by Sushil Sarna
Feb 27
कुंडलिया. . . .
जीना है तो सीख ले ,विष पीने का ढंग ।बड़े कसैले प्रीति के,अब लगते हैं रंग ।।अब लगते हैं रंग , जगत् में छलिया सारे ।पल - पल बदलें रूप, स्वयं का साँझ सकारे ।।बड़ा कठिन है सोम, भरोसे का यों पीना ।विष को जीवन मान , पड़ेगा यों ही जीना ।।
सुशील सरना / 27-2-25
मौलिक एवं अप्रकाशित
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कुंडलिया. . .
by Sushil Sarna
Feb 27
कुंडलिया. . . .
जीना है तो सीख ले ,विष पीने का ढंग ।
बड़े कसैले प्रीति के,अब लगते हैं रंग ।।
अब लगते हैं रंग , जगत् में छलिया सारे ।
पल - पल बदलें रूप, स्वयं का साँझ सकारे ।।
बड़ा कठिन है सोम, भरोसे का यों पीना ।
विष को जीवन मान , पड़ेगा यों ही जीना ।।
सुशील सरना / 27-2-25
मौलिक एवं अप्रकाशित