by Sushil Sarna
Dec 1, 2024
कुंडलिया. . . .
मीरा को गिरधर मिले, मिले रमा को श्याम । संग सूर को ले चले, माधव अपने धाम ।माधव अपने धाम , भक्ति की अद्भुत माया ।हर मुश्किल में साथ, श्याम की चलती छाया ।भजें हरी का नाम , साथ में बजे मँजीरा ।भक्ति भाव में डूब, रास फिर करती मीरा ।
सुशील सरना / 1-12-24
मौलिक एवं अप्रकाशित
Dec 17, 2024
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर कुंडलियाँ रची हैं। हार्दिक बधाई।
Dec 31, 2024
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Jan 2
Cancel
Sushil Sarna
Dec 17, 2024
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर कुंडलियाँ रची हैं। हार्दिक बधाई।
Dec 31, 2024
Sushil Sarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Jan 2