"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 94 - Open Books Online2024-03-29T06:51:50Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/94?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआयोजन में सम्मिलित होने वाले…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9750852019-02-17T18:29:43.278ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
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<p>आयोजन में सम्मिलित होने वाले सभी सम्माननीय सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ </p>
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<p>आयोजन में सम्मिलित होने वाले सभी सम्माननीय सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ </p>
<p></p> दूधो-पूतो फल रहीं, माताएँ है…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9752382019-02-17T18:24:47.664ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
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<p>दूधो-पूतो फल रहीं, माताएँ हैं मुग्ध </p>
<p>गइया माता दे रही, चहक-चहक कर दुग्ध ..... यही है हरियाणा . जहँ दूध-दही दा खाणा ..</p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय सतविन्द्र भाईजी. </p>
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<p>दूधो-पूतो फल रहीं, माताएँ हैं मुग्ध </p>
<p>गइया माता दे रही, चहक-चहक कर दुग्ध ..... यही है हरियाणा . जहँ दूध-दही दा खाणा ..</p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय सतविन्द्र भाईजी. </p>
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<p></p> दोहा-गीत सुना रहे, रचनाकार स…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9749802019-02-17T18:20:45.063ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>दोहा-गीत सुना रहे, रचनाकार सुजान </p>
<p>मनभावन रचना मधुर, बढ़ा पटल का मान .. आदरणीय मिथिलेशजी, आयोजन को सुगढ़ रचना से समृद्ध किया आपने </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>दोहा-गीत सुना रहे, रचनाकार सुजान </p>
<p>मनभावन रचना मधुर, बढ़ा पटल का मान .. आदरणीय मिथिलेशजी, आयोजन को सुगढ़ रचना से समृद्ध किया आपने </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> उचित छंद हैं आपके चित्र पा स…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9750842019-02-17T18:14:08.370ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>उचित छंद हैं आपके चित्र पा सका अर्थ </p>
<p>अंतिम दोहा जो कहे, समझें हम अन्वर्थ .. प्रतिभा जी बहुत बधाई .. </p>
<p>सादर</p>
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<p>उचित छंद हैं आपके चित्र पा सका अर्थ </p>
<p>अंतिम दोहा जो कहे, समझें हम अन्वर्थ .. प्रतिभा जी बहुत बधाई .. </p>
<p>सादर</p>
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<p></p> गुरुवर अपने पाणिनी, हर क्षण…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9752372019-02-17T18:09:56.553ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>गुरुवर अपने पाणिनी, हर क्षण गूँजे नाद </p>
<p>उनका ही अशीष है, उनका आशीर्वाद .. .. तभी हम छंद सीखते .. </p>
<p></p>
<p>आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक भाईजी </p>
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<p>गुरुवर अपने पाणिनी, हर क्षण गूँजे नाद </p>
<p>उनका ही अशीष है, उनका आशीर्वाद .. .. तभी हम छंद सीखते .. </p>
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<p>आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक भाईजी </p>
<p></p> प्रथम चरण दोहा प्रथम, नहीं रच…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9752362019-02-17T18:05:25.437ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>प्रथम चरण दोहा प्रथम, नहीं रचा है ठीक |</p>
<p>गौरस से लेकिन बने , सत्य पूत निर्भीक ||</p>
<p></p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते उत्तम दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p>
<p>प्रथम चरण दोहा प्रथम, नहीं रचा है ठीक |</p>
<p>गौरस से लेकिन बने , सत्य पूत निर्भीक ||</p>
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<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते उत्तम दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p> गोरस पूरित डोल में, विस्तृत स…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9750832019-02-17T18:00:22.541ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span>गोरस पूरित डोल में, </span><br/><span>विस्तृत सागर क्षीर।</span><br/><span>मातु चकित है देख के, </span><br/><span>दुग्ध मुखी गंभीर।</span><br/><span>दृश्य मनोरम कर गया, मधुमय यह संसार।।........वाह ! वाह ! प्रदत्त चित्र के भावों को पूरी तरह शब्दों में उतार दिया है. </span></p>
<p></p>
<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहागीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p><span>गोरस पूरित डोल में, </span><br/><span>विस्तृत सागर क्षीर।</span><br/><span>मातु चकित है देख के, </span><br/><span>दुग्ध मुखी गंभीर।</span><br/><span>दृश्य मनोरम कर गया, मधुमय यह संसार।।........वाह ! वाह ! प्रदत्त चित्र के भावों को पूरी तरह शब्दों में उतार दिया है. </span></p>
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<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहागीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> बच्चे का पालन सरल, हों बुजुर्…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9751822019-02-17T17:57:05.414ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>बच्चे का पालन सरल, हों बुजुर्ग जो संग।</p>
<p>है एकल परिवार तो,पालन बनता जंग।।............बिलकुल ! सहमत हूँ. </p>
<p></p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते उत्तम और संदेशात्मक दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p>बच्चे का पालन सरल, हों बुजुर्ग जो संग।</p>
<p>है एकल परिवार तो,पालन बनता जंग।।............बिलकुल ! सहमत हूँ. </p>
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<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते उत्तम और संदेशात्मक दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> आदरणीय तसदीक़ एहमद खान साहब सा…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9750822019-02-17T17:55:17.096ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय तसदीक़ एहमद खान साहब सादर नमस्कार, प्रदत्त चित्र पर रचे दोहे आपको चित्र अनुरूप लगे मेरा रचना कार्य सफल हुआ. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर. </p>
<p>आदरणीय तसदीक़ एहमद खान साहब सादर नमस्कार, प्रदत्त चित्र पर रचे दोहे आपको चित्र अनुरूप लगे मेरा रचना कार्य सफल हुआ. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर. </p> ग्राम्य लोक का जो मिला, उत्तम…tag:openbooksonline.com,2019-02-17:5170231:Comment:9751812019-02-17T17:54:01.064ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>ग्राम्य लोक का जो मिला, उत्तम हमको चित्र |</p>
<p>उसमें रमकर रच दिए , बस कुछ दोहे मित्र ||</p>
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<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रस्तुत दोहा छंदों पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से मेरे सृजन कार्य को बल मिला है. बहुत-बहुत आभार. सादर. </p>
<p>ग्राम्य लोक का जो मिला, उत्तम हमको चित्र |</p>
<p>उसमें रमकर रच दिए , बस कुछ दोहे मित्र ||</p>
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<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रस्तुत दोहा छंदों पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से मेरे सृजन कार्य को बल मिला है. बहुत-बहुत आभार. सादर. </p>