दोहा सप्तक

दोहा सप्तक

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चिड़िया सोने से मढ़ी, कहता सकल जहान।

होड़ मची थी लूट लो, फिर भी रहा महान।1। 

कृष्ण पक्ष की दशम तिथि, फाल्गुन पावन मास।

दयानंद अवतार से, अंधकार का नास।2। 

टंकारा गुजरात में, जन्में शंकर मूल।

दयानंद बन बांटते, आर्य समाज उसूल।3।

जोत जगाकर वेद की, दिया विश्व को ज्ञान।

त्याग योग संस्कार ही, भारत की पहचान।4। 

कहा वेद की भाष में, श्रेष्ठ गुणों को धार।

लक्ष्य प्राथमिक मानकर, वैदिक रखो विचार।5। 

गहन अंधविश्वास में, भटक रहे थे लोग।

दिनकर आया ज्ञान ले, याद दिलाया योग।6। 

चाहो जो तुम मोक्ष तो, जीतो पांचों क्लेश।

राग अविद्या अस्मिता, अभिनिवेश अरु द्वेष।7।

मौलिक एवं अप्रकाशित