कुंडलिया ....

कुंडलिया. . . . 

मीरा को गिरधर मिले, मिले  रमा को  श्याम ।
संग   सूर  को  ले  चले, माधव  अपने  धाम ।
माधव  अपने धाम , भक्ति की अद्भुत  माया ।
हर मुश्किल में साथ, श्याम की चलती छाया ।
भजें  हरी  का  नाम , साथ  में  बजे  मँजीरा ।
भक्ति भाव  में डूब, रास  फिर  करती  मीरा ।

सुशील सरना / 1-12-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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  • Sushil Sarna

    आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर कुंडलियाँ रची हैं। हार्दिक बधाई।

  • Sushil Sarna

    आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय