"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 98 - Open Books Online2024-03-28T18:41:22Zhttp://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/98?commentId=5170231%3AComment%3A986320&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noचित्र से काव्य तक छंदोत्सव आ…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9862772019-06-23T18:28:30.972ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>चित्र से काव्य तक छंदोत्सव आयोजन की मासिक अवधि समाप्त हुई</p>
<p></p>
<p></p>
<p>चित्र से काव्य तक छंदोत्सव आयोजन की मासिक अवधि समाप्त हुई</p>
<p></p>
जी, सही कहा आपने..
tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9863232019-06-23T18:26:49.432ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>जी, सही कहा आपने.. </p>
<p></p>
<p></p>
<p>जी, सही कहा आपने.. </p>
<p></p> आपने तो, आदरणीय, इतना भी किय…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9862762019-06-23T18:11:42.834ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आपने तो, आदरणीय, इतना भी किया न ! </p>
<p>जय हो.. </p>
<p></p>
<p></p>
<p>आपने तो, आदरणीय, इतना भी किया न ! </p>
<p>जय हो.. </p>
<p></p> आदरणीयसौरभ भाईजी
तीन दिन लगात…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9863222019-06-23T17:56:05.104Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीयसौरभ भाईजी</p>
<p>तीन दिन लगातार आँधी पानी और बिजली की कड़क से कल दिन भर नेट की समस्या सुलझाने और अन्य आवश्यक कायों में व्यस्त रहा इसलिए ज्यादा समय इस आयोजन को दे नहीं पाया। रायपुर से आते ही छंदोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराया।</p>
<p>इस बधाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद आभार</p>
<p></p>
<p>आदरणीयसौरभ भाईजी</p>
<p>तीन दिन लगातार आँधी पानी और बिजली की कड़क से कल दिन भर नेट की समस्या सुलझाने और अन्य आवश्यक कायों में व्यस्त रहा इसलिए ज्यादा समय इस आयोजन को दे नहीं पाया। रायपुर से आते ही छंदोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराया।</p>
<p>इस बधाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद आभार</p>
<p></p> दादा जी की सीख और छुट्टियों …tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9863212019-06-23T17:40:11.385ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>दादा जी की सीख और छुट्टियों ंमें पोते से नानाजी के घर जाने का सुझाव दोनों भले लगे, आदरणीय अखिलेश भाई जी</p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p>
<p></p>
<p>दादा जी की सीख और छुट्टियों ंमें पोते से नानाजी के घर जाने का सुझाव दोनों भले लगे, आदरणीय अखिलेश भाई जी</p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p> आदरणीय सतविन्द्र भाई जी, आपके…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9861952019-06-23T17:38:19.571ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सतविन्द्र भाई जी, आपके गीत का कथ्य चित्र के अनुरूप है. सार छंद का निर्वहन भी ढंग से हुआ है. </p>
<p></p>
<p><span>एक सहारा दिखे छड़ी औ, दूजा तीजी पीढ़ी </span><br></br><span>कष्टों के गड्ढे से बाहर, लाती है यह सीढ़ी</span><br></br><span>फल अच्छा वो ही पाता है, बीज सही जो बोता </span></p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p></p>
<p>सुच्चा देसी जिसको कहते ... इस पंक्ति की तुकान्तता को लेकर अवश्य असहज हो रहा हूँ. होता के पदान्त पर क्रमशः ही और है की समान्तता बन रही है जो नेष्ट…</p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र भाई जी, आपके गीत का कथ्य चित्र के अनुरूप है. सार छंद का निर्वहन भी ढंग से हुआ है. </p>
<p></p>
<p><span>एक सहारा दिखे छड़ी औ, दूजा तीजी पीढ़ी </span><br/><span>कष्टों के गड्ढे से बाहर, लाती है यह सीढ़ी</span><br/><span>फल अच्छा वो ही पाता है, बीज सही जो बोता </span></p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p></p>
<p>सुच्चा देसी जिसको कहते ... इस पंक्ति की तुकान्तता को लेकर अवश्य असहज हो रहा हूँ. होता के पदान्त पर क्रमशः ही और है की समान्तता बन रही है जो नेष्ट है. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> आदरणीय सतविंद्र भाई
आपकी यह प…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9864162019-06-23T17:35:33.840Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय सतविंद्र भाई</p>
<p>आपकी यह प्रस्तुति चित्र को परिभाषित करती है और सुंदर है। हृदयतल से बधाई</p>
<p>आदरणीय समर भाई के सुझाव पर अमल कीजिए।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय सतविंद्र भाई</p>
<p>आपकी यह प्रस्तुति चित्र को परिभाषित करती है और सुंदर है। हृदयतल से बधाई</p>
<p>आदरणीय समर भाई के सुझाव पर अमल कीजिए।</p>
<p></p>
<p></p> आदरणीया मनजीतजी
चित्र के अनुर…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9862752019-06-23T17:26:00.398Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया मनजीतजी</p>
<p>चित्र के अनुरूप सार्थक सुंदर प्रयास के लिए हृदयतल से बधाई।सौरभभाईजी ने बाकी बात कह दी है</p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीया मनजीतजी</p>
<p>चित्र के अनुरूप सार्थक सुंदर प्रयास के लिए हृदयतल से बधाई।सौरभभाईजी ने बाकी बात कह दी है</p>
<p></p>
<p></p> आदरणीया प्रतिभाजी
सचमुच आपने…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9862742019-06-23T17:19:52.529Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया प्रतिभाजी</p>
<p>सचमुच आपने पूरी लगन और पूरा समय देकर बड़ी सहजता से चारो कुंडलियाँ को चित्र के अनुरूप शाब्दिक किया है। हृदयतल से बधाई</p>
<p></p>
<p>आदरणीया प्रतिभाजी</p>
<p>सचमुच आपने पूरी लगन और पूरा समय देकर बड़ी सहजता से चारो कुंडलियाँ को चित्र के अनुरूप शाब्दिक किया है। हृदयतल से बधाई</p>
<p></p> कुंडलिया
जाओ माँ के साथ तुम…tag:openbooksonline.com,2019-06-23:5170231:Comment:9861912019-06-23T17:12:33.128Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><strong>कुंडलिया</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>जाओ माँ के साथ तुम, नानाजी के पास।</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>गर्मी की छुट्टी हुई, पूरी होगी आस॥</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>पूरी होगी आस, पहुँचकर भूल न जाना।</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>प्रातः करना योग, न करना कभी बहाना॥</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>हर दिन पीना…</strong></span></p>
<p><strong>कुंडलिया</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>जाओ माँ के साथ तुम, नानाजी के पास।</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>गर्मी की छुट्टी हुई, पूरी होगी आस॥</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>पूरी होगी आस, पहुँचकर भूल न जाना।</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>प्रातः करना योग, न करना कभी बहाना॥</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>हर दिन पीना दूध, दाल सब्जी भी खाओ।</strong></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>सोना जल्दी रोज, भोर होते उठ जाओ॥</strong></span></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>--------------------------</p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>