाह वाह ! </p>
<p>आपकी प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय. सभी दोहे सार्थक और चित्रानुरूप हुए हैं. </p>
<p>बधाइयाँ </p>
<p> </p> अवश्य,मुहतरम ,चर्चा तो ज़रूरी…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9702862019-01-20T18:23:19.060ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अवश्य,मुहतरम ,चर्चा तो ज़रूरी है,लेकिन सार्थक चर्चा,जिसका कुछ नतीजा भी निकले,होता ये है कि चर्चा करते करते आयोजन का समय ही समाप्त हो जाता है ।</p>
<p>अवश्य,मुहतरम ,चर्चा तो ज़रूरी है,लेकिन सार्थक चर्चा,जिसका कुछ नतीजा भी निकले,होता ये है कि चर्चा करते करते आयोजन का समय ही समाप्त हो जाता है ।</p> आप एक संवेदनशील रचनाकार और वर…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9705152019-01-20T18:21:24.290ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आप एक संवेदनशील रचनाकार और वरिष्ठ साहित्यकार हैं, आदरणीय समर साहब. आपकी संवेदनशीलता इतनी किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं हो सकती कि किस स्थान् पर किस सुझाव और जानकारी को साझा किया जाय, आप समझ नहीं सकते. आप रचनागत भाषा को देखें और उसे परखें. और तदनुरूप ही सुझाव, सलाह या ज्ञान दें. वही श्रेयस्कर होगा. अर्थात रचना की जो भाषा हो उसी अनुसार आप सुझाव दें. </p>
<p></p>
<p>सर्वोपरि, भाषा और लिपि में महती अंतर हुआ करता है. दोनों को एक समझने की भूल, भाईजी, बहुतों से हो जाती है. विश्व की कई भाषाओं की लिपि रोमन ही…</p>
<p>आप एक संवेदनशील रचनाकार और वरिष्ठ साहित्यकार हैं, आदरणीय समर साहब. आपकी संवेदनशीलता इतनी किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं हो सकती कि किस स्थान् पर किस सुझाव और जानकारी को साझा किया जाय, आप समझ नहीं सकते. आप रचनागत भाषा को देखें और उसे परखें. और तदनुरूप ही सुझाव, सलाह या ज्ञान दें. वही श्रेयस्कर होगा. अर्थात रचना की जो भाषा हो उसी अनुसार आप सुझाव दें. </p>
<p></p>
<p>सर्वोपरि, भाषा और लिपि में महती अंतर हुआ करता है. दोनों को एक समझने की भूल, भाईजी, बहुतों से हो जाती है. विश्व की कई भाषाओं की लिपि रोमन ही है. इसका अर्थ यह कदापि न लें वे सभी एक ही भाषा हैं. यही स्थिति उर्दू और हिन्दी के साथ भी है. उर्दू देवनागरी में भी लिखी जाती है. मैं ऐसे कई विद्वानों को जानता हूँ जिनकी भाषा तो उर्दू है लेकिन उनकी लिपि देवनागरी है. उन्हें उर्दू लिपि जानना चाहिए. ऐसी बाध्यता भी नहीं है. लेकिन वे यदि उर्दू शब्दों का ग़लत प्रयोग करते दिखें तो आप अवश्य उन्हें टोक दें, सिखा दें. अन्यथा, हिन्दी भाषियों की किसी रचना पर चाहे छंद की हो या ग़ज़ल की हो, उर्दू के हिसाब से सुझाव या सलाह देना अन्यथा कर्म ही कहलाएगा. </p>
<p>विश्वास है, मेरा कहा सार्थक प्रतीत हो रहा होगा. </p>
<p>सादर</p>
<p></p> क्या कहने !! सभी दोहे शानदार…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9702852019-01-20T18:19:40.914ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>क्या कहने !! सभी दोहे शानदार हुए हैं, अंतिम दोहा की अंतिम पंक्ति ......<span>बहकों को बहका रखे, शातिर वही दिमाग .....कल भी सच था आज भी सच है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय सौरभ भईया। </span></p>
<p>क्या कहने !! सभी दोहे शानदार हुए हैं, अंतिम दोहा की अंतिम पंक्ति ......<span>बहकों को बहका रखे, शातिर वही दिमाग .....कल भी सच था आज भी सच है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय सौरभ भईया। </span></p> अभी समय कम है हुज़ूर-ए-वाला,आप…tag:openbooksonline.com,2019-01-20:5170231:Comment:9705142019-01-20T18:18:11.276ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अभी समय कम है हुज़ूर-ए-वाला,आपको ये जानकारी अवश्य उपलब्ध कराई जाएगी,और देना ज़रूरी भी है,लेकिन कुछ समय लगेगा ।</p>
<p>वैसे एक महीने से हमारी फ़ोन पर चर्चा नहीं हुई ,एक महीना हो गया है,कल बात करूंगा आपसे ।</p>
<p>अभी समय कम है हुज़ूर-ए-वाला,आपको ये जानकारी अवश्य उपलब्ध कराई जाएगी,और देना ज़रूरी भी है,लेकिन कुछ समय लगेगा ।</p>
<p>वैसे एक महीने से हमारी फ़ोन पर चर्चा नहीं हुई ,एक महीना हो गया है,कल बात करूंगा आपसे ।</p>